सृजन-धर्मिता से
साहित्य का आसमान
नापने वाले लेखक :डॉ.धर्मवीर भारती
(जन्म:25-12-1926 निधन: 04-09-1997)
"पर कोई न कोई चीज ऐसी है
जिसने हमेशा अँधेरे को चीर कर आगे बढ़ने, समाज-व्यवस्था
को बदलने और मानवता के सहज मूल्यों को पुनः स्थापित करने
की ताकत और प्रेरणा दी है । चाहे उसे आत्मा कह लो, चाहे कुछ और जो विश्वास, साहस, सत्य के प्रति निष्ठा, उस
प्रकाशवादी आत्मा को उसी तरह आगे ले चलते हैं जैसे सात घोड़े सूर्य को आगे बढ़ा
ले चलते हैं।“………….. डॉ. धर्मवीर भारती (“सूरज का सातवां घोड़ा ”से
अवतरित)
प्रस्तुतकर्ता:प्रेम
सागर सिंह
आज मैं एक ऐसे लेखक के बारे में कुछ लिख रहा हूं
जिन्होंने लेखन की दुनिया में ही नही वरन पत्रकारिता के क्षेत्र में भी अपनी
कीर्ति का परचम फहराया। उन दिनों साहित्य के प्रति अनुराग रखने वाले लोगों के
हाथों में “धर्मयुग” पत्रिका हुआ करती थी। इस
तरह की प्रविष्टियों को ब्लॉग पर प्रस्तुत करने की पष्ठभूनि में मेरा यह प्रयास
रहता है कि हिंदी साहित्याकाश के देदीप्यमान प्रकाशस्तंभों का सामीप्य-बोध हम सबको
अहर्निश मिलता रहे एवं हम सब इन साहित्यकारों की अनमोल कृतियों एवं उनके जीवन
दर्शन की घनी छांव में अपनी साहित्यिक ज्ञान-पिपासा में अभिवृद्ध करते रहें।
आईए,एक नजर डालते हैं, डॉ. धर्मवीर भारती जी पर, उनके जीवन एवं कृतियों पर जो हमें
कभी बिखरने नही देती हैं । - प्रेम सागर सिंह
हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध
हस्ताक्षर धर्मवीर
भारती आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक, कवि, नाटककार
और सामाजिक विचारक थे। वे एक समय की प्रख्यात साप्ताहिक पत्रिका धर्मयुग के प्रधान
संपादक भी थे। डॉ धर्मवीर भारती को 1972 में ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया गया.उनका उपन्यास ‘गुनाहों का
देवता’ सदाबहार रचना मानी जाती है। सूरज का सातवां घोड़ा को
कहानी कहने का अनुपम प्रयोग माना जाता है, जिसे श्याम बेनेगल
ने इसी नाम की फिल्म बनायी ‘अंधा युग’ उनका
प्रसिद्ध नाटक है।इब्राहिम अलकाजी, राम गोपाल बजाज, अरविंद गौड़, रतन थियम,
एस.के.रैना, एवं मोहन महर्षि, और कई अन्य भारतीय रंगमंच निर्देशको ने इसका मंचन
किया है । भारती का जन्म प्रयाग में हुआ और शिक्षा प्रयाग विश्वविद्यालय से प्राप्त की। प्रथम श्रेणी में एम.ए की
परीक्षा उतीर्ण करने के बाद “ डॉ धीरेन्द्र वर्मा ” के निर्देशन में “सिद्ध साहित्य” पर शोध-प्रबंध लिखकर उन्होंने पीएचडी की उपाधि प्राप्त
की। इनका कार्यक्षेत्र अध्यापन रहा एवं उस दौरान भी वे
समर्पित भाव से अपनी सेवाएं प्रदान करते रहे। 1948 में 'संगम'
सम्पादक’ श्री इलाचंद्र जोशी में सहकारी
संपादक नियुक्त हुए। दो वर्ष वहाँ काम करने के बाद हिंदुस्तानी अकादमी में अध्यापक
नियुक्त हुए एवं सन् 1960 तक वहां कार्य किया। प्रयाग विश्वविद्यालय
में अध्यापन के दौरान 'हिंदी साहित्य कोश' के सम्पादन में सहयोग दिया। ‘निकष’' पत्रिका निकाली तथा 'आलोचना' का
सम्पादन भी किया। उसके बाद ' धर्मयुग ' में प्रधान सम्पादक पद पर बम्बई आ गये। 1987 में डॉ
भारती ने अवकाश ग्रहण किया। 1999 में युवा कहानीकार ‘उदय प्रकाश’ के निर्देशन में “साहित्य
अकादमी, दिल्ली ” के लिए डॉ० भारती पर एक
वृत्त चित्र का निर्माण भी किया गया । सृजन-धर्मिता से
साहित्य का आसमान नाप लेने की तड़प रखने वाले इस महान साहित्यकार ने 4 सितम्बर 1997 को मुम्बई में
आखिरी साँस ली परन्तु सृजन-शीलता
