‘न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर’
“मुझे अच्छे सेक्स की जरूरत होती है । जब आप सेक्स के लायक नही रह जाते तो समझ लीजिए कि दुनिया छोड़ने का वक्त आ गया है लेकिन हाँ, मैं आज भी रूमानी कल्पनाएं करता हूँ।“ -खुशवंत सिंह
ढूँढ़ता फिरता हूँ मैं ऐ इकबाल अपने–आपको,
आप ही गोया मुशाफिर,आप ही मँजिल हूँ मैं।
(प्रस्तुतकर्ताः प्रेम सागर सिंह)
खुशवंत सिंह का जन्म 15 अगस्त,1915 को ‘हडाली’ ( अब पाकिस्तान में) हुआ था । उन्होंने लाहौर से स्नातक तथा किंग्स कॉलेज, लंदन से एल-एल बी पास किया था । 1939 से 1947 तक लाहौर हाईकोर्ट में वकालत किया एवं विभाजन के पश्चात ‘भारत की राजनयिक सेवा’ के अंतर्गत ‘कनाड़ा’ में ‘सूचना अधिकारी’ तथा इंग्लैंड में भारतीय उच्चायुक्त के ‘प्रेस अटैची’ भी रह चुके हैं। कुछ वर्षों तक इन्होंने ‘प्रिंस्टन’ तथा ‘स्वार्थमोर विश्वविद्यालय’ में अध्यापन भी किया । भारत लौट कर वे नौ वर्षों तक ‘इलस्ट्रेटेड वीकली’ तथा तीन वर्षों तक ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ का कुशल संपादन भी किया । इनकी विद्वता, पत्रकारिता एवं साहित्यिक सेवाओं के कारण भारत सरकार ने उन्हे 1974 में ‘पद्मभूषण’ की उपाधि प्रदान कर सम्मानित किया । बाद में ‘ऑपरेशन ब्लू’ स्टार के खिलाफ गुस्सा जताते हुए उसे लौटा दिया । वे 1980 में ‘राज्य सभा’ के सदस्य भी मनोनीत किए गए। इनकी कृतियों एवं उपलब्धियों को ध्यान में रखते हुए हमें स्वीकार करना पड़ेगा कि वे एक बहु-प्रतिभाशाली लेखक हैं जिन्होंने अलग-अलग विधाओं और विषयों पर पर भरपूर लिखा है । जहाँ एक ओर वे शराब और शबाब में डूबे ‘औरतें’ और ‘समुद्र की लहरों’ में जैसे बेस्टसेलर उपन्य़ास लिखे हैं तो दूसरी ओर भारत के विभाजन की पीड़ा को दर्शाते हुए A train to Pakistan जैसा दिल छू लेने वाला उपन्यास भी लिखा है । सिख धर्म के प्रति उनका बहुत श्रद्धा और आस्था है और उन्होंने सिख कौम पर एक वृहत प्रामाणिक इतिहास भी लिखा है । उन्हे उर्दू शायरी से बहुत लगाव है। उन्होंने कई जाने-माने शायरों की शायरी का अंग्रेजी में अनुवाद किया है । इसके अतिरिक्त खुशवंत सिंह ने भारत की संस्कृति, इतिहास और अनेक सामयिक विषयों पर भी लिखा है और व्यंग के मामलों में तो वे अपने चुटकुलों के कारण मशहूर हैं । विवादों में रहने वाले खुशवंत सिंह अपनी साफगोई और बेखौफ फिदरत के लिए जाने जाते हैं। अंग्रेजी-हिंदी में समान रूप से पढ़े जाने वाले खुशवंत सिंह अपने जीवन के आखिरी छोर पर पहुँच कर भी युवा उर्जा एवं रचनात्मकता से भरपूर हैं। इनकी जिंदगी एक खुली किताब है लेकिन इनके जीवन के कुछ ऐसे पहलू हैं जो दुनिया के सामने नही आए । एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने मौत के बारे में जिक्र करने पर कहा कि मैं 94 में टीके रहना चाहता हूं । उस दुर्लभ मौके पर उन्होंने घंटे भर से ज्यादा मौत के दर्शन पर बातचीत की थी । खिड़की के बाहर देखते हुए उन्होंने कहा था-“मैं अक्सर उस पेड़ को देख कर सोचा करता हूँ कि इसे कब तक देख पाउंगा । मैंने इसे अपने साथ ही बढ़ते हुए देखा है।