आओ शुरूआत करें
एक बार एक नवजवान ऑफिसर ऑफिस से बहुत सारा काम लेकर घर आया। उसका पाँच साल का बेटा घर पर इंतजार कर रहा था ताकि वह अपने पिता के साथ खेल सके।लेकिन पिता ने अपने बेटे से कहा-”मुझे ऑफिस का बहुत सारा काम करना है क्योंकि अभी बहुत सारा काम पीछे रह गया है।“बेटे ने पिता की बात सुनकर कहा,”पिता जी जब मैं अपनी कक्षा में पीछे रह जाता हूं तो अध्यापक सुझे आहिस्ता चलने वाले बच्चों की कक्षा में बिठा देते हैं।,आपके ऑफिस वाले आपको ऐसे ही आहिस्ता-वर्ग में क्यों नही डाल देते!”पिता ने इस बात का जबाब देते हुए कहा-“रक्षा मंत्रालय की दुनिया में ऐसा दस्तूर नही है।“लेकिन बच्चे को पिता की बात समझ में नही आई।वह तो बस उनके साथ खेलने का जिद कर रहा था। आखिरकार पिता ने बच्चे को काम में उलझाए रखने का रास्ता ढूंढ़ निकाला ताकि पिता अपने ऑफिस का काम बिना किसी रूकावट के पूरा कर सकें। उसके पास एक पत्रिका थी जिसके मुख्य पृष्ठ पर विश्व की तस्बीर बनी हुई थी। उसने उस पन्ने को फाड़ा और उसके कई छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए।तब उसने अपने बेटे से कहा,-बेटा, तुम विश्व की इस फटी सी तस्बीर को जोड़ो तभी मैं तुन्हारो साथ खेलूंगा।:पिता जानता था कि इस तस्बीर को जोड़ने में बच्चे को काफी समय लगेगा। लेकिन पांच मिनट बाद ही बच्चा पिता जी से कहने लगा की उसने तस्बीर जोड़ ली है।पिता को बच्चे की बात पर विश्वास नही आया लेकिन जब उसने तस्बीर को जुड़ा हुआ देखा तो हैरानी से बच्चे से पूछा – “तुमने इतनी जल्दी इसे कैसे किया। “तुमसे तो मुझे सीखने की जरूरत है।“बेटे ने सहज भाव से जबाब दिया,”पिता जी यह काम तो बड़ा आसान था।जिस पन्ने पर विश्व की तस्बीर बनी थी उसके दूसरी तरफ एक मनुष्य की तस्बीर बनी हुई थी। मैने तो उस आदमी की तस्बीर को जोड़ा और पलट कर देखा तो दुनिया जुड़ी हुई मिली।“
एक बार एक नवजवान ऑफिसर ऑफिस से बहुत सारा काम लेकर घर आया। उसका पाँच साल का बेटा घर पर इंतजार कर रहा था ताकि वह अपने पिता के साथ खेल सके।लेकिन पिता ने अपने बेटे से कहा-”मुझे ऑफिस का बहुत सारा काम करना है क्योंकि अभी बहुत सारा काम पीछे रह गया है।“बेटे ने पिता की बात सुनकर कहा,”पिता जी जब मैं अपनी कक्षा में पीछे रह जाता हूं तो अध्यापक सुझे आहिस्ता चलने वाले बच्चों की कक्षा में बिठा देते हैं।,आपके ऑफिस वाले आपको ऐसे ही आहिस्ता-वर्ग में क्यों नही डाल देते!”पिता ने इस बात का जबाब देते हुए कहा-“रक्षा मंत्रालय की दुनिया में ऐसा दस्तूर नही है।“लेकिन बच्चे को पिता की बात समझ में नही आई।वह तो बस उनके साथ खेलने का जिद कर रहा था। आखिरकार पिता ने बच्चे को काम में उलझाए रखने का रास्ता ढूंढ़ निकाला ताकि पिता अपने ऑफिस का काम बिना किसी रूकावट के पूरा कर सकें। उसके पास एक पत्रिका थी जिसके मुख्य पृष्ठ पर विश्व की तस्बीर बनी हुई थी। उसने उस पन्ने को फाड़ा और उसके कई छोटे-छोटे टुकड़े कर दिए।तब उसने अपने बेटे से कहा,-बेटा, तुम विश्व की इस फटी सी तस्बीर को जोड़ो तभी मैं तुन्हारो साथ खेलूंगा।:पिता जानता था कि इस तस्बीर को जोड़ने में बच्चे को काफी समय लगेगा। लेकिन पांच मिनट बाद ही बच्चा पिता जी से कहने लगा की उसने तस्बीर जोड़ ली है।पिता को बच्चे की बात पर विश्वास नही आया लेकिन जब उसने तस्बीर को जुड़ा हुआ देखा तो हैरानी से बच्चे से पूछा – “तुमने इतनी जल्दी इसे कैसे किया। “तुमसे तो मुझे सीखने की जरूरत है।“बेटे ने सहज भाव से जबाब दिया,”पिता जी यह काम तो बड़ा आसान था।जिस पन्ने पर विश्व की तस्बीर बनी थी उसके दूसरी तरफ एक मनुष्य की तस्बीर बनी हुई थी। मैने तो उस आदमी की तस्बीर को जोड़ा और पलट कर देखा तो दुनिया जुड़ी हुई मिली।“
आँखे खोलने वाली लघु कथा
ReplyDeleteसारगर्भित शिक्षा, दूसरा पक्ष देखने का।
ReplyDeleteबच्चे ने खेल-खेल में अपने पिता को एक बहुत बड़ी सीख दे दी । नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteबहुत गहरी बात कह दी आपने। प्रणाम निवेदित करता हूँ आपको।
ReplyDelete---------
पति को वश में करने का उपाय।
मासिक धर्म और उससे जुड़ी अवधारणाएं।
बच्चों की बात में परमात्मा बस्ता है ...
ReplyDeleteआपको और आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ...
गहरी शिक्षा!! मानव जोड़ो दुनिया जोड़ो!!
ReplyDeleteतस्वीर का दूसरा पहलू कई बार बहुत पते
की बात कह जाता है.
bahut hi sundar katha.
ReplyDeleteकथा का सार ही तो है
ReplyDeleteमानव से ही संसार है .......
अच्छी प्रस्तुति .
अच्छी लघुकथा है.
ReplyDeleteplz.visit:http://kunwarkusumesh.blogspot.com
aadarniy sir
ReplyDeletebahut hi gahari baat aapne kahai di is aalekh ke jariye.bilkul sach bachche ke shabd the jo usne anjaane hi kahe par vastav me insaan ekjut ho jaaye to pura vishv ek hi najar aayega.
bahut hi prerak avam prabhavpurn prastuti.
hardik abhinandan---------
poonam
पूनम जी मेरा आशीर्वाद ग्रहण करें। बहुत अच्छा कहा है-आपने।नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteआदरणीय प्रेम सरोवर जी
ReplyDeleteआपकी यह शिक्षाप्रद कथा ..बहुत असर कर गयी दिल और दिमाग पर ..आपका लेखन अनवरत रूप से जारी रहे यही कामना है ..शुक्रिया