जो तुम आ जाते एक बार
( महादेवी वर्मा)
जो तुम आ जाते एक बार !
कितनी करूणा कितने संदेश
पथ मे बिछ जाते बन पराग ;
गाता प्राणों का तार तार
अनुराग भरा उन्माद राग,
आँसू लेते वे पद पखार !
हँस उठते पल में आर्द्र नयन
धुल डाता ओठों से विषाद
छा जात जीवन में वसंत
लुट जाता चिर संचित चिराग,
आँखे देती सर्वस्व वार !
मेरी प्रिय रचनाओं में से एक है।
ReplyDeleteआभार आपका इसे पढ़वाने के लिए।
बहुत ही अच्छी लगती है यह कविता।
ReplyDeleteवाह बेहतरीन कविता।
ReplyDeleteपढ़वाने के लिए आभार आपका
http://sanjaybhaskar.blogspot.com/
पहली बार आपके ब्लॉग पैर ए है सभी रचनायें बहुत सुंदर है
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