मुझे यह पढ़कर सबक मिलता है कि अपने जीवन में कुछ चीजें जिन्हें हम बेकार समझते हैं, कभी-कभी अनमोल साबित होती हैं। लेकिन इस संदर्भ में आप सब का क्या विचार हैं, अवश्य प्रस्तुत कीजिएगा। बेसब्री से इंतजार करूंगा।
कीमत
एक छोटी बच्ची बड़े मनोयोग से एक डिब्बे पर सुनहरा कागज लपेट रही थी।तंगहाली के दिनों में कीमती कागज को यूं बरबाद करते देख उसके पिता को बहुत गुस्सा आया।उसने बच्ची को खूब डांटा।अगले दिन क्रिशमस था।अलसुबह बच्ची ने अपने पिता को एक डिब्बा भेंट किया।उसे यह देखकर ग्लानि हुई कि यह वही डिब्बा था जिसके लिए उसने अपनी बेटी को डांटा था। डिब्बा खोला तो यह क्या!वह खाली था। एक बार वह फिर भड़क उठा।उसने अपनी बेटी को डांटते हुए कहा- “तुम इतना भी नही जानती हो कि कभी किसी को खाली डिब्बा तोहफे में नही दिया जाता है!”बच्ची ने मासूमियत के साथ जबाब दिया-डिब्बा खाली नही है। मैने इसमें आपके लिए ढेर सारा प्यार भरा हुआ है। इस पर पिता की आंखे भर आई और उसने गले लगाकर बच्ची से मांफी मांग ली।
चाम के परे देखने की मानसिकता जब तक नहीं बदलेगी तबतक किसी व्यक्ति, वस्तु अथवा भावना की कीमत नहीं पहचानी जा सकती!! बहुत ही प्रेरक प्रसंग है यह!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDeleteअपने विचार या टिप्पणी देकर महज औपचारिकता की खानापूर्ति करने की कोशिश मत कीजिएगा। इस संदर्भ में जो भी अच्छा टिप्पणी देगा उसे मैं मनोज कुमार या सलील वर्मा जी के पास भेजूंगा।उसके वाद परिणाम की घोषणा की जाएगी।
ReplyDeleteप्रेरक और सीख देती प्रस्तुति। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteफ़ुरसत में आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री के साथ
प्रेरक .............
ReplyDeleteभावों कि कद्र की जानी चाहिए थी.
बेहतरीन प्रेरक प्रसंग !
ReplyDeletebahut hi prerak hai aur ...ek shiksha bhe de rahi hai
ReplyDeleteअक्सर हम सभी बच्चों को बच्चा मान कर उनकी बातों,विचारों पर ध्यान नहीं देते..पर बच्चे ...कभी कभी जेवण में बहुत बड़ी सीख दे जाते हैं
ReplyDeleteआज प्यार कि कीमत तोहफे को देख आंकी जाती है .. लेकिन जिसने प्यार ही तोहफे में दे दिया हो उसकी कीमत तो कोई लगा ही नहीं सकता ..प्रेरक प्रसंग
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