की जिस पाठशाला को उन्होंने आरंभ किया था वह भौतिक संसार में उनकी अनुपस्थिति के बाद भी गतिमान है।उन्होंने
हिंदी साहित्य की सेवा बड़े ही लगन के साथ किया। उनकी कृतियां आज हस सबके
लिए अनमोल धरोहर बन गयी हैं। साहित्य एवं
पत्रकारिता के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित करने वाले भारती जी को उनकी अमूल्य
सेवाओं के लिए उन्हे निम्नलिखित पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया।
1. हल्दी घाटी श्रेष्ठ
पत्रकारिता पुरस्कार (1984)
2. महाराणा मेवाड़ फाउंडेशन (1988)
3. सर्वश्रेष्ठ
नाटककार पुरस्कार संगीत नाटक अकादमी दिल्ली (1989)
4. भारत भारती
पुरस्कार उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान (1990)
5. महाराष्ट्र
गौरव, महाराष्ट्र
सरकार (1994)
6. व्यास सम्मान ( के. के. बिड़ला
फाउंडेशन )
कहानी संग्रह :- मुर्दों का गाव, स्वर्ग और पृथ्वी, चाद और टूटे हुए लोग, बंद गली का आखिरी मकान, सास की कलम से, समस्त कहानियाँ एक साथ
काव्य रचनाएं -: ठंडा लोहा, सात गीत, वर्ष कनुप्रिया, सपना अभी भी, आद्यन्त
उपन्यास:- गुनाहों का देवता, सूरज का
सातवां घोड़ा, ग्यारह सपनों
का देश, प्रारंभ व
समापन
निबंध :- ठेले पर हिमालय, पश्यंती
कहानियाँ : -अनकही, नदी प्यासी थी, नील झील, मानव मूल्य और साहित्य, ठण्डा लोहा,
पद्य नाटक : अंधा युग
आलोचना : प्रगतिवाद : एक समीक्षा, मानव मूल्य और साहित्य
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शुक्रिया एक और साहित्यिक सीढ़ी प्रदान करने के लिए..
ReplyDeleteधर्मयुग याने ढब्बूजी हुआ करता था बचपन में....अब धर्मवीर भारती जी को भी जान लिया ...
आभार..
विद्या जी ,मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका आभार ।
Deleteis gyanvardhak rachna ke liye aabhar :)
ReplyDeleteपंक्षी जी ,आपका आभार ।
Deleteबहोत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढकर ।
ReplyDeleteबहोत अच्छे । आप मेरी नजर मै एक महान साहित्यीक हो ।
नया हिंदी ब्लॉग
http://hindidunia.wordpress.com/
खीलेश जी, मेरा प्रयास आपको अच्छा लगा मेरे लिए यही काफी है । किसी भी साहित्यकार के लिए पाठकों की प्रतिक्रिया ही उसे जो संबल प्रदान करती है, वही उसे आगे की ओर ले जाती है । भगवान से विनती करता हूं कि आपकी "नजर" को किसी की "नजर" न लगे । धन्यवाद ।
ReplyDeleteमै हमेशा आपको महान साहित्यीक हि मानता रहुंगा क्यो कि जो है उसे कभी झुठलाया नही जा सकता ।
Deleteसाहित्य के उत्प्रेरकों को समुचित सम्मान..
ReplyDelete..हाँ याद है बहुत पहले मेज पर 'धर्मयुग ',एक बड़ी सी मैगजीन ..रखी होती थी..
ReplyDeleteधरमवीर भारती जी से रूबरू करने के लिए धन्यवाद..
kalamdaan.blogspot.com
धर्मवीर भारती जी के बारे में फिर से पढ कर बहुत अच्छा लगा । धर्मयुग मेरी भी बहुत प्रिय पत्रिका हुआ करती थीौर गुनाहों का देवता प्रिय उपनयास । मेरी एक कविता भी उसमें छपी थी काका हाथरसी के ६० वर्ष पूरे हो जाने पर । सब कुछ याद आ गया ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा धर्मवीर भारती जी को पढ कर .
ReplyDeleteधर्मवीर भारती द्वारा संपादित धर्मयुग एक बहुआयामी साहित्यिक साप्ताहिक पत्रिका थी।
ReplyDelete1969 से अंत तक मैंने धर्मयुग को पढ़ा और बहुत कुछ सीखा।
भारती जी को विनम्र श्रद्धांजलि।
धर्मवीर भारती जी के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा! ज्ञानवर्धक पोस्ट!
ReplyDeletegood n sarthak prastuti.
