Monday, January 9, 2012

लेखन ने मुझे थामा इसलिए मैं लेखनी को थाम सकी


लेखन ने मुझे थामा इसलिए मैं लेखनी को थाम सकीः  मन्नू भंडारी
                          मन्नू भडारी
                     (जन्मः 03 अप्रैल,1931)        
(यदि लेखन में ताकत है तो आप बिखर नहीं सकते। लेखन ऐसी शक्ति है जो विपरीत  परिस्थिति में भी साथ देती है । लेखन ने मुझे थामा इसलिए मैं लेखनी को थाम सकी बल्कि मैं तो कहती हूँ कि लेखन ही नहीं वरन अभिव्यिक्ति की कोई भी विधा चाहे वह संगीत हो या चित्रकारी , इनमें वह शक्ति होती है जो आपका वजूद बचाए रखती हैं।मैंने अपनी पीड़ा किसी को नहीं बताई क्योंकि मेरा मानना है कि व्यक्ति में इतनी ताकत हमेशा होनी चाहिए कि अपने दुख, अपने संघर्षों से अकेले जूझ सकें। - मन्नू भंडारी

प्रस्तुतकर्ताः प्रेम सागर सिंह

ब्लॉग जगत की दुनिया में प्रवेश करने के बाद मेरा मन न जानें क्यूं हिंदी के प्रेरणास्रोत रहे उन साहित्यकारों के साथ मुठभेड़ करने लगा जिनके साथ विद्यार्थी जीवन में उनकी साहित्यिक कृतियों के अध्ययन के कारण जीवन से रागात्मक लगाव की बुनियाद पड़नी शुरू हो गयी थी। जब कभी भी बीते वासर में लौटता हूँ, बहुत सारी बातें चलचित्र की तरह सामने आने लगती हैं । इन सबके वशीभूत होकर आज मैं मन्नू भंडारी जी को आप सबके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूँ, इस आशा और विश्वास के साथ कि मेरा संकलन, प्रयास एवं परिश्रम आप जैसै प्रबुद्ध पाठकों के दिल में थोड़ी सी जगह पा जाए । आप सबसे निवेदन है कि इसके इतर भी इनके बारे में कोई नई जानकारी आप सबके पास हो तो उसे अपनी प्रतिक्रिया के माध्यम से प्रस्तुत करें ताकि यह पोस्ट और भी सूचनाप्रद बन सके । आप सबके प्रतिक्रियाओं एवं सुझावें की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी। नव वर्ष की मंगलमय एवं अशेष शुभकामनाओं के साथ प्रेमसागर सिंह (www.premsarowar.blogspot.com)
       
