जीवन की हर गति बाजार, धन और मुनाफे से नहीं तय होती।
रात के बाद नए दिन की सहर आएगी
दिन नहीं बदलेगा तारीख़ बदल जाएगी।
(प्रेम सागर सिंह)
जिस तरह से बालू हाथ से सरक जाता है ठीक देखते ही देखते वर्ष -201। का एक छोटा सा सफर भी गुजर गया, पड़ाव आया, चला गया । चलिए, अब दूसरे सफर पर चलते हैं । दूसरा सफर शुरू करते हुए भी निगाहें बार-बार पीछे की ओर मुड़ती हैं, गुजरे पड़ाव की ओर । पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे कतई यह नहीं लगता कि गुजरा साल उसके पहले गुजर कर खत्म हो गए सालों से कहीं अलग था । 2010 भी 2009 की तरह था और 2009 भी 2008 की तरह । लेकिन फिर भी यह यकीन करने को जी चाहता है और मुझे यह यकीन है कि 2012 जरूर कुछ नई सौगातें, उम्मीदें और सपने लेकर आएगा । लगता है कि गुजरते वक्त के साथ साहित्य, कला, सिनेमा यानी कला की समस्त विधाओं पर बस एक ही चीज हावी होती जा रही है और वह है–बॉलीवुड । चारों ओर सिर्फ बॉलीवुड, बॉलीवुड की हस्तियों का ही बोलबाला है । किसी को ठहर कर यह सोचने की जरूरत नहीं कि कला का कोई और रूप भी हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बन रही है, लेकिन सिर्फ सिनेमा की और वह भी बॉलीवुड सिनेमा की । बराक ओबामा आते हैं तो भी बॉलीवुड के गाने बजते हैं । कोई नई फिल्म रिलीज होते ही फिल्मी कलाकार टेलीविजन के पर्दे पर आकर समाचार पढ़ने लगते हैं । हर जगह सिर्फ उन्हीं सितारों को महत्व दिया जाता है। हम यह स्वीकार ही नहीं करते कि शास्त्रीयता भी कला का रूप हो सकती है और वह भी उतने ही सम्मान और महत्व की हकदार है।बड़े मीडिया हाउसों में भी बॉलीवुड ही कला का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्थिति चिंतनीय है। अभी हमारे दो महत्वपूर्ण कलाकारों को “ग्रैमी अवॉर्ड” के लिए नामांकन हुआ । एक हैं मशहूर तबला वादक “संदीप दास” और दूसरे सारंगी वादक “ध्रुव घोष\”। इतनी महत्वपूर्ण उपलब्धि के बाद भी उनका कहीं जिक्र भी नहीं है। क्या हम एक ऐसा समाज रच रहे हैं, जहां संगीत, कला सिर्फ “मुन्नी बदनाम हुई……तक ही सीमित होगी। क्या संस्कृति और आत्मिक गहनता के नाम पर हम अपने बच्चों को सिर्फ यही दे पाएंगे ? क्या हमारी सांस्कृतिक समझ या हमारे कला चिंतन का दायरा इसके आगे नहीं जाता ? हम बच्चों को बचपन से ही सिखाते हैं कि ये कैमरा बहुत महंगा है, इसे संभालकर रखना। महंगे मोबाइल को संभालकर इस्तेमाल करना । लेकिन क्या हमने उन्हें कभी यह सिखाया कि दादी जो गाना गाती हैं, वह बहुत कीमती है। उसे भूल मत जाना। संभालकर रखना। नानी त्योहार पर जो गीत सुनाती हैं, उसे भी हमेशा याद रखना। हम कभी अपने बच्चों को उन सांस्कृतिक धरोहरों का महत्व नहीं समझाते और न कहते हैं कि इन्हें सहेजकर, बचाकर रखना। हमें बस वही बचाना है, जिसमें पैसा लगा है। सिर्फ धन को सहेजना है। किसी भी समाज के विचारों और चिंतन की ऊंचाई उस समाज की सांस्कृतिक गहराई से तय होती है और गुजरे सालों में यह गहराई कम होती गई है। सन् 2005 और 2006 में सरकार को बच्चों के पाठ्यक्रम में कला को अनिवार्य करने का सुझाव दिया गया था और उस पर सहमति भी बन गई थी। लेकिन वह अब तक लागू नहीं हो