एहसास की चुभन
************
तुम्हारा
साथ भी
गुलाबों की तरह
किताबों में दबाया
जा सकता तो कितना
अच्छा होता ......
गुलाबों की तरह
किताबों में दबाया
जा सकता तो कितना
अच्छा होता ......
हल्का-हल्का
महकता
कभी कभी कुछ कहता
थोडा थोडा सा चुभता
महकता
कभी कभी कुछ कहता
थोडा थोडा सा चुभता
तुम
बंध जाती इन
किताबों की सलवटों में
और मैं तुम्हें
हाथों से महसूस करता
छूता.....चूमता और
सीने लगा कर सो जाता
बहुत सुकूं भरी रातें होती
वो सच .....
किताबों की सलवटों में
और मैं तुम्हें
हाथों से महसूस करता
छूता.....चूमता और
सीने लगा कर सो जाता
बहुत सुकूं भरी रातें होती
वो सच .....
मोहब्बत
पढ़ती और
मोहब्बत कहते हुए
किताब के उस मोड़ संग
अपना जीवन गुजार देता
पढ़ती और
मोहब्बत कहते हुए
किताब के उस मोड़ संग
अपना जीवन गुजार देता
कितना
प्रेम होता हमारे
जहां में
न तुम्हें मुझसे
दूर जाने का डर होता
न मुझे तुम्हारी
जुदाई का गम
प्रेम होता हमारे
जहां में
न तुम्हें मुझसे
दूर जाने का डर होता
न मुझे तुम्हारी
जुदाई का गम
तुम
और मैं
गुलाब से रहते
सदा जवां-जवां
अपने प्यार की यादों में ........
गुलाब से रहते
सदा जवां-जवां
अपने प्यार की यादों में ........