        लोग  यों  तो  रोज़  ही  आते रहे, आते रहे,
       
आज लेकिन, आप आये पास, तो अच्छा लगा

मन्नू भंडारी हिंदी की सुप्रसिद्ध कहानीकार हैं। मध्य प्रदेश में मंदसौर जिले के भानपुरा गाँव में जन्मी मन्नू का बचपन का नाम महेंद्र कुमारी था। लेखन के लिए उन्होंने मन्नू नाम का चुनाव किया। उन्होंने एम.ए तक शिक्षा पाई और वर्षों तक दिल्ली के मीरांडा हाउस में अध्यापिका रहीं । धर्मयुग में धारावाहिक रूप से प्रकाशित उपन्यास आपका बंटी से लोकप्रियता प्राप्त करने वाली मन्नू भंडारी विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन में प्रेमचंद सृजनपीठ की अध्यक्षा भी रहीं।  लेखन का संस्कार उन्हें विरासत में मिला । उनके पिता सुख सम्पतराय भी जाने माने लेखक थे। मन्नू भंडारी ने कहानियां और उपन्यास दोनों लिखे हैं। एक प्लेट सैलाब'( 1962), `मैं हार गई' ( 1957), `तीन निगाहों की एक तस्वीर', `यही सच है'(1966), `त्रिशंकु' और`आंखों देखा झूठ' उनके महत्त्वपूर्ण कहानी संग्रह हैं। विवाह विच्छेद की त्रासदी में पस रहे एक बच्चे को केंद्र में रखकर लिखा गया उनका उपन्यास `आपका बंटी'(1971) हिन्दी के सफलतम उपन्यासों में गिना जाता है। लेखक राजेंद्र यादव के साथ लिखा गया उनका उपन्यास `एक इंच मुस्कान' (1962) पढ़े लिखे आधुनिक लोगों की एक दुखांत प्रेमकथा है जिसका एक एक अंक लेखक-द्वय ने क्रमानुसार लिखा था। आपने `बिना दीवारों का घर' (1966) शीर्षक से एक नाटक भी लिखा है। मन्नू भंडारी हिन्दी की लोकप्रिय कथाकारों में से हैं। नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के बीच आम आदमी की पीड़ा और दर्द की गहराई को उद्घाटित करने वाले उनके उपन्यास `महाभोज' (1979) पर आधारित नाटक अत्यधिक लोकप्रिय हुआ था। इसी प्रकार 'यही सच है' पर आधारित 'रजनीगंधा'  नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको 1974 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था। इसके अतिरिक्त उन्हें हिन्दी अकादमी, दिल्ली का शिखर सम्मान, बिहार सरकार, भारतीय भाषा परिषद, कोलकाता, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी, व्यास सम्मान  और उत्तर-प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा पुरस्कृत। मन्नू जी को उनके साहित्यिक योगदान और कृतियों के लिए अनेक पुरस्कार हासिल हुए हैं। इनमें दिल्ली हिन्दी अकादमी का वर्ष 2006-07 का शलाका सम्मान और मध्यप्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन का भवभूति अलंकरण (2006-07) प्रमुख हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, भारतीय भाषा परिषद (कोलकाता), बिहार राज्य भाषा परिषद, महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादमी आदि संस्थाओं ने भी उनकी कृतियों को सम्मानित किया है। अब उन्हें के.के बिरला फाउंडेशन की ओर से 2008 के व्यास सम्मान से भी सम्मानित किया गया है। इस पोस्ट को लिखते समय राजेंद्र यादव एवं मन्नू भंडारी जी के संबंधों के विषय में कुछ लिखना चाहता था किंतु उन दोनों साहित्यकारो के व्यक्तिगत संबंधों  के विषय में समुचित  ज्ञानाभाव के कारण इसे लिखने की जरूरत महसूस नही करता हूँ जिसके वजह से कुछ विवाद सामने आ जाए । प्रस्तुत हैं उनकी कुछ निम्नलिखित कृतियां जो वास्तव में उनकी लेखनी का जीवंत दस्तावेज है।

कहानी-संग्रह :- एक प्लेट सैलाब, मैं हार गई, तीन निगाहों की एक तस्वीर, यही सच है, त्रिशंकु, श्रेष्ठ कहानियाँ, आँखों देखा झूठ, नायक, खलनायक विदूषक।

उपन्यास :-  आपका बंटी,  महाभोज,  स्वामी,  एक इंच मुस्कान और कलव़ा, एक कहानी यह भी।

पटकथाएँ :-  रजनी,  निर्मला,  स्वामी,  दर्पण।

नाटक :   बिना दीवारों का घर
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55 comments:

  1. 'यही सच है' पर आधारित 'रजनीगंधा' नामक फिल्म अत्यंत लोकप्रिय हुई थी और उसको 1974 की सर्वश्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार भी प्राप्त हुआ था।

    मन्नू भंडारी जी के बारे में आपने बहुत सुन्दर जानकारी प्रस्तुत की है.
    मुझे तो आज पता चला कि 'रजनीगंधा' फिल्म उनकी ही सुकृति पर
    आधारित थी.

    जानकारी कराने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया,प्रेम जी.

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  2. श्री सलील वर्मा, श्री केवल राम जी एवं श्री राकेश कुमार जी आप सबका आभार ।

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  3. परिचय कराने का आभार, आपका लेखन सदा ही प्रभावित करता रहा है।

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  4. सुन्दर जानकारियाँ प्रदान करती प्रस्तुति...
    सादर आभार.

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  5. आभार आपका इतनी महत्वपूर्ण जानकारी के लिए ...!!
    कृपया अपना प्रयास सतत जारी रखें |
    बहुत बहुत शुभकामनायें ...!!

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  6. ्बहुत सुन्दर जानकारी मन्नु जी के बारे मे। देखे मेरे अन्य ब्लाग शब्द्कुन्ज, जनदर्पण

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  7. परिचय कराने के लिए आभार, बढ़िया प्रस्तुति ....बधाई
    welcome to new post --"काव्यान्जलि"--

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  8. बहुत रोचक और मन्नू भंडारी जी के जीवन पर जानकारी देती पोस्ट..

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  9. मन्नू भंडारी जी के बारें में बहुत अच्छी जानकारी आपने उपलब्ध कराई है....बहुत बहुत शुभ-कामनाएं!