पाया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस वर्ष यह संभव हो पाएगा। यदि यह लागू होता है तो हमें परफॉर्मिग आर्ट से ज्यादा कला के शास्त्रीय पक्ष पर जोर देना चाहिए । यह बहुत जरूरी है कि बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को बचपन से ही कला को समझने और उसका सम्मान करने का संस्कार दिया जाए। उनके लिए संगीत का अर्थ सिर्फ फिल्मी संगीत भर न हो। वह अच्छे चित्र, अच्छे संगीत और गंभीर अर्थपूर्ण सिनेमा को समझें और उसके साथ जिएं। वर्ष 2012 में कुछ ऐसे बदलाव होने जा रहे हैं, जिससे मुझे काफी उम्मीदें हैं । लोकपाल बिल के साथ-साथ सरकार कॉपीराइट कानून में भी कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन करने जा रही है, जो इस वर्ष लागू होंगे। यदि कॉपीराइट कानून बदल गया तो कलाकारों की स्थिति थोड़ी मजबूत होगी । दूसरी महत्वपूर्ण चीज है, स्वतंत्र प्रकाशन की । इसके पहले किसी कलाकार को अपनी कला को लोगों को तक पहुंचाने के लिए किसी बड़ी म्यूजिक कंपनी का मोहताज होना पड़ता है। लेकिन इंटरनेट ने इसे मुमकिन बना दिया है कि किसी कंपनी के आसरे बैठे रहने के बजाय कलाकार खुद इंटरनेट के माध्यम से अपनी कला को जन-जन तक पहुंचा सकते हैं। यह आत्मनिर्भरता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगी, ऐसी मुझे उम्मीद है। नया वर्ष भारतीय कला-संगीत के क्षेत्र में विविधता का भी वर्ष होगा। कव्वाली और गजल जैसी विधाएं जो लगभग विलुप्त होती जा रही थीं, अब उनकी भी रिकॉर्डिग हो रही है और उन्हें जिंदा रखने का प्रयास किया जा रहा है। कला जीवन के लिए ठीक वैसे ही अनिवार्य और हमारे अस्तित्व का हिस्सा है, जैसे कि हमारी सांसें हैं । निश्चित ही इसी राह से बेहतर मनुष्यों का निर्माण किया जा सकता है और बेहतर मनुष्य ही मिलकर बेहतर समाज बनाते हैं । जीवन की हर गति बाजार, धन और मुनाफे से नहीं तय होती। जीवन इसके आगे भी बहुत कुछ है। सिर्फ देह नहीं, इसके साथ मन है, आत्मा है एवं सुखद जीवन की एक दार्शनिक विचार भी सन्निहित है । बंधुओं, नया साल-2012 आ है, हम सबके लिए अंतहीन खुशियों का सौगात लेकर। नव वर्ष के लिए मैं उन तमाम ब्लॉगर बंधुओं को जो इस ब्लॉग के यात्रा में इस सफर के साथी रहे है, यदि मुझसे बडे़ हैं, तो उनको सादर प्रणाम एवं लघु जनों को नित्य प्रति का स्नेहाशीष । विधाता से मेरी कामना है कि आने वाला वर्ष आप सबको मनोवांछित फल प्रदान करने के साथ-साथ वो मुकाम एवं मंजिल तक भी पहुचाएं जहाँ तक पहुँचने के लिए आज तक आप अहर्निश प्रयासरत रहे हैं। इस थोड़े से सफर में जाने या अनजाने में मुझसे कोई त्रुटि हो गयी हो तो मैं आप सबसे क्षमा प्रार्थी हूँ । नव वर्ष-2012 के लिए मंगलमय एवं पुनीत भावनाओं के साथ...आप सबका ही.....प्रेम सागर सिंह।
प्रस्तुत है मेरी एक कविता “जिंदगी”
जिंदगी
काफिला मिल गया था मुझे-
कुछ अक्लमंदों का
और तब से साल रहा है मुझे
यह गम
कि जिंदगी बड़ी बेहिसाबी से मैंने
खर्च कर डाली है
पर जाने कौन आकर
हवा के पंखों पर
चिड़ियों की चहचहाहट में
मुझे कह जाता है-
जिंदगी का हिसाब तुम भी अगर करने लगे
तो जिंदगी किस को बिठाकर अपने पास
बड़े प्यार से
महुआई जाम पिलाएगी !
