मैं फूल टाँक रहा हूँ तुम्हारे जूड़े़ में
तुम्हारी आँख मुसर्रत से झुकती जाती है
न जाने आज मैं क्या बात कहने वाला हूँ
ज़बान खुश्क है आवाज़ रुकती जाती है ।
( प्यार अमर है दुनिया में,प्यार कभी नही मरता है.)
मेरे हम सफर उदास न होः साहिर लुधियानवी
(जन्मः 08 मार्च,1921 - निधनः 25 अक्तूबर 1980)
‘‘ पर जिंदगी में तीन समय ऐसे आए हैं- जब मैने अपने अन्दर की सिर्फ औरत को जी भर कर देखा है । उसका रूप इतना भरा पूरा था कि मेरे अन्दर के लेखक का अस्तित्व मेरे ध्यान से विस्मृत हो गया--दूसरी बार ऐसा ही समय मैने तब देखा जब एक दिन “साहिर” मेरे घर आया था तो उसे हल्का सा बुखार चढा हुआ था । उसके गले में दर्द था-सांस खिंचा-खिंचा था, उस दिन उसके गले और छाती पर मैने ‘विक्स’ मली थी । कितनी ही देर मलती रही थी--और तब लगा था, इसी तरह पैरों पर खडे़ खडे़ पोरों से , उंगिलयों से और हथेली से उसकी छाती को हौले –हौले मलते हुये सारी उम्र गुजार सकती हूं । मेरे अंदर की सिर्फ औरत को उस समय दुनिया के किसी कागज कलम की आवश्यकता नहीं थी।“ -- (अमृता प्रीतम)
(प्रेम सागर सिंह)
साहिर लुधियानवी का असली नाम अब्दुल हयी साहिर है। उनका जन्म 8 मार्च 1921 में लुधियाना के एक जागीरदार घराने में हुआ था। हाँलांकि इनके पिता बहुत धनी थे पर माता-पिता में अलगाव होने के कारण उन्हें माता के साथ रहना पड़ा और गरीबी में गुजर करना पड़ा। साहिर की शिक्षा लुधियाना के खालसा हाई स्कूल में हुई। सन् 1939 में जब वे गव्हर्नमेंट कालेज के विद्यार्थी थे अमृता प्रीतम से उनका प्रेम हुआ जो कि असफल रहा । कॉलेज़ के दिनों में वे अपने शेरों के लिए ख्यात हो गए थे और अमृता इनकी प्रशंसक । लेकिन अमृता के घरवालों को ये रास नहीं आया क्योंकि एक तो साहिर मुस्लिम थे और दूसरे गरीब । बाद में अमृता के पिता के कहने पर उन्हें कालेज से निकाल दिया गया। जीविका चलाने के लिये उन्होंने तरह तरह की छोटी-मोटी नौकरियाँ कीं। सन् 1943 में साहिर लाहौर आ गये और उसी वर्ष उन्होंने अपनी पहली कविता संग्रह तल्खियाँ छपवायी। 'तल्खियाँ' के प्रकाशन के बाद से ही उन्हें ख्याति प्राप्त होने लग गई। सन् 1945 में वे प्रसिद्ध उर्दू पत्र अदब-ए-लतीफ़ और शाहकार (लाहौर) के सम्पादक बने। बाद में वे द्वैमासिक पत्रिका सवेरा के भी सम्पादक बने और इस पत्रिका में उनकी किसी रचना को सरकार के विरुद्ध समझे जाने के कारण पाकिस्तान सरकार ने उनके खिलाफ वारण्ट जारी कर दिया। उनके विचार साम्यवादी थे । सन् 1949 में वे दिल्ली आ गये। कुछ दिनों दिल्ली में रहकर वे मुंबई आ गये जहाँ पर व उर्दू पत्रिका शाहराह और प्रीतलड़ी के सम्पादक बने। फिल्म आजादी की राह पर (1949) के लिये उन्होंने पहली बार गीत लिखे किन्तु प्रसिद्धि उन्हें फिल्म नौजवान, जिसके संगीतकार सचिनदेव वर्मन थे, के लिये लिखे गीतों से मिली। फिल्म नौजवान का गाना ठंडी हवायें लहरा के आयें ..... बहुत लोकप्रिय हुआ और आज तक है। बाद में साहिर लुधियानवी ने बाजी, प्यासा, फिर सुबह होगी, कभी-कभी जैसे लोकप्रिय फिल्मों के लिये गीत लिखे। सचिनदेव वर्मन के अलावा एल.