‘न न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर- खुशवंत सिंह (खुशवंत सिंह) (“मुझे अच्छे सेक्स की कमी महसूस होती है। जब आप सेक्स के लायक नहीं रह जाते तो समझ लीजिए कि दुनिया छोड़ने का वक्त आ गया है.लेकिन हां , मैं आज भी रूमानी कल्पनाएं करता हूं। “) – खुशवंत सिंह खुशवंत सिंह एक बहु-प्रतिभाशाली लेखक हैं जिन्होंने अलग-अलग विधाओं और विषयों पर भरपूर लिखा है। जहां एक ओर उन्होंने शराब और शबाब मेंडूबे ‘औरतें’ और ‘समुद्र की लहरों’ में जैसे बैस्टसैलर उपन्यास लिखे हैं तो दूसरी ओर भारत के विभाजन की पीड़ा को दर्शाते हुए ‘ए ट्रेन टू पाकिस्तान’ जैसा दिल को छू लेने वाला उपन्यास भी लिखा है। सिख धर्म के प्रति उनकी बहुत श्रद्धा और आस्था है और उन्होंने सिख कौम पर एक बृहत् प्रामाणिक इतिहास लिखा है। उन्हें उर्दू शायरी से बहुत लगाव है और उन्होंने कई जाने-माने शायरों की शायरी का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। इसके अतिरिक्त खुशवंत सिंह ने भारत की संस्कृति, इतिहास और अनेक सामायिक विषयों पर भी लिखा है और व्यंग्य के मामले में तो वे अपने चुटकुलों के कारण मशहूर हैं। विवादों में रहने वाले लेखक खुशवंत सिंह अपनी साफगोई और बेखौफ फितरत के लिए जाने जाते हैं। अंग्रेजी-हिंदी में समान रूप से पढे जाने वाले खुशवंत 94 की उम्र में भी युवा ऊर्जा एवं रचनात्मकता से भरपूर हैं। हमेशा कुछ न कुछ करते रहना इन्हें अच्छा लगता है। यूं तो इनकी जिंदगी एक खुली किताब की तरह रही है, लेकिन इनके जीवन के कुछ ऐसे पहलू भी हैं, जो पूरी तरह दुनिया के सामने नहीं आए। खुशवंत सिंह, उम्र: 94 ‘मैं टिके रहना चाहता हूं लेकिन मुझे पता है कि अब मेरा वक्त करीब है,’ चार साल पहले मनमौजी सरदार खुशवंत सिंह ने मौत के जिक्र पर ये बात कही थी। उस दुर्लभ मौके पर उन्होंने घंटे भर से ज्यादा मौत के दर्शन पर बातचीत की थी। खिड़की के बाहर देखते हुए उन्होंने कहा था, ‘मैं अक्सर उस पेड़ को देख कर सोचा करता हूं कि मैं इसे कब तक देख पाऊंगा । मैंने इसे अपने साथ ही बढ़ते हुए देखा है. मैं मानसिक तौर पर फिट हूं मगर मेरी शक्ति खत्म हो रही है। मैंने अपनी पत्नी को मानसिक तौर पर असंतुलित होते हुए देखा और बाद में उसकी बहुत दुर्दशा हुई. मुझे भी उस स्थिति के लिए तैयार रहना होगा.’शायद भारत के सबसे चर्चित लेखक. उनका स्तंभ न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर आज भी पाठकों के बीच लोकप्रिय है इन दिनों वे एक और किताब लिख रहे हैं, इसका विषय क्या है, ये जानने का एक ही तरीका है और वह है इंतजार हालांकि सेक्स के कलेवर में लिपटी हुई मजेदार फंतासियों का ये किस्सागोई और 30 से ज्यादा किताबों का ये लेखक जीवन के प्रति आज भी पूरी तरह से केंद्रित है. उनके बेटे राहुल सिंह से पूछने पर कि आखिर क्या चीज उनके पिता को अभी भी चलायमान रखे हुए है, तुरंत ही उत्तर मिलता है, ‘हर शाम व्हिस्की के दो पेग और उनकी तमाम महिला मित्र जो अपनी रूमानी जिंदगी को और मजेदार बनाने के लिए हर दिन उनसे सलाह लेने के लिए इकट्ठा होती हैं.’ हर शाम, बेनागा, 7 से 8 बजे के बीच इलस्ट्रेटेड वीकली का ये पूर्व संपादक अपने लिविंग रूम में बैठक जमाता है जिसमें गिने-चुने लोग ही शामिल होते हैं. उनके मुख्य दरवाजे पर हमेशा एक बोर्ड टंगा होता है-‘अगर आप आमंत्रित नहीं है तो घंटी न बजाएं’. इस एक घंटे का भरपूर लुत्फ उठाने के लिए खुशवंत सिंह बेहद अनुशासित दिनचर्या का पालन करते हैं। खुशवंत सिंह के मानसिक स्वास्थ्य का राज सिर्फ उनकी महिला मित्र ही नहीं बल्कि शायरी और हंसी-मजाक भी है जिसकी खुराक वे आज भी रोजाना लेते हैं। चार साल पहले तहलका के साथ साक्षात्कार में ये पूछे जाने पर कि वे सबसे ज्यादा किस चीज की कमी महसूस करते हैं, उनका जवाब था, ‘बढ़िया सेक्स । मैं काफी समय से बढ़िया सेक्स का आनंद नहीं ले पा रहा हूं। कोई आदमी जिस दिन बढ़िया सेक्स न कर पाए समझ लीजिए उसके जाने का वक्त हो गया है. लेकिन हां, मैं रूमानी कल्पनाएं करता हूं.’ व्यंग्य और कटाक्ष उनके जीवन का हिस्सा रहा है, यहां तक कि उम्र के बीसवें दशक के दौरान ही उन्होंने खुद की श्रद्धांजलि लिख डाली थी। उनका साप्ताहिक स्तंभ ‘न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर ’ इस बात का सबूत है कि उन्हें जिंदगी से अब भी उतना ही प्रेम है. उन्होंने सब कुछ दान कर दिया है। वे कहते हैं, ‘मेरे पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं है.’ बावजूद इसके उनके पास देने के लिए बहुत कुछ है जिसे वे हफ्ता दर हफ्ता अपने पाठकों तक पहुंचाते रहते हैं। खुशवंत सिंह की हर पुस्तक चर्चा का विषय बनती है और ‘सनसेट क्लब’ भी बहुत चर्चित है। इसका कारण है कि इसे खुशवंत सिंह ने 95 वर्ष की उम्र में लिखा है और उनका ऐसा कहना है कि यह उनका आखिरी उपन्यास होगा। खुशवंत सिंह एक प्रख्यात पत्रकार, स्तंभकार और उपन्यासकार हैं। “पद्मभूषण” और “पद्मविभूषण” से सम्मानित उनका कहानी कहने का अंदाज पाठकों में खासा लोकप्रिय है। इनकी लोकप्रिय पुस्तकें हैं- 1. दस प्रतिनिधि कविताएं 2. औरतें 3. जन्नत 4. पाकिस्तान मेल 5. मेरा भारत 6. लहूलुहान पँजाब 7. मेरे साक्षात्कार 8. सच प्यार और थोड़ी सी शरारत 9. सनसेट क्लब 10. समुद्र की लहरें ( Hindi Translation of Burial at Sea) 11. सिख इतिहास भाग-1 12. सिख इतिहास भाग-2 एवं अंग्रेजी में लिखित पुस्तकें । खुशवंत सिंह अपनी रचनाओं के कारण पूरी दुनिया के प्रबुद्ध लोगों की महफिल में शमाँ बनकर जलते रहेंगे एवं आज भी उम्र की इस दहलीज पर पहुँच कर यह मस्त सरदार पीछे मुड़ कर नही देखता है। हिंदी साहित्य के साथ-साथ अंग्रेजी साहित्य में भी समान अधिकार रखने वाले खुशवंत सिंह ने हम सबको जो कुछ भी दिया है, उसे भूल पाना शायद ही एक मुश्किल काम होगा । उनकी अक्षय कृतियों को ध्यान में रखते हुए मन में एक कसक तो जरूर उठेगी कि –“जिक्र होगा जब तेरे कयामत का तो तेरे जलवों की भी बात होगी।“ यह प्रस्तुति कैसी लगी। अपने विचारों से अवगत कराईएगा । धन्यवाद सहित । भूल कर तो देखो एक बार हमें ! जिंदगी की हर अदा तुमसे रूठ जाएगी !! जब भी सोचोगे अपनों के बारे में ! तुम्हे हमारी याद जरुर आएगी !! ************************************************************* |
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