खड़ी
बोली हिंदी और ऊर्दू के पिता : अमीर खुसरो
(अमीर खुसरो)
प्रस्तुतकर्ता : प्रेम सागर
सिंह (प्रेम सरोवर)
अमीर खुसरो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। अफगानी पिता
एवं भारतीय माता के पुत्र खुसरो एक सूफी कवि के रूप में जाने जाते हैं।
भारतीय संगीत के विकास और खास कर भारत में सूफी संगीत के विकास में उनका महत्वपूर्ण
योगदान रहा है। कहा जाता है कि तबले का अविष्कार उन्होंने ही किया था। सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य खुसरो को गंगा जमुनी संस्कृति के एक बड़े प्रतीक के रूप में देखा जाता
रहा है। 1253 ई. में उत्तर
प्रदेश के एटा जिले में जन्में खुसरो फारसी और हिंदी में समान रूप से दखल रखते
थे। उनकी वे कविताएं तो लाजवाब हैं जिनमें उन्होंने एक छंद फारसी का रखा है तो
दूसरा हिंदी का।
अमीर खुसरो
के बारे में कुछ जानकारी देने के पूर्व मैं समझता हूं कि उनके पूर्व की
परिस्थितियों के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रस्तुत करना बहुत ही आवश्यक है। इसी
को ध्यान में रखते हुए तदयुगीन हालातों के बारे में इस सत्य से परिचित करवाना
चाहता हूं कि पठान सुल्तान उल्माओं के मार्ग-दर्शन पर चलते थे और उलमाओं का उपदेश
यह था कि जो सुल्तान अधिक-से-अधिक काफिरों को मुसलमान बनाएगा,अधिक-से–अधिक मंदिरों
और मूर्तियों को तोड़ेगा, वही सबसे बड़ा सुल्तान है। अतएव मुसलमानों के लिए यह
जरूरी हो गया कि उलमाओं की इच्छा पूर्ति के लिए वे हिंदू धर्म पर अत्याचार करें ।
लेकिन मुसलमानों के सूफी संत उलमाओं के साथ नही थे।वे धर्मों के बाहरी रूप को
महत्व नही देते थे । उनका सारा जोर धर्मों की एकता पर था और यही भाव इस्लाम के
प्रति हिंदू-साधकों और संतों का भी था ।
उस समय
इस्लाम के भीतर से एकता की आवाज बहुत जल्द उठने लगी । राजा पृथ्वीराज का निधन 1192
ई. में हुआ और उसके 61 वर्ष के बाद अमीर खुसरो का जन्म हुआ । अमीर खुसरो भारत के
सबसे पहले राष्ट्रीय मुसलमान थे । वे हजरत चिश्ती के शिष्य और स्वयं ऊँचे तबके के
सूफी साधक थे। वे खड़ी बोली हिंदी और ऊर्दू-दोनों भाषाओं के पिता थे। जिस भाषा में
हम लोग अब अपना साहित्य लिखते हैं, उस भाषा में सबसे पहले-पहल रचना अमीर खुसरो ने
आरंभ की थी । अमीर खुसरो का लिखा हुआ एक महाकाव्य है, जिसका नाम “नूहे सिफर” है। उन्होंने
इस काव्य में भारतवर्ष का वर्णन किया है। उनके वर्णन से पता चलता है कि 14 वीं सदी
में भी भारत संसार का सबसे अग्रणी देश था ।
खुसरो की दष्टि
में भारत इसलिए वंदनीय है कि इस देश में ज्ञान और विविध विधाओं का व्यापक प्रचार
है । विश्व की सभी भाषाएं भारतवासी शुद्धता से सीख और बोल सकते हैं । ज्ञान सीखने
के लिए बाहर के लोगों को भारत आना पड़ता है, किंतु भारतवासियों को भारत से बाहर
जाना नही पड़ता है । अंकों का विकास भारत में हुआ है । विशेषत: शून्य का
प्रतीक भारत का आविष्कार है । हिंदसा शब्द हिंद और असा- इन दो शब्दों के योग से
बना है। शतरंज के खेल का आविष्कर्ता भारत है । भारतीय संगीत सभी देशों के संगीत से
