Sunday, September 30, 2012

नवगीत: कुमार रवींद्र


नवगीत के विशिष्ट शिल्पकार कुमार रवींद्र जी अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से अलंकृत है। अब तक उनके पांच नवगीत संग्रहों के अतिरिक्त पांच काव्य नाटक, एक अंग्रेजी कविताओं और एक मुक्तछंद एवं लंबी कविताओं का संग्रह प्रकाशित हो चुका है। प्रस्तुत है, उनका नवगीत दिन सुखी होगा


प्रस्तुतकर्ता: प्रेम सागर सिंह


 दिन सुखी होगा


एक चुटकी नेह संग
सूरज भिगाओ ताल में
दिन सुखी होगा

बंधु, मानो
यही नुस्खा है गझिन मधुमास का
आरती करती हवाओं की
नई बू -बास का

नही बीजो वेदना
जो रही पिछले साल में
दिन सुखी होगा।

आम फूला
सगुनपाखी कर रहा रितुगान है
कहीं वंशी बजी
वह भी नेह का वरदान है

इन्हे साधो
काम आएँगे कठिन दुष्काल में
दिन सुखी होगा

देह में जो इंद्रधनुषी याचना है
उसे टेरो
व्यर्थ की चिंताओं की
भाई, सुमरिनी नही फेरो

हाट ने जो बुना जादू
मत फसो उस जाल में
दिन सुखी होगा



( www.premsarovar.blogspot.com)


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13 comments:

  1. नही बीजो वेदना
    जो रही पिछले साल में
    दिन सुखी होगा।
    काश ,सबके समझ में आजाती कितने फ़साद टल जाते !!

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  2. देह में जो इंद्रधनुषी याचना है
    उसे टेरो
    व्यर्थ की चिंताओं की
    भाई, सुमरिनी नही फेरो

    हाट ने जो बुना जादू
    मत फसो उस जाल में
    दिन सुखी होगा

    बहुत सुन्दर भावों से भरी

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  3. हाट ने जो बुना जादू
    मत फसो उस जाल में
    दिन सुखी होगा

    really nice.

    mere blog par aayiye or mere swal padiye meri post KYUN???

    http://udaari.blogspot.in

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  4. सुन्दर....
    बहुत सुन्दर.....

    regards
    anu

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  5. बहुत सुन्दर,बहुत सार्थक !

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  6. बहुत बढ़िया |

    आभार आपका ||

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  7. इतना सुन्दर, प्रेरणादायक नवगीत हम तक पहुँचाने का बहुत बहुत आभार

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  8. बहुत अच्छी कृति |

    regards.
    -आकाश

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  9. वाह!बहुत सुन्दर.
    लाजबाब प्रस्तुति.
    शेयर करने के लिए आभार.

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  10. बहुत सुंदर रचना..नि:शब्‍द

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