Sunday, January 16, 2011

लघु कथा
एक़ महल के द्वार पर भीड़ लगी थी।किसी फकीर ने राजा से भीख मांगी थी।राजा ने उससे कहा था जो भी चाहते हो मांग लो। वह राजा जो भी सुबह सबसे पहले उससे भीख मांगता था वह उसे इच्छित वस्तु देता था। उस दिन वह भिखारी सबसे पहले राजा के महल पहंचा था। फकीर ने राजा के आगे अपना छोटा सा पात्र बढ़ाया और बोला इसे सोने की मुद्राओं से भर दो।राजा ने उसके पात्र में स्वर्ण मुद्राएं डाली तो पता चला कि वह पात्र जादुई है। जितनी अधिक मुद्राएं उसमें डाली गयी वह उतना अधिक खाली होता गया। फकीर बोला नही भर सके तो वैसा बोल दे मैं खाली पात्र लेकर चला जाउंगा। ज्यादा से ज्यादा लोग यही कहेंगे कि राजा अपना वचन पूरा न कर सका। राजा ने अपना सारा खजाना खाली कर दिया लेकिन खाली पात्र खाली ही था। उसके पास जो कुछ भी था, सब उस पात्र में डाल दिया गया पर वह पात्र न भरा। तब राजा ने कहा भिक्षु तुम्हारा पात्र साधारण नही है। इसे भरना मेरे बस की बात नही है। क्या मैं पूछ सकता हूं कि इस पात्र का रहस्य क्या है !कोई विशेष रहस्य नही है,यह इंसान के दृदय से बना है। क्या आपको पता नही है कि इंसान का दृदय कभी नही भरता धन से, पद से,ज्ञान से,किसी से भी नही,किसी से भी भरो वह खाली ही रहेगा। क्योंकि वह इन चीजों से भरने के लिए बना ही नही है।इस सत्य को न जानने के कारण ही इंसान जितना पाता है उतना ही दरिद्र होता जाता है। इंसान का हृदय कुछ भी पाकर शांत नही होता क्यों ! /क्योंकि हृदय परमात्मा को पाने के लिए बना है।

8 comments:

  1. mujhe ye laghu katah behat pasan aayi..sach hi to hai..antath insaan tabhi santusht hota hai jab use ishwar mil jaate hain....aapka blog sarahniy hai aur ise adhik se adhik logo ko padhna chahiye.

    Anuj hote hue bhi aapko kuch salaah dena chaunga, kshma kijiyega.....aap apne blog pe kuch gadgets lagaye jaise Popular Posts, Recent Posts etc..taki baaki sab Posts par bhi logo ki nazar jaaye...aur apni Post ko ek achcha title dein jo kahanni se related ho.

    Dhanyawad.

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  2. बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर ..प्रेरक कथा।
    कभी समय मिले तो हमारे ब्लॉग//shiva12877.blogspot.com पर भी अपनी एक दृष्टी डालें .... धन्यवाद

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  3. बहुत बड़ा सच, मन नहीं भरता है हमारा।

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  4. प्रेरक कथा...
    बहुत ही सही
    कहा,इंसान का हृदय कुछ भी पाकर शांत नही होता क्यों ! /क्योंकि हृदय परमात्मा को पाने के लिए बना है।

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  5. प्रेम बाबू!
    इहे सबसे बड़ बिडम्बना बा हमनीं के.. असली दौलत छोड़कर हमनीं माटी के पीछे भागेनीं सs... हई लोग भुला जाला कि आखिरी बेरा बस उहे दू गज जमीन के दौलत सभे के भेंटाला!!

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