“ मैं मानसिक तौर पर फिट हूँ, मगर मेरी शक्ति खत्म हो रही है । अपनी पत्नी की बीमारी से भी उन पर कफी असर पड़ा । भारत के सबसे चर्चित लेखक का स्तंभ ‘न काहू से दोस्ती,न काहू से बैर’ पाठकों के बीच प्रिय रहा है । सेक्स के कलेवर में लिपटी हुई मजेदार फंतासियों का ये किस्सागोइ और 30 से ज्यादा किताबों का यह लेखक जीवन के प्रति आज भी पूरी तरह से केंद्रित है । उनके पुत्र राहुल ने भी स्वीकार किया है कि हर शाम व्हिस्की के दो पेग और उनकी तमाम महिला मित्र अपनी रूमानी जिंदगी को मजेदार बनाने के लिए हर दिन उनसे सलाह लेने के लिए इकठ्ठा होती हैं जिसके कारण आज भी वे चलायमान हैं । हर शाम इलस्ट्रेटेड वीकली का ये पूर्व संपादक अपने लिविंग रूम में बैठक जमाता है जिसमें गिने-चुने लोग ही शामिल होते हैं। उनके मुख्य दरवाजे पर एक बोर्ड टंगा रहता है – ‘अगर आप आमंत्रित नही हैं तो घंटी न बजाएं ।“ इस एक घंटे का भरपूर लुफ्त उठाने के लिए खुशवंत सिंह एक अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हैं । उनके मानसिक स्वास्थ्य का राज सिर्फ इनकी महिला मित्र ही नही बल्कि शायरी और हँसी–मजाक भी है जिसकी खुराक वे आज भी लेते हैं । कुछ सालों पहले तहलका के साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा था कि वे आज भी बढ़िया सेक्स की कमी महसूस कर रहे है । मैं काफी दिनों से बढ़िया सेक्स आनंद नही ले पा रहा हूँ। कोई आदमी जिस दिन बढ़िया सेक्स नही कर पाए समझ लीजिए उसके जाने का वक्त हो गया है, लेकिन आज भी मैं रूमानी कल्पनाएं करता हूँ । व्यंग और कटाक्ष उनके जीवन का हिस्सा रहा है । वे अपने साप्ताहिक स्तंभ “न काहू से दोस्ती न काहू से बैर “ के माध्यम से यह संदश देते हैं कि उन्हे आज भी जिंदगी से उतना ही प्रेम है । उन्होंने सब कुछ दान कर दिया है। वे कहते हैं उनके पास एक फूटी कौड़ी भी नही है ,बावजूद इसके की उनके पास देने के लिए बहुत कुछ है जिसे वे समय-समय पर पाठकों को देते कहते हैं । उनकी हर पुस्तक चर्चा का विषय बनती है और ‘सनसेट क्लब’ भी चर्चा का विषय बन गया है । इसका कारण यह है कि इस पुस्तक को उन्होंमे 95 वर्ष की उमर में लिखा है और उनका ऐसा कहना है कि यह उनका आखिरी उपन्यास होगा । वे एक प्रख्यात पत्रकार, स्तंभकार और उपन्यासकार हैं । ‘पद्मभूषण’ और ‘पद्मविभूषण’ से सम्मानित उनका कहानी कहने का अंदाज पाठकों में खासा लोकप्रिय है । उनकी लोकप्रिय पुस्तकें हैं—1. दस प्रतिनिधि कविताएं 2.औरतें 3.जन्नत 4.पाकिस्तान मेल 5.मेरा भारत 6.लहूलुहान मंजाब 7, मेरे साक्षात्कार 8.सच, प्यार और थोड़ी सी शरारत 9 सनसेट क्लब 10. दिल्ली 11, समुद्र की लहरें( Hindi Translation of Burial at Sea ) 12.सिख इतिहास भाग-2 एवं अंग्रेजी में लिखित पुस्तकें । खुशवंत सिंह अपनी रचनाओं के कारण पूरी दुनिया के प्रबुद्ध लोगों की महफिल में शमाँ बनकर जलते रहेंगे एवं आज भी उम्र की इस दहलीज पर पहुँच कर भी यह मस्त सरदार पीछे मुड़ कर नही देखता है। हिंदी साहित्य के साथ-साथ अंग्रेजी साहित्य में समान अधिकार रखने वाले खुशवंत सिंह ने हम सबको जो कुछ भी दिया है उसे भूल पाना शायद संभव नही होगा । उनकी अक्षय कृतियों को ध्यान में रखते हुए मन में एक कसक तो जरूर उठेगी – “जिक्र होगा जब तेरे कयामत का तो तेरे जलवों की भी बात होगी।