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  10. मन्नू भंडारी जी के बारे में जानकर बहुत अच्छा लगा! महत्वपूर्ण पोस्ट!

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  11. खूबसूरत प्रस्तुति .परिचय कराने के लिए आभार .

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  12. आपका बहुत शुक्रिया प्रेमसरोवर जी..
    हमारे ज्ञान में जो बढ़ोत्तरी होती है आपके बेमिसाल लेखन से उसकी गुरु दक्षिणा जाने कैसे दे पायेंगे हम सब..

    आभार.
    सादर.

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  13. लगता है इनमें ‘सारा आकाश’ कहीं खो गया है :)

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  14. मन्नू भंडारी जी के जीवन व उनकी कृतियों से परिचय आपका प्रयास सराहनीय है प्रेम जी. आभार!

    संयोग से मै मन्नू भंडारी जी को ज्यादा नहीं पढ़ पाया. दो ही उपन्यास पढ़े थे. आपका बंटी और महाभोज. किन्तु इतना कायल हो गया कि बयां नहीं कर सकता. दोनों की लेखनशैली व विषय वस्तु में इतनी विविधता है कि लगता ही नहीं कि ये रचनाएँ एक ही उपन्यासकार की है. जबरदस्त !!

    चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी ने 'सारा आकाश' quote किया है comment में. यदि अभिप्राय 'सारा आकाश' उपन्यास से है तो वह तो राजेन्द्र यादव जी की रचना है.

    आप अपने नाम को सार्थक कर रहे हैं. बहुत बहुत वधाई.

    शुभकामनायें !!

    बारामासा की नयी पोस्ट पर प्रतिक्रिया वांछनीय है.

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  15. सुबीर रावत जी,
    चंद्रमौलेश्वर प्रसाद जी के कथन में शायद एक दार्शनिक भाव छिपा हुआ है। वैसे तो "सारा आकाश" राजेंद्र यादव जी का ही लिखा है पर प्रसाद जी की मान्यता है कि मन्नू भंडारी जी की कृतियों की तुलना में उनका "सारा आकाश" कहीं खोया हुआ सा प्रतीत होता है । मेरे पोस्ट पर आपकी प्रतिक्रिया से मेरा मनोबल बढा है । धन्यवाद ।

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  16. विद्या जी,
    आपको मेरा पोस्ट अच्छा लगा । रही बात गुरू दक्षिणा की तो हमें सदा प्रोत्साहित करती रहें। मरे लिए बस यही काफी है । भगवान आपको सर्वदा सुखी एवं स्वस्थ रखें । नव वर्ष की अशेष शुभकामनाओं के साथ आपका - प्रेम सागर सिंह

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  17. hindi sahitya ke labdh pratishith stambhon ke baare mein likh kar sewaa kar rahe hein aap hindi kee
    aapko sadhuwaad

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  18. प्रेम जी आपका आभार,
    मन्नु भन्डारी मेरी पसंदीदा लेखिका हैं,
    आपका बंटी की भाषा शैली तो बहुत ही
    सुन्दर है, कथानक तो ऐसा बन पढ़ा है
    कि लगता है सामने कोई फिल्म चल रही
    हो। यह उपन्यास आज भी उतना ही प्रासंगिक
    है,जितना आज से 45 साल पहले।

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  19. मन्नू जी के बारे में जानकारी बहुत अच्छी लगी..और लेखकों से हमारा परिचय करायें ..
    धन्यवाद
    kalamdaan.blogspot.com

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  20. सुबीर रावत जी और प्रेमसागर जी, मुझे जहां तक याद है पटकथा में दोनों का नाम लिखा है, मैं पुस्तक खोज रहा था पर मिल नहीं पाई। खैर, यदि केवल यादव जी की रचना है तो मेरा क्षमायाचना के साथ कमेट वापिस:)

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  21. priye lekhak manu bhandari k bare me padh kar acchha laga.

    aabhar.

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  22. वहुत सुंदर प्रस्तुति। धन्यवाद।

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  23. मेरे ब्लॉग का समर्थक बनने के लिए धन्यवाद
    आपने सही कहा था कि एक बार आपके ब्लॉग पर आने के बाद जाने का मन न...
    बेहतरीन अभिव्यक्ति....

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  24. लेखन ने मुझे थामा इसलिए मैं लेखनी को थाम सकी ...............well said.

