Monday, August 1, 2011

जो तुम आ जाते एक बार
( महादेवी वर्मा)

जो तुम आ जाते एक बार !

कितनी करूणा कितने संदेश
पथ मे बिछ जाते बन पराग ;

गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग,
आँसू लेते वे पद पखार !

हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल डाता ओठों से विषाद

छा जात जीवन में वसंत
लुट जाता चिर संचित चिराग,
आँखे देती सर्वस्व वार !

4 comments:

  1. मेरी प्रिय रचनाओं में से एक है।
    आभार आपका इसे पढ़वाने के लिए।

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  2. बहुत ही अच्छी लगती है यह कविता।

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  3. वाह बेहतरीन कविता।
    पढ़वाने के लिए आभार आपका
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com/

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  4. पहली बार आपके ब्लॉग पैर ए है सभी रचनायें बहुत सुंदर है

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