Delete'धर्मयुग''साप्ताहिकहिन्दुस्तान' आदि पत्रिकाओं ने लोकप्रियता प्राप्त करने के साथ अपना स्तर बनाये रखा था .डॉ.धर्मवीर भारती के साथ साहित्य का वह युग बीत गया और वैसी पत्रिकाओं का भी अकाल पड़ गया
ReplyDelete.पुनः उनका स्मरण दिलाने हेतु आभार !
Hindi sahitya ke sakhakt hastakshar Bharti ji ke baare mein vistrit gyanvardhak jaankari prastuti hetu aapka aabhar!
ReplyDeletebahut hi aanand aaya aapke blog tak pahuch kar .....sahitya sadhakon ki jivani padkar bahut kuch sikhne ko milta hai ...aapka dhanyawad !!
ReplyDeleteडा.धर्मवीर भारती प्रयोगवाद के सशक्त हस्ताक्षर थे । ठेले पर हिमालय ,गुनाहों का देवता,आदि उनकी कुछ ही रचनाएं पढी हैं पर उनकी सिर्फ एक कहानी गुलकी बन्नो के कारण ही वे मेरे अत्यन्त आदरणीय साहित्यकार हैं । आपका आलेख अच्छा लगा ।
ReplyDeleteDr.Dharmveer Bharti ko unke prasiddh upanyaas 'gunaahon ka devta' ke karan bahut khyaati mili. unke baare mein vistrit roop se padhkar achchha laga. dhanyawaad.
Delete"धर्मवीर भारती" जी के बारे में पढ कर बहुत अच्छा लगा ।"धर्मयुग"मेरी भी बहुत प्रिय पत्रिका हुआ करती थी और "गुनाहों का देवता" प्रिय उपनयास ।नंदन बच्चो की पत्रिका मन को लुभाती है.... :) बहुत अच्छी रचना.... !!
ReplyDeleteek sarthak lekh dhrmveer bharti ji ke bare me padh kar achchha laga
ReplyDeletedhnyavad
rachana
डॉ.धर्मवीर भारती के संबंध में और उनकी रचनाओं के बारे में जानकर अच्छा लगा। आप हिंदी के प्रमुख साहित्यकारों का बहुत ही भावपूर्ण परिचय दे रहें हैं। आभार!!!
ReplyDeleteबहुत दिन हुए आप बूंद-बूंद इतिहास पर नजर नहीं डाले...
कनुप्रिया,गुनाहों का देवता ,सूरज का देवता पढ़ने के बाद मैं धर्मवीर जी की लेखनी की कायल हो गयी ...आपने और जानकारी दी है ...आगे इनको और पढ़ना चाहूंगी.सूचना परक लेख हेतु,आभार .
ReplyDeleteआपके इस उत्कृष्ठ लेखन का आभार ...
ReplyDelete।। गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं ।।
Sundar gyanvardhak post. Aapka prayas sarahniya evm prenaspad hai. Dharmvir bharti ka upnyas gunahon ka devta sachmuch bejod rachna hai. Is upnyas mein prem ka jo aadarsh unhone rakha hai wah vyakti ko sochne ko majboor karta hai.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया जानकारी दी आपने धर्मवीर भारती जी के बारे में |
ReplyDeleteधन्यवाद |
मेरे ब्लॉग में भी पधारे औरन मेरी रचना देखें |ब्लॉग अच्छा लगे तो फोलो जरुर करें |
मेरी कविता:शबनमी ये रात
धर्मवीर भारती जी के बारे में अच्छी जानकारी
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें
vikram7: कैसा,यह गणतंत्र हमारा.........
घर में दो ही पत्रिकाएँ आती थीं - धर्मयुग और सरिता और मैं दोनों को ही बड़े चाव से पढती थी। गुनाहों का देवता, सूरज का सातवां घोड़ा भी पढा है। मेरे पसंदीदा साहित्यकार हैं धर्मवीर भारती जी । इस आलेख के लिए आपको साधुवाद।
ReplyDeleteसादर।
Dr. saahab ke baare me itni saari jaankari ek hi jagah padh kar khushi huee,kafi sarahneey kaary kar rhe hai aap ....bdhaai sweekaren...
ReplyDeletehttp://gauvanshrakshamanch.blogspot.com/
ReplyDeleteगौ रक्षा करने की जाग्रति हेतु एक ब्लॉग का निर्माण किया है ,आप सादर आमंत्रित है सदस्य बनने और अपने विचार /सुझाव/ लेख /कविता रखने के लिए ,अवश्य पधारियेगा.......
धर्मवीर जी बहूत हि अच्छे लेखक होने के साथ - साथ शोध और
ReplyDeleteसंपादन भी कर लिया करते थे ...
मृत्यू से पहले उनकी एक रचना "सपना कृती " पर उन्हे
व्यास सम्मान दिया गया था ..
इस बेहतरीन पोस्ट के लिये आपका बहूत-बहूत आभार ...
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