दत्ता,शंकर जयकिशन आदि संगीतकारों ने उनके गीतों की धुनें बनाई हैं। 59 वर्ष की अवस्था में 25 अक्टूबर 1980 को दिल का दौरा पड़ने से साहिर लुधियानवी का निधन हो गया। उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने जितना ध्यान औरों पर दिया उतना खुद पर नहीं । वे एक नास्तिक थे तथा उन्होंने आजादी के बाद अपने कई हिन्दू तथा सिख मित्रों की कमी महसूस की जो लाहौर में थे । उनको जीवन में दो प्रेम असफलता मिली - पहला कॉलेज के दिनों में अमृता प्रीतम के साथ जब अमृता के घरवालों ने उनकी शादी न करने का फैसला ये सोचकर लिया कि साहिर एक तो मुस्लिम हैं दूसरे ग़रीब, और दूसरी सुधा मल्होत्रा से । वे आजीवन अविवाहित रहे तथा उनसठ वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया । उनके जीवन की कटुता इनके लिखे शेरों में झलकती है ।
तेरा साँस चलता रहा
धरती गवाही देगी
धुआं निकलता रहा
उमर की सिगरेट जल गयी
मेरे इश्के की महक
कुछ तेरी सांसों में
कुछ हवा में मिल गयी,
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sahir ludhiyani ke karmo se puri tarah parichit karati hai ....an informative post
ReplyDeletejankari se bhari post ke liye aapka bahut-bahut aabhar....
ReplyDeleteश्री बबन पाण्डेय एवं संध्या शर्मा जी आप सबका आभार ।
ReplyDeleteAajkal aap badi lagan ke sath blog jagat se jude hai,iske liye aapko badhaai.
ReplyDeletePichle kuch samay se dekh raha hu ki aap jo posting kar rahe hai wah informative hai , dhanyawaad.
yah post bhee acha laga,aabhaar.
aage nirantarata banai rakhe , Shubhkaamanaye.
साहिर लुधियानवी जी का संक्षेप में भी इतना विस्तृत परिचय करवाने के लिए आप का हार्दिक आभार प्रेम जी .पोस्ट बहुत अच्छा लगा .
ReplyDeleteBehtarin Prastuti upyogi jankari pradan karne ke liye aabhar.
ReplyDeleteसाहिर लुधयानवी जी के विचारों एवं कृतित्व का गूढ विवेचन उत्तम है।
ReplyDeleteप्रिय शमीम जी
ReplyDeleteयह तो आप का ही प्रतिफल है जो मुझे यहाँ तक का सफर करा दिया वरना आज भी हम अपने मन की बात को मन में ही रखे होते । आपका मेरे ब्लॉग पर आना एवं प्रोत्साहित करना मेरे लिए एक बहुत बड़ी बात है । आशा करता हूँ कि आप भी अपनी कोई कविता या व्यंगात्मक कहानी यथाशीघ्र अपने व्लॉग पर पोस्ट करेंगे । शुभकामनाओं के साथ ।
मिता जी श्री गोपाल तिवारी एवं श्री विजय माथुर जी आप सबका भी आभार ।
ReplyDeleteसाहिर लुधियानवी जी का परिचय करवाने के लिए आप का हार्दिक धन्यवाद|
ReplyDeleteसंक्षेप में विस्तृत सारपूर्ण परिचय!
ReplyDeleteआभार!
साहिर लुधियानवी के जीवन का अंतरंग परिचय देने हेतु आभार !