“ अनुरोध है कि इन कथ्यों के साथ अपने विचारों को खंगालकर अपनी टिप्पणी देने की कृपा करें ताकि भविष्य में भी मैं कुछ इन जैसे रचनाकारों के बारे में जो भी ज्ञान मेर पास है, या संकलित किया है, उसे आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर सकूँ । आप सबके प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद सहित ।
‘भूल कर तो देखो एक बार हमें,
जिंदगी की हर अदा तुमसे रूठ जाएगी।।
जब भी सोचोगे अपने बारे में,
तुम्हे हमारी याद जरूर आएगी।।‘
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खुशवंत सिंह के बारे में जानकारीपरक इस आलेख के लिए आभार!!!
ReplyDeleteखुशवंत सिंह जी,प्रबुद्ध विद्वान जाने माने लेखक एवं कई भाषाओँ जानकार रूमानी व्यक्तित्व के मालिक थे,...सुंदर जानकारी के लिए
ReplyDeleteधन्यवाद,.........
Very nice post about Khushawant Singh. Really your every post remains full of knowledge.And gives good amount of information.Thanks.
ReplyDeleteVery nice and informative post on Khushawant Singh.Thanks.
ReplyDeleteखुशवंत सिंह जी का विस्तृत और सुन्दर जीवन परिचय दिया है आपने ।
ReplyDeleteउनके कॉलम को हर शनिवार एच टी में पढता हूँ । बहुत बिंदास लेखक हैं ।
लेख के अंत में एक लतीफा होता है जिसे मैं पढना कभी नहीं भूलता ।
भूल कर तो देखो एक बार हमें,
ReplyDeleteजिंदगी की हर अदा तुमसे रूठ जाएगी।।
जब भी सोचोगे अपने बारे में,
तुम्हे हमारी याद जरूर आएगी।।‘
-खुशवंत सिंह के न जाने कितने साक्षात्कार, आलेख, उन पर केन्द्रित बातचीत- जब भी गुजरो, एक मस्त जिन्दगी का चेहरा नजर आता है...एक ९६ साल का जवान...और क्या कहें इनको!
एक जिंदादिल इंसान का परिचय कराने के लिए आभार आपका ! खुशवंत चिरायु रहें ...
ReplyDeleteखुशवंत सिंह बहुत ही जिंदादिल और बेबाकी से जीने वाले बुद्धिजीवी हैं. अच्छी जानकारी प्रस्तुत की आपने. आभार.
ReplyDeleteजानकारी के लिए शुक्रिया! खुशवंत जी सदैव एक बेवाक और बहुआयामी व्यक्तित्व और प्रतिभा के लिए सराहे जायेंगे!
ReplyDeleteखुशवंत सिंह के व्यक्तित्व तथा कृतित्व पर बहुत ही विस्तार्पूर्वक जानकारी प्रदान की है. धन्यवाद.
ReplyDeleteखुशवंत सिंह जी का विस्तृत परिचय बहुत सुंदर लगा. शुभकामनायें और धन्यबाद.
ReplyDeleteअरूण कुमार निगम एवं रचना दीक्षित जी आपका आभार ।
ReplyDeleteखुशवंत सिंह जी के बारे में आपने बहुत सुन्दरता से एवं विस्तारित रूप से लिखा है ! अच्छी जानकारी मिली! धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरे नये पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
http://seawave-babli.blogspot.com/
उर्मी जी आपका आभार ।
ReplyDeleteखुशवंत सिंह वाकई साहित्य जगत के एक अनूठे साहित्यकार हैं ...एक अच्छी जानकारी के लिए आभार .
