Thursday, July 14, 2011

नयी कविता





एक अपील-
मैने नयी कविती की वकालत करने या उसकी स्तुति करने के उद्देश्य से इसे नही लिखा है। अध्ययन एवं इस संबंध में कुछ संकलन करने के पश्चात नयी कविता के विभिन्न पक्षों के संबंध में जो प्रतिक्रियाएं मेरे भीतर इकट्ठी हो गयी थीं -उन्हे ही तरतीब देकर आपके सामने ऱख दिया है।
प्रेम सागर सिंह

नयी कविता: एक सामान्य परिचय

नयी कविता अभिव्यक्ति और अनुभूति की नयी व्यवस्था की कविता है। यह एक उर्जावान संलाप है, जिसने साहित्य तथा जीवन की प्रासांगिक, सार्थक मानव-मूल्य प्रदान किए हैं, युग की प्रकृति के अनुसार काव्य-दृष्टियों में क्रांतिकारी परिवर्तन करने का प्रयास किया है तथा मानव-मुक्ति के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
भारतेंदु ने पहली बार सही अर्थ में कविता को जीवन यथार्थ से संपन्न करने का उपक्रम किया किंतु वे परंपरागत संस्कारों से पूर्णत: मुक्त न हो सके। द्विवेदी-युग में मैथिलीशरण गुप्त ने अपने चरित्रों से मानवीय स्वरूप को एक निश्चित सीमा में पकड़ा किंतु वहाँ भी आधुनिक मनुष्य उपेक्षित ही रहा। इसके बाद भी मनुष्य को किसी न किसी विशेष संदर्भ के साथ जोड़कर देखा गया। परिणामस्वरूप अभिव्यक्ति ने स्वयं ही रचना के भीतर संघर्ष किया और नए मूल्य-बोध, उर्वर रचनाशक्ति तथा आधुनिक-बोध से संपन्न नयी कविता का विकास हुआ।
नयी कविता ने कविता की पूर्वप्रचलित समस्त अवधारणाओं को युग-जीवन की आवश्यकतानुसार ढालकर नयी अर्थवत्ता देते हुए अपना स्वरूप निर्धारित किया। इस स्वरूप में समाज तथा व्यक्ति संबंधी किसी भी सिद्धांत के प्रर्ति दुराग्रह नही है,वरन व्यक्ति को, व्यक्ति-संभव देखने की प्रवृति, उसके भविष्य के प्रति आस्था,सामाजिकता का व्यावहारिक निर्वाह तथा यथार्थ को पूरी ईमानदारी से अभिव्यक्त करने की आकांक्षा विद्यमान है। गिरिजाकुमार माथुर ने नयी कविता की परिभाषा करते हुए लिखा है-“मौजूदा कविता के अंतर्गत वह दोनों ही प्रकार की कविताएँ कही जाती रही हैं,जिनमें एक ओर या तो शैली, शिल्प और माध्यमों के प्रयोग होते रहे हैं या दूसरी ओर समाजोन्मुखता पर बल दिया जाता रहा है। लेकिन नयी कविता हम उसे मानते हैं, जिसमें इन दोनों के स्वरूप तत्वों का संतुलन और समन्वय है। यह नयी कविता नये शिल्प और उपमानों के प्रयोग के साथ समाजोन्मुखता और मानवता को एक साथ अंजलि में भरे भविष्य की ओर अग्रसर हो रही है।“ इसी प्रकार केदारनाथ अग्रवाल ने मानवमूल्यों की उदात्त परंपरा को ध्यान में रखकर नयी कविता को यथार्थ, शक्ति और जीवनेच्छा आदि विशेषताओं से युक्त माना है।
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3 comments:

  1. यथार्थपरक लेख....

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  2. बहुत सुंदर। कुछ नया सीखने को मिला।

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