ReplyDeleteतेरा साँस चलता रहा या फिर तेरी साँसें चलती रहीं जरा देखियेगा
ReplyDeleteसाहिर के बारे में इस जानकारी के लिए आभार
साहिर लुधियानवी जी के व्यक्तिगत जीवन की जानकारी से परिचय कराया आभार ....अच्छी पोस्ट
ReplyDeleteसाहिर लुधियानवी जी के बारे में इस जानकारी के लिए आभार....
ReplyDeleteसाहिर लुधियानवी के जीवन के बारे में इस जानकारी के लिए आभार ....
ReplyDeleteश्री धीरेंद्र जी, डॉ मोनिका शर्मा एवं अवन्ती सिंह जी आप सबका आभार ।
ReplyDeleteबिलकुल नई जानकारी से अवगत कराया | कहते हैं हर सायर की सायरी के पीछे
ReplyDeleteउसका अपना दर्द होता है | इसलिए किसीने कहा है की "कभी किसी को मुक्कमल जहाँ
नहीं मिलता, कभी जमीं तो ....."
जानकारी के लिए आभार
साहिर लुधियानवी जी की जानकारी के लिए आभार!
ReplyDeleteसाहिर जी की जिंदगी के अनछुए पन्ने पढ़ने का अवसर प्रदान किया, आभार.फिल्मी गीतों में साहिर जी का विशिष्ट स्थान है.उनके बहुत से गीतों में दो तरह के रंग रहे.दोनों ही रंग काफी मशहूर भी हुए.
ReplyDeleteसाहिर लुधियानवी साहब के बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा |सही और अच्छा लेखन बधाई |
ReplyDeleteआशा
आलेख अच्छा है । अमृता जी ने साहिर के प्रेम का जिक्र रसीदी टिकिट में किया है । वास्तव में प्रेम की पीडा रचनाकार की अनुभूतियों को गहनता व तीव्रता देती है और अभिव्यक्ति को असर । शायद वही असर लुध्यानवी जी के गीतों में दिखाई देता है ।
ReplyDeleteआलेख अच्छा है । अमृता जी ने साहिर के प्रेम का जिक्र रसीदी टिकिट में किया है । वास्तव में प्रेम की पीडा रचनाकार की अनुभूतियों को गहनता व तीव्रता देती है और अभिव्यक्ति को असर । शायद वही असर लुध्यानवी जी के गीतों में दिखाई देता है ।
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट अच्छी जानकारी साहिर साहब के बाबत मुहैया करवाई आपने .आभार इन प्रसंगों के लिए .
ReplyDeleteधन्यवाद आपका। साहिर साहब के बारे में कुछ जानकारी मिली। प्यासा के गीतों से ही मालूम हो जाता है कि साहिर क्या हैं।
ReplyDeleteसाहिर लुधियानवी के बारे में अच्छी जानकारी मिली ... आभार इस पोस्ट के लिए
ReplyDeleteगिरिजा कुलश्रेष्ठ, बीरूभाई एवं संगीता स्वरूप जी आपका आभार ।
ReplyDeleteश्री चंद्र भूषण 'गाफिल' जी आपका आभार । आशा ही नही वरन पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में भी आप अपने स्नेहाशीष से मुझे सजाते-सवारते रहेंगे । धन्यवाद ।
ReplyDeleteक्या कमेन्ट किया जाय.....यह तो सदा से होता आया है ..कोई नयी बात नहीं.....हर युग में नये नये रूप रन्ग में आता रहेगा.....यह...प्रेम....
ReplyDeleteशब्द नहीं है आपकी पोस्ट की तारीफ के लिए...
ReplyDeleteबस ह्रदय से शुक्रिया अदा करना चाहती हूँ...
बहुत अच्छी जानकारी .बहुत अच्छी रचना ...................
ReplyDeleteआपने बहुत ही सुन्दर और रोचक ढंग से साहिर लुधियानवी जी
ReplyDeleteके बारे में जानकारी प्रस्तुत की है.
अनुपम प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार आपका.