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  25. bahut hi mahtvpurn jankari di aapne hume , bahut hi umda prastuti ke saath ..........aabhar

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  26. यदि लेखन में ताकत है तो आप बिखर नहीं सकते। लेखन ऐसी शक्ति है जो विपरीत परिस्थिति में भी साथ देती है । लेखन ने मुझे थामा इसलिए मैं लेखनी को थाम सकी ।.....

    आपका बहुत बहुत आभार....

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  27. बहुत विस्तृत जानकारी . मनु भंडारी ने "समय की धारा" (1986 ) फिल्म की कहानी भी लिखी थी .
    उच्च दर्जे का लेखन है .सुंदर प्रस्तुति।

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  28. मन्नु भंडारी - रोचक एवं विस्तृत जानकारी. वाकई आपकी लेखनी अद्भुत ताकतवर है. धन्यवाद.

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  29. यदि लेखन में ताकत है तो आप बिखर नहीं सकते। लेखन ऐसी शक्ति है जो विपरीत परिस्थिति में भी साथ देती है । लेखन ने मुझे थामा इसलिए मैं लेखनी को थाम सकी । विस्तृत जानकारी,सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद.

    कविता को कब रचा है मैंने?
    कविता ने रचा स्वरूप है मेरा.
    मैंने कब साहित्य लिखा है?
    लिखा साहित्य ने सब कुछ मेरा.

    लेख कहानी नहीं लिखा कुछ,
    नहीं भाषा पर अधिकार है मेरा.
    मै तो केवल हूँ निमित्त मात्र,
    जो रच जाता सब कहा है तेरा..

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  30. मन्नू जी के बारे में बहुत सी नई जानकारी मिली।

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  31. mannu bhandari ji ke baare mein jaankari ke liye abhaar.

    Lohri ki shubhkamnayen

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  32. Mannu Bhandari ke baare mein vistrit jaankaari padhna achchha laga. dhanyawaad.

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  33. आपका बंटी मैंने कई बार पढी है. मानवीय रिश्तों की संवेदनाओं पर राजेंद्र यादव और मन्नू भंडारी जितना उन्मुक्त और गंभीर लेखन और कहीं नहीं मिला.

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  34. mannu ji ke bare me bahut kucch naya janne ko mila....dhanyavaad
    lohri ki shubhkamnayein

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  35. बहुत अच्छी प्रस्तुती जी .

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  36. मन्नू भंडारी जी के बारे में जानना अच्छा लगा ... अभी उनका उपन्यास --- एक कहानी ये भी पढ़ने का सुअवसर मिला .. उसे पढ़ कर उनके जीवन के बारे में बहुत कुछ पता चला .. आभार इस प्रस्तुति के लिए

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  37. mannu bhandari ji ke bare men mahtvapoorn jankari di hae aapne aabhar .maenne unki kahani sangarahon ka sangarah kiya hae .

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  38. मन्नू भंडारी जी के बारे में जानना अच्छा लगा ..बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !

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  39. मन्नू जी के बारे में बहुत सी नई जानकारी मिली अच्छा लगा..कालेज के जमाने में मैंने' आपका बंटी' कई बार पढी है. मकर संक्रांति की शुभकामनायें.

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  40. खूबसूरत प्रस्तुति ...
    परिचय कराने के लिए आभार ............

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  41. बहुत विस्तृत जानकारी

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  42. बहुत अच्छी सुंदर प्रस्तुति,बढ़िया अभिव्यक्ति रचना अच्छी लगी.....
    new post--काव्यान्जलि : हमदर्द.....

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  43. मन्नू जी के विषय में बहुत अच्छी जानकारी देती रचना है .
    आपका विषय मेरे लिए बहुत लाभदायक होता है..
    मुझे पुस्तके पढ़ने की जरुरत नहीं होती ..बस आपका ब्लॉग पढो और परीक्षा दे दो ..
    आपका बहुत - बहुत आभार ...

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  44. रीना मौर्या जी आपका आभार ।

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  45. मन्नू भंडारी जी की रचनाएं शुरू से प्रभावित करती रहीं हैं. आपका बंटी तो अभी तक स्मृति में बसा है. रोचक प्रस्तुति के लिये आभार.

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  46. परिचय देने के लिए आभार... अच्छा आलेख

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  47. मन्नू भंडारी जी का विस्तृत परिचय देने के लिए आभार. रजनीगंधा देखी थी,आपका बंटी ने उन दिनों एक क्रेज़ बना रखा था.

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  48. आपका बंटी मन्नू भंडारी ने नहीं, उनके अंदर एकदम सजीव हो उठे बच्चे ने लिखा है...

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