किसके साथ रचाएगी वह होली
सतरंगी गुलाल की !
किसके पास बेचारी तब
दुख-दर्द अपना लेकर जाएगी !
कह जाता है मुझे कोई रोज
चुपके-चुपके, सुबह-सुबह।
****************
किसके पास बेचारी तब
ReplyDeleteदुख-दर्द अपना लेकर जाएगी !
कह जाता है मुझे कोई रोज
चुपके-चुपके, सुबह-सुबह।
सुंदर, भावपूर्ण कविता।
शुभ नववर्ष !
नववर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रेम बाबू! नववर्ष की अशेष शुभकामनाएँ!!
ReplyDeleteयही समझ लें कि क्या हमारे समाज का सुन्दर पक्ष है, तब कोई प्रतिभा मासूम नहीं होगी।
ReplyDeletekaash ki sach mein hum dharohar ko sahejney ki shiksha aaney wali pidhi ko dey paatey
ReplyDeleteश्री सलील वर्मा जी, आपको भी नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं ।
ReplyDeleteआपकी कविता बहुत अच्छी लगी. नव वर्ष में आप कविता लिखते रहें।
ReplyDeleteनव वर्ष पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं!!!
आप तथा आपके परिवार के लिए नववर्ष की हार्दिक मंगल कामनाएं
ReplyDeleteआपके इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल दिनांक 02-01-2012 को सोमवारीय चर्चा मंच पर भी होगी। सूचनार्थ
मिश्र जी आपका आभार.
ReplyDeleteआपको सपरिवार नव-वर्ष 2012 मंगलमय हो।
ReplyDeleteआपकी उम्मीद बेहद अच्छी है लेकिन इसके पूरा होने मे धन और धनिकों की पूजा बाधक है।
वास्तव में हम अपनी बहुमूल्य विरासत को भौतिकतावादी चीजों से कहीं नीचे का दर्जा देते हैं.
ReplyDeleteसुन्दर विश्लेषण और कविता के लिए आभार.
ReplyDeleteनववर्ष की शुभकामनाएँ.
आशाओं के सागर में...
ReplyDeleteबहुत सारगर्भित रचना ।
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें प्रेम जी ।
श्री राकेश जी ,श्री मिश्र एवं- डॉ टी एस दराल जी आपका आभार।
ReplyDeleteबहोत अच्छा लगा आपका ब्लॉग पढकर ।
ReplyDeleteनया हिंदी ब्लॉग
हिन्दी दुनिया ब्लॉग
aap sahitya ke dhani hai post padhkar bahut acchha laga bahut sundar bahut-bahut dhanyabad
ReplyDeleteआप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteइस रिश्ते को यूँ ही बनाए रखना,
दिल मे यादो क चिराग जलाए रखना,
बहुत प्यारा सफ़र रहा 2011 का,
अपना साथ 2012 मे भी इस तहरे बनाए रखना,
!! नया साल मुबारक !!
आप को सुगना फाऊंडेशन मेघलासिया, आज का आगरा और एक्टिवे लाइफ, एक ब्लॉग सबका ब्लॉग परिवार की तरफ से नया साल मुबारक हो ॥
सादर
आपका सवाई सिंह राजपुरोहित
एक ब्लॉग सबका
आज का आगरा
bahut acchi post.
ReplyDeleteआप को सपरिवार नव वर्ष 2012 की ढेरों शुभकामनाएं.
