Sunday, July 17, 2011

इसके पूर्व मैं नई कविता का सामान्य परिचय प्रस्तुत किया था। इस विधा को आगे की ओर ले जाते हुए ‘नई कविता की विकास की पृष्ठभूमि ’ प्रस्तुत कर रहा हूँ एवं आप सबका प्रोत्साहन मिला तो अंतिम कड़ी तक इसे प्रस्तुत करता रहूँगा। प्रबुद्ध व्लागर बंधुओं एवं सुधी पाठकों के मार्गदर्शन एवं प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। यदि मेरा यह प्रयास आप सबको अच्छा लगा तो मैं समझूँगा कि मेरा श्रम सार्थक सिद्ध हुआ। अशेष शुभकामनाओं के साथ, सादर।

प्रेम सागर सिंह
नई कविता की विकास की पृष्ठभूमि

कोई भी काव्य-धारा सहसा आकाश से टपक नही पड़ती, बल्कि सहज ही विकसित होती है। उसके विकास की पृष्ठभूमि में वे परिस्थितियां विद्यमान रहती है, जिनसे रचनाकार अनवरत साक्षात्कार करते रहता है। परिस्थिति और रचनाकार के संपर्क से उत्पन्न अनुभव जब कविता में ढलने लगते हैं तब सहज विकास का चक्र पूरा होता है और नई काव्य-धारा अपने अस्तित्व की घोषणा करती है। अत; यह आवश्यक है कि किसी काव्य-धारा को संपूर्ण रूप से पहचानने के लिए उसके विकास की पृष्ठभूमि का गहन अध्ययन आवश्यक है। नयी कविता नयी परिस्थितियों की उपज है। उसके मूल में आधुनिक युग का वह संपूर्ण परिवेश है, जिसने एक ओर हमारी वैयक्तिक व सामाजिक जीवन पद्धति को प्रभावित किया और तथा दूसरी ओर संवेदनशील कलाकार की मानसिकता को प्रभावित करके कविता को नयी दिशा प्रदान कर दी। नयी कविता की पृष्ठभूमि के स्तरों को हमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय धरातलों पर परखना पड़ेगा, क्योंकि हिंदी की नयी कविता का स्वरूप इन दोनों धरातलों ने निर्मित किया है।

नोट:-- (इसके क्रम को आगे की ओर बढ़ाते हुए अगला पोस्ट ' नयी कविता की राजनीतिक पष्ठभूमि' होगी। अगले पोस्ट की प्रतीक्षा करें।)

4 comments:

  1. ज्ञानवर्धक पोस्ट।

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  2. कृपया इस यूँ ही आगे बढ़ाएं .....!

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  3. कविता का स्तर स्वतः ही फैलता जाता है, मन के भावों की तरह।

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  4. अति सुन्दर |
    बधाई ||

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