लघु कथा
जनवरी के ठंड में दो दिन से रो-रोकर कुत्ते की आवाज सुनाई पड़ रही थी।
जिस घर के दर पर जाकर कुत्ता रोने लगता, घर का मालिक डंडा दिखाकर उसे वहां से भगा देता। कुत्ते का रोना पूरी गली में चर्चा का विषय बन गया था।
एक ने कहा-‘कुत्ते का रोना अशुभ संकेत है। तेईस नंबर वालों के यहां राम दयाल जी बीमार हैं, कहीं !’
जनवरी के ठंड में दो दिन से रो-रोकर कुत्ते की आवाज सुनाई पड़ रही थी।
जिस घर के दर पर जाकर कुत्ता रोने लगता, घर का मालिक डंडा दिखाकर उसे वहां से भगा देता। कुत्ते का रोना पूरी गली में चर्चा का विषय बन गया था।
एक ने कहा-‘कुत्ते का रोना अशुभ संकेत है। तेईस नंबर वालों के यहां राम दयाल जी बीमार हैं, कहीं !’
दूसरे ने पहले की बात का समर्थन करते हुए कहा, ‘सुना है कुत्ते को यम के दूत दिखाई दे जाते हैं। राम भला करे।‘
तीसरे ने कहा-‘कल गली के नुक्क्ड़ पर कार और स्कूटर का एक्सीडेंट हो गया था। स्कूटर वाले लड़के को बहुत चोट लगी थी। भगवान उसकी रक्षा करें।‘
चौथा कहां चुप रहने वाला था, ‘तुरंत बोला -'लगता है किसी आदमी की आत्मा इसमें प्रवेश कर गयी है। तभी तो यह आदमी की तरह रो रहा है।‘ पाचँवा जो सबकी बातें चुपचाप सुन रहा था, क्षोभ से भरकर बोला, वह कुत्त्ता अब मेरे घर में है। उसके पांव में काँच का टुकड़ा गड़ा हुआ था, जिससे उसे बहुत कष्ट हो रहा था। किसी ने भी उसके दर्द को समझने की कोशिश नही की।सभी ने उसके रोने को अपशकुन समझ कर उसे भगाते रहने में ही अपनी भलाई समझी।
(इस लघु कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कृपया अपने-अपने विचारों से अवगत कराएं।)
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(इस लघु कथा से हमें क्या शिक्षा मिलती है, कृपया अपने-अपने विचारों से अवगत कराएं।)
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हमें जानवरों एवं पक्षियों का भी रोना उसी अर्थ में लेना चाहिए जिस अर्थ में हम आदमी का रोना लेते हैं | जिस तरह कोई भयंकर कष्ट होने पर मनुष्य रोता है ठीक उसी तरह कोई मानसिक अथवा शारीरिक कष्ट ही पशु-पक्षियों को भी रोने को विवश करता है | कुल मिलाकर संवेदन शील होना जरूरी है |
ReplyDeleteबिना देखे समझे, सोचे विचारे कोइ राय नहीं बनानी चाहिए.. और मानव ह्रदय बड़ा डरपोक है,हर बात में अपशकुन ही सोचता है (दुसरे का)!! एक आदमी को लंगड़ाता देख लोंग उसकी बीमारी का कारण खोजने लगे.. बाद में पता चला कि उसकी चप्पल टूटी थी इसलिए वो लंगड़ा रहा था..
ReplyDeleteसमाज में अभी भी अनेक अन्धविश्वास व्याप्त है..जिनमे जानवरों का रोना भी एक है..हमें उन्हें संवेदना से जोड़ना चाहिए...
ReplyDeleteबिना सोचे समझे हमें किसी के बारे में कोई राय नही बनाना चाहिए।
ReplyDeleteविषयों को जोड़कर बनाये रखने से रोचकता बनी रहती है, पर स्वयं न उलझ जायें उसमे।
ReplyDeleteअच्छी लघु कथा ....
ReplyDeleteपर अधिकतर कुत्ते-बिल्लियाँ अपनी शारीरिक पूर्ति के लिए
रोने जैसी आवाजें निकालते हैं ...
शायद वे अपनी भाषा में साथी को पुकारते हैं ...
प्रेम जी अगर आप क्षणिकाएं लिखते हों तो अपनी दस, बारह क्षणिकाएं सरस्वती-सुमन पत्रिका के लिए भेजिए
साथ में अपना संक्षिप्त परिचय और छाया चित्र भी .....
इस पते या मेल पर ......
harkirat 'heer'
18 east lane , sunderpur
house no. 5
Guwahaati-781005
ASSAM
ya
harkiratheer@yahoo.in
best laghukatha.
ReplyDeleteअंधविश्वासों की अति...
ReplyDeletedekho iss bejubaan ke dard ko samajh kar
ReplyDeletena karo in par thoda bhi atyachar
apni wafa se dosto ye lutayega pyar hi pyar
yaha par salah muft me milti he
ReplyDeleteहमें अंधविश्वासी नहीं होना चाहिए।
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