गजल
जब घिनौने बिम्ब भी, देखे तुझे उपहास से
टूटने नही देना तू,दिल का रिश्ता आस से।
जिंदगी में बढ़ गई हैं,उलझनें कुछ इस कदर
जब घिनौने बिम्ब भी, देखे तुझे उपहास से
टूटने नही देना तू,दिल का रिश्ता आस से।
जिंदगी में बढ़ गई हैं,उलझनें कुछ इस कदर
दूर मै होता गया हूं, हास और परिहास से।
असलहों के बल कभी भी,शांति आ सकती नही
असलहों के बल कभी भी,शांति आ सकती नही
चींखती हैं ये सदाएं, विश्व के इतिहास से।
जिंदगी के ताने-बाने, बुन रहा हूं इस घड़ी
जिंदगी के ताने-बाने, बुन रहा हूं इस घड़ी
छोड़ दो तनहा मुझे, इस वक्त जाओ पास से।
हार कर बैठा नही, चलते रहो चलते रहो
कान में कहके हवा ये, गुजरी मेरे पास से।
डूब कर संध्या समय, यह सूर्य ने सबसे कहा
कल चमकना है मुझे फिर, एक नये विश्वास से।
धैर्य से ले काम, ऐ प्रेम, तू घबरा नही
बाद पतझड़ होगा तेरा,सामना मधुमास से।
हार कर बैठा नही, चलते रहो चलते रहो
कान में कहके हवा ये, गुजरी मेरे पास से।
डूब कर संध्या समय, यह सूर्य ने सबसे कहा
कल चमकना है मुझे फिर, एक नये विश्वास से।
धैर्य से ले काम, ऐ प्रेम, तू घबरा नही
बाद पतझड़ होगा तेरा,सामना मधुमास से।
बहुत सुंदर गजल । अगले गजल का इंतजार रहेगा।
ReplyDeleteचिंगारी जलाने की ज़रूरत है
ReplyDeleteसुदर अभिव्यक्ति
बहुत प्यारी रचना, आशा और धैर्य में पगी।
ReplyDeleteजिंदगी में बढ़ गई हैं,उलझनें कुछ इस कदर
ReplyDeleteदूर मै होता गया हूं, हास और परिहास से।
ye pankti bha gayee mujhe...:)
waise pura shandaar hai, kabhi hamare blog pe aayen..
sundar gazal.
ReplyDeleteप्रेम बाबू!
ReplyDeleteआज ग़ज़ल कही है आपने.. पता नहीं पहले कभी आपने यह विधा अपनाई है या नहीं. भाव सुंदर हैं!!कुछ कमियाँ भी हैं मगर उनकी चर्चा ज़रूरी नहीं.. बहुत सुंदर!!
सलील भाई, बहुत बहुत धन्यवाद। आपने मेरी भावनाओं को समझा,यही मेरे लिए काफी है।
ReplyDeleteNice post.
ReplyDeleteग़ज़ल
दिल लुटने का सबब
हम को किसके ग़म ने मारा ये कहानी फिर सही
किसने तोड़ा दिल हमारा ये कहानी फिर सही
दिल के लुटने का सबब पूछो न सबके सामने
नाम आएगा तुम्हारा ये कहानी फिर सही
नफ़रतों के तीर खाकर दोस्तों के शहर में
हमने किस किस को पुकारा ये कहानी फिर सही
क्या बनाएं प्यार की बाज़ी वफ़ा की राह में
कौन जीता कौन हारा ये कहानी फिर सही
-Masroor Anwar
'हिंदुस्तान , पृष्ठ 9 , 7-1-20-11'
बहुत खूब - अति सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई तथा नव वर्ष की मंगल कामना.
ReplyDeleteविशेष:
"जिंदगी में बढ़ गई हैं,उलझनें कुछ इस कदर
दूर मै होता गया हूं, हास और परिहास से"