काफिला मिल गया था मुझे-
कुछ अक्लमंदों का
और तब से साल रहा है मुझे
यह गम
कि जिंदगी बड़ी बेहिसाबी से मैंने
खर्च कर डाली है
पर जाने कौन आकर
हवा के पंखों पर
चिड़ियों की चहचहाहट में
मुझे कह जाता है-
जिंदगी का हिसाब तुम भी अगर करने लगे
तो जिंदगी किस को बिठाकर अपने पास
बड़े प्यार से
महुआई जाम पिलाएगी !
किसके साथ रचाएगी वह होली
सतरंगी गुलाल की !
किसके पास बेचारी तब
दुख-दर्द अपना लेकर जाएगी !
कह जाता है मुझे कोई रोज
चुपके-चुपके, सुबह-सुबह।
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बहुत भावपूर्ण
ReplyDeleteबेहद उम्दा
ReplyDeleteकोमल,नरम और मधुर!!!
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeletebahut bahut shubhkaamna
आप सब को धन्यवाद।
ReplyDeleteभावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबेहद उम्दा अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत खूब.
ReplyDeleteसुन्दर रचना !
ReplyDeleteश्रीवास्तव जी बहुत- बहुत धन्यवाद।
ReplyDeleteभावपूर्ण रचना....अच्छा जीवन दर्शन
ReplyDeleteआदरणीय प्रेम सागर सिंह जी
ReplyDeleteसादर अभिवादन !
आपके यहां नियमित नहीं पहुंच पाने का अफ़सोस है …
श्रेष्ठ सुंदर रचनाओं से वंचित रह जाता हूं …
…जाने कौन आकर
हवा के पंखों पर
चिड़ियों की चहचहाहट में
मुझे कह जाता है-
जिंदगी का हिसाब तुम भी अगर करने लगे
तो जिंदगी किस को बिठाकर अपने पास
बड़े प्यार से
महुआई जाम पिलाएगी !
बहुत सुंदर कविता है ! बधाई !
आपकी कुछ पुरानी प्रविष्टियां भी अभी पढ़ने के लिए खोली हैं …
* शुभकामनाएं ! *
- राजेन्द्र स्वर्णकार
स्वर्णकार जी,
ReplyDeleteएक लंबे अंतराल के बाद मेरे पोस्ट पर आपका आगमन मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है।आपको भी शुभकामनाएं।
बहुत सुन्दर भाव कई बार हम अपनी प्राथमिकताओं से कुछ जीवन के सहज सुन्दर पल निकाल देते हैं , जीवन की भाग दौद मे कहाँ किसी सहज सुख का भी आनन्द ले प्क़ाते हैं आपने मेरे दिल की बात लिखी है बहुत दिन से घर मे व्यस्त रहते हुये नेट से कुछ दूर रही और तब जाना उन सुखद क्षणों को बच्चों की किलकारिओं को उनके साथ जीवन के सहज पलों को इसी लिये सब के ब्लाग पर रोज़ नही आ पा रही हूँ बस 2-3 दिन की बात है। फिर वही सफर शुरू कर दूँगी लेकिन इन क्षणो ने कुछ रहत तो दी है। धन्यवाद सुन्दर रचना के लिये।
ReplyDeleteमनोभावों को बेहद खूबसूरती से पिरोया है आपने.....बधाई।
ReplyDeleteनिर्मला कपिला जी एवं डा वर्षा सिंह जी,
ReplyDeleteआप सब के दो शव्द ही सही मुझे अच्छे लगते हैं।आप सब ने मेरी भावनाओं को समझा और सराहा-मेरे लिए यही काफी है।धन्यवाद।
आप तो बहुत शानदार लिखते हैं... प्रेम सरोवर का पानी तो बहुत सुकून देने वाला है...
ReplyDeleteमेरी तरफ से बधाई सवीकार करें