Really a true love story.Thanks for this post.
ReplyDeleteVery nice post.Thanks.
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मिली ... आभार
ReplyDeleteसाहिर लुधियानवी के बारे में कई नई जानकारियां मिली । आभार ।
ReplyDeleteyh to sach hai ki prem ak mahan urja hai . yadi iski pariniti doosre roop me ho jaye to insan apni mahantam unchaiyon ko chho leta hai , Shahir sahab ke sath bhi to yhi hua . pyar ki asfalta unhen mahan bna gyee.
ReplyDeleteसाहिर लुधियानवी जी का संक्षेप में विस्तृत परिचय करवाने के लिए आभार|
ReplyDeleteडॉ टी.एस.दराल, श्री नवीन मनि त्रिपाठी एवं ऋता शेखर 'मधु" जी आप सबका आभार ।
ReplyDeletebahut khoob sahir ji ke bare me bahut kuchh jana aaj
ReplyDeleterachana
Amrita ji ke karan maine Sahir ko jana. unke geet sunti thee lekin ye nahin maloom ki likhne wala kaon hai. baad mein jana ki wahi Sahir hain. Sahir ke geet bahut lokpriye hai. unke baare mein puri jaankari padhna achachha laga. dhanyawaad.
ReplyDeleteThanx,sahirji ki jankari dene ke liye .ve mere pasandida shayer haen unki shayari ka sanklan bhi saheja hae maene.par unke vishay men aaj jana .
ReplyDeleteमेरी नई रचना....
ReplyDeleteनेताओं की पूजा क्यों, क्या ये पूजा लायक है
देश बेच रहे सरे आम, ये ऐसे खल नायक है,
इनके करनी की भरनी, जनता को सहना होगा
इनके खोदे हर गड्ढे को,जनता को भरना होगा,
में आपका इंतजार है ,....
मेरा साहित्य, जेन्नी शबनम जी एवं संगीता जी आपका आभार । .
ReplyDeleteSahir ji ek mahan Shayar the...unki kalam ke ooz ne unhen avismarneeya bana dia...
ReplyDeleteदीपक शुक्ला जी आपका आभार । ।
ReplyDeleteकाफी जानकारी देती है यह पोस्ट
ReplyDeletejang kya masalon ka hal dengi..jang to khud hee ek masla hain..khoon aaur aag aaj bakhsengi..bhookh aaur ahtiyaz kal dengi..isliye ai sarif insaano..jang talti rahe to behtarar hai..ludhiyanwi ji ki ye panktiyan na jaane kab se main gungunata hoon mujhe hosh nahi..aaj aapne itne behtarin shayar ke baare me aisi adbhut jaankari dee..padhkar man sambednaaon se bhar gaya..aise lekho ko jab jab bhee padhne ka mauka milta hai lagta hai blog jagat se judna sarthak ho gaya hai..aapki kalam eun hee chalti rahe aaur ham sahitya jagat ke sitaron ke unchuye pahluon ko jaan sakein..sadar badhayee ke sath
ReplyDeleteबहुत सुंदर परिचय करवाने के लिये आभार ...
ReplyDeleteअच्छी जानकारी देती पोस्ट....
ReplyDeleteसादर...
बहुत सुंदर जानकारी मिली है आपकी पोस्ट से ................
ReplyDeleteअच्छी पोस्ट ..सुंदर परिचय करवाने के लिये आभार .
ReplyDeleteआदरणीय महोदय
ReplyDeleteपोस्ट में सूचनाओं का संकलन अच्छा है परन्तु
साहिर लुधियानवी के जीवन के बारे में इस जानकारी के लिए हिंदी साहित्य पहेली 52 और कविताकोश का भी आभार व्यक्त करें । ...
क्या जो कुछ भी संकलीत किया हू,वह केवल कविता कोश या हिंदी साहित्य पहेली के बाद कहीं नही मिल सकता !
Deleteसाहिर लुधियानवी जी का परिचय करवाने के लिए आप का हार्दिक धन्यवाद|
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