Thursday, November 3, 2011

पथ की पहचान

प्रस्तुतकर्त्ताः प्रेम सागर सिंह (हरिवंश राय बच्चन)

पथ की पहचान

पूर्व चलने के, बटोही

बाट की पहचान कर ले।

पुस्तकों में है नही

छापी गई इसकी कहानी

हाल इसका ज्ञात होता

है न औरों की जबानी ।

अनगिनत राही गए इस

राह से उनका पता क्या ,

पर गए कुछ लोग इस पर

छो़ड़ पैरों की निशानी ।

यह निशानी मूक होकर

भी बहुत कुछ बोलती है,

खोल इसका अर्थ पंथी,

पंथ का अनुमान कर ले ।

पूर्व चलने के बटोही

बाट की पहचान कर ले ।

यह बुरा है या कि अच्छा

व्यर्थ दिन भर इस पर बिताना,

जब असंभव, छोड़ यह पथ

दूसरे पर पग बढ़ाना,

तू इसे अच्छा समझ

यात्रा सरल इससे बनेगी,

सोच मत केवल तुझे ही

यह पड़ा मन में बिठाना।

हर सफलपंथी यही

विश्वास ले इस पर अड़ा है

तू इसी पर आज अपने

चित्त का अवधान कर ले।

पूर्व चलने के बटोही

बाट की पहचान कर ले।

है अनिश्चित, किस जगह पर

सरित, गिरि गह्वर मिलेंगे,

है अनिश्चित, किस जगह पर

बाग,वन सुंदर मिलेंगे,

किस जगह यात्रा खतम हो

जायेगी, यह भी अनिश्चित,

अनिश्चित कब सुमन, कब

कँटकों के शर मिलेंगे,

कौन सहसा छूट जाएंगे

मिलेंगे कौन सहसा

आ पड़े कुछ भी, रूकेगा

तू न ऐसी आन कर ले,

पूर्व चलने, के बटोही

बाट की पहचान कर ले ।

16 comments:

  1. पढ़कर पुनः अच्छा लगा।

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  2. अच्छी कविता को फिर से पढ़ना और भी अच्छा लगा ...
    आभार!

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  3. धन्यवाद...एक बहुत अच्छी रचना प्रस्तुत करने के लिए...बच्चन साहब की हर कृति मुझे प्रिय है..

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  4. pahli baar aapke blog par aaya hun... achi rachna lagi...
    mere blog par aane ke liye dhanywaad.....
    jai hind jai bharat

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  5. aadarniy sir
    aapki prastut rachna man me ek naya utsaah jagaati hai.
    sach likha hai aapne yadi ek rasta band ho to dusari taraf kadam badha lena chahiye.
    है अनिश्चित, किस जगह पर

    बाग,वन सुंदर मिलेंगे,

    किस जगह यात्रा खतम हो

    जायेगी, यह भी अनिश्चित,

    अनिश्चित कब सुमन, कब

    कँटकों के शर मिलेंगे,
    bahut hi badhiya lagi ye panktiyan bas inhe apni dayri me likhne ja rahi hun.
    sadar naman
    poonam

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  6. जब असंभव, छोड़ यह पथ

    दूसरे पर पग बढ़ाना,

    तू इसे अच्छा समझ
    यात्रा सरल इससे बनेगी,....

    पानी अगर खड़ा रहे तो वह सड़ने लगता है ......

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  7. हमारे कोर्स में थी यह कविता.. एक प्रेरणादायी रचना.., बच्चन जी की कई ऐसी ही कविताओं की तरह!!

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  8. सलील वर्मा जी आपका आभार ।

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  9. बहुत सुन्दर....
    सादर आभार मेरे प्रिय रचनाकार की इतनी सुन्दर प्रेरक गीत को साझा करने के लिये....

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  10. बहुत प्रभावशाली और सशक्त कविता....अच्छी कविता को पढ़ना अच्छा लगा ...

    संजय भास्कर
    आदत....मुस्कुराने की
    पर आपका स्वागत है
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  11. पढवाने के लिए आभार!

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