ReplyDelete‘भूल कर तो देखो एक बार हमें,
ReplyDeleteजिंदगी की हर अदा तुमसे रूठ जाएगी।।
जब भी सोचोगे अपने बारे में,
तुम्हे हमारी याद जरूर आएगी।।‘bahut badhiya prastuti.thanks.
aise vyaktitv bahut kam hain. aaj inki vistrit jankari mili. aabhar.
ReplyDeleteवाकई...खुशवंत जी के जीने का अंदाज़ जिंदादिली काबिले तारीफ है..
ReplyDeleteधन्यवाद....
jaankaareepoorn aalekh par badhaaee.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और विस्तृत जानकारी...आभार|
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteखुशवन्त सिंह के बारे में पढ़कर अच्छा लगा!
डॉ रूपचंद शास्त्री मयंक जी आपका आभार ।
ReplyDeletebahut hee sundar jaankaari dee aapne sir.
ReplyDeleteखुशवंत सिंह जी अपने किस्म के अकेले इंसान हैं।
ReplyDeleteबढि़या आलेख।
खुशवंत सिंह जी के बारे में अच्छी जानकारी मिली| धन्यवाद|
ReplyDeleteखुशवंत सिंह जी के बारे में अच्छी जानकारी मिली| धन्यवाद|
ReplyDeletekhuswant sing ji ke baare me adbhut jaankari...in mahan logon ka hausla dekhkar man ko kuch kar gujarne kee prerna milti hai.
ReplyDeleteखुस्वंत सिंह बड़े जीवट व्यक्तित्वा के इंसान हैं
ReplyDeleteबहुत कुछ पढ़ा है इनके बारे में और इनका लिखा भी। आपने जो जानकारी भरा लेख खुशवन्त सिंह पर लिखा है, यह भी बहुत सी नई जानकारी मुझे दे गया। आपका धन्यवाद।
ReplyDeleteखुशवंत जी को पढना हमेशा रोचक रहा..एक ऐसा व्यक्तित्व जो चिर युवा है...बहुत सुंदर और रोचक आलेख...
ReplyDeleteशायद यहाँ खुशवंत के बहुत प्रशंसक होंगे मगर गद्दार और भगत सिंह के हत्यारे शोभा सिंह के रंगीली मानसिकता वाले पुत्र के लिए मेरे हृदय में कोई स्थान या हमदर्दी नहीं...
ReplyDeleteसभी प्रबुद्ध जानो से क्षमा याचना के साथ
आशुतोष
खुशवंत सिंग को तो विदेश में होना चाहिए गलती से हिंदुस्तान में आ गए........
ReplyDeleteखुशवंत सिंह के विस्तृत जीवन परिचय के लिए आभार!!
ReplyDeletekhushvant singh ke bare me jankar achchha laga
ReplyDeletedhnyavad
rachana
मेरे नए पोस्ट के लिये,काव्यान्जलि ...: महत्व .....
ReplyDeleteNicely written and thanks for sharing:)
ReplyDeleteखुशवंतजी ने अपना मन व्यक्त करने में कभी संकोच ही नहीं किया।
ReplyDeletekhushwant ji ki kai kitaabein padhi hun. bahut kamaal kee sakhsiyat hai unki. likhne aur jine ka andaaz bhi bindaas hai. paper mein unke collum padhna har baar anokha lagta hai. aur chutkule bhi kamal ke. inka vistrit parichay dene ke liye dhanyawaad.
ReplyDeleteKhushwant singh pe aalekh bahut badhiya laga. Bada nidar wyaktitv hai unka.
ReplyDeleteखुशवंत सिंह के विस्तृत जीवन परिचय के लिए आभार.
ReplyDeletekhushvant singh ji ke vishya me padhkar achcha laga.inka novel..train to pakistan maine padhi hai.bahut achchi book hai.
ReplyDeleteब्लॉग पर आगमन और समर्थन प्रदान करने का आभार, धन्यवाद.
ReplyDeleteसार्थक, सामयिक पोस्ट, आभार.
खुशवंत सिंह ने कभी अपने को व्यक्त करने में कोई शर्म हिचक का अनुभव नहीं किया है...उनपर आपका यह लेख सार्थक है
ReplyDeletekhushwant ji ke vishay me vistrut jankari ke liye aabhar...
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