बहुत बहुत बढ़िया..
ReplyDeleteलेख भी/कविता भी.
आपको भी नववर्ष की शुभकामनाएँ.
अनामिका एवं विद्या जी आप सबका आभार ।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति नव सृजन एवं आशाओं की आहट युक्त....शुभ कामनाएं !!!
ReplyDeletewhat a beautiful poem and article....
ReplyDeletehappy new year to you and your family!!!!
bahut hi sundar prstuti..........nav varsh ki hardik shubhkamnayen...
ReplyDeleteबहुत सुंदर ... नववर्ष की मंगल कामनाएँ
ReplyDeleteइस आलेख की जितनी तारीफ की जाये कम है। सब शरीर की जरूरते पूरी कर रहे हैं, मन को तो जैसे लोग बिसराते जा रहे हैं। उन्हें पता ही नहीं कि कला का अर्थ क्या है? मानसिक खुराक भी कुछ होती है? लेकिन ब्लाग जगत में कभी-कभी ऐसे ही आलेखों से मानसिक खुराक मिल जाती है तब लगता है कि समय बर्बाद नहीं आबाद हो गया। आभार।
ReplyDeletesundar aalekh...sundarata liye kavy...
ReplyDeletenutan varsh ki hardik shubhkamnayen
सुन्दर आलेख...आभार|
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाएँ!
नव वर्ष मंगलमय हो ..
ReplyDeleteबहुत बहुत हार्दिक शुभकामनायें
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ReplyDeleteएक चिंतनीय आलेख जो प्रेरणादायक भी है !
ReplyDeleteसाथ ही सुन्दर रचना...!
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाये !
मेरे नये ब्लॉग "साहसी कलम"
पर आने के लिए दिल से शुक्रिया !
सुन्दर रचना आभार|
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनाएँ!
सुन्दर कविता ... सादर बधाई और नूतन वर्ष की सादर शुभकामनाएं
ReplyDeleteविचार परक आलेख .कविता भी सुन्दर .इस बरस देव साहब गए जो हमारा खाब थे ,स्टाइल थे ,अत्तेत थे ,जगजीत साहब गए जो गजल को दिलों में आबाद का गये ,भीमसेन जोशी जी गए सुरों को नव मान देकर एक सप्तक से दूसरे तक नवमान देकर ,भूपेन हजारिका साहब आंचलिकता को नए आयाम देकर ...संभाल के रखना है सब का खाब थोड़ा थोड़ा इस बरस .
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं............सार्थक आलेख
ReplyDeleteहम भी यही कामना करते हैं कि समस्त परिवार खुशहाली से यह वर्ष बिताए॥
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना,
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को नये साल की ढेर सारी शुभकामनायें !
ReplyDeletenice post.Thanks.
ReplyDeleteसाहित्यकारों के परिचय के बाद आपकी कविता एक नई स्फूर्ति जगाती है!! मंगलमय हो यह वर्ष और आपकी लेखनी यूं ही अविरल बहती रहे!!
ReplyDeleteMAJA A GAYA.. BAHUT SUNDAR
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ReplyDeleteजो विचलित न कर दे वह स्त्री नहीं है
ReplyDeleteऔर जो विचलित हो जाए वह पुरूष नहीं है
लिखते जाओ और लिखते ही चले जाओ
नया वर्ष यही कहता है मुझसे और आपसे
बहुत अच्छी प्रस्तुति ...नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteकविता बहुत अच्छी लगी.
ReplyDeleteनव वर्ष पर आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएं!!!
बहुत बढ़िया सर!
ReplyDeleteनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
सादर
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ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति,बढ़िया प्रस्तुति,....
ReplyDeletewelcome to new post--जिन्दगीं--
bahut khoob...
ReplyDeleteनव वर्ष की शुभकामनायें ..जिंदगी पर अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeletewah....bahot sunder likhe hain......
ReplyDeletesarthak lekh....
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति .शुभकामनायें .
ReplyDeletesundar prastuti...
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