उच्चकोटि का है । संगीत पर यहां केवल मनुष्य ही नही झूमते, उसे सुनकर यहां के
हिरणों का भी स्तंभ हो जाता है । अन्य किसी दूसरे देश में खुसरो के समान भाषा का
दूसरा जादूगर नही है , गर्चे वह सुल्तान का अदना सा चारण है ।
भारत को
खुसरो ने पृथ्वी का स्वर्ग माना है और लिखा है कि आदम और हौवा जब स्वर्ग से निकले
थे, तब वे इसी देश में उतरे थे । भारत के सामने खुसरो ने बसरा, तुर्की, रूस चीन,
खुरासान, समरकंद, मिश्र और कंधार- सबको तुच्छ बताया है । फिर खुसरो ने यह भी लिखा
है कि कोई मुझसे पूछ सकता है कि तू मुसलमान होकर हिंदुस्तान की बड़ाई क्यों करता
है । मेरे जवाब यह होगा कि इसलिए कि हिंदुस्तान मेरी जन्म-भूमि है और पैगंबर साहब
का हुक्म है कि तुम्हारे जन्म-भूमि का प्रेम तुम्हारे धर्म में शामिल होगा ।
जिन देशों
में मुसलमानों का बहुमत नही है, उन देशों के मुसलमान मन से एक कठिनाई का अनुभव
करते हैं । आरंभ से ही उन्हे सिखाया गया है कि जिस देश पर मुसलमानों का राज नही
है, बह देश दारूल - हरब (शत्रुओं का देश) समझा जाना चाहिए । अत: देश- भक्ति
और धर्म- भक्ति को एक साथ ले चलने में मुसलमानों को कठिनाई होती है।आम लोगों का
खयाल है कि जिस देश का शासन इस्लामी कानून से नही चलता,उस देश में बसने वाले
मुसलमान प्रच्छन्न विद्रोही बनकर जीते हैं।अमीर खुसरो ने यह कहकर कि आदमी का
जन्म-भूमि का प्रेम उसके धर्म-प्रेम में शामिल होता है, मुसलमानों के इस अंध -
विश्वाश को फाड़ दिया था । यदि खुसरो को हिंदुस्तान ने अपने आदर्श मुसलमान के रूप
में उछाला होता, तो हिंदुस्तान की कठिनाई कुछ-न-कुछ कम हो गई होती। आज भी मौका है
कि हम खुसरो को आदर्श भारतीय मुसलमान के रूप में जनता के सामने पेश करें ।
अपने किसी
भी पोस्ट की पृष्ठभूमि में मेरा यह प्रयास रहता है कि इस मंच से सूचनापरक साहित्य
को आप सबके समक्ष प्रस्तुत करता रहूं किंतु मैं अपने प्रयासों में कहां तक सफल हुआ
इसे तो आपकी प्रतिक्रिया ही बता पाएगी । इस पोस्ट को और रूचिकर बनाने में आपके
सहयोग की तहे- दिल से प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।
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हिंदुस्तान मेरी जन्म-भूमि है और पैगंबर साहब का हुक्म है कि तुम्हारे जन्म-भूमि का प्रेम तुम्हारे धर्म में शामिल होगा ,,,
ReplyDeleteवाह ,,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति ,अमीर खुसरो जी की ,,,,,
RECENT POST काव्यान्जलि ...: किताबें,कुछ कहना चाहती है,....
सर , आपने एक कालजयी रचनाकार के बारे में इतनी महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई इसके लिये तहेदिल से आपका शुक्रिया....
ReplyDeleteअमीर खुसरो सच में हिन्दी ग़ज़ल के जनक हैं। विरह वियोग का जैसा वर्णन खुसरो ने किया है , वह वास्तव में अन्यतम है.....
you need to savour the love to its bare bone in order to appreciate it completely..
अरबी, फारसी और हिन्दी इन तीन ज़ुबानों में लिखी इक ग़ज़ल की बानगी देखिये....ये मुझे बहुत पसन्द है और मैं इसे अक्सर सुना करता हूँ
"ज़िहाल-ए मिस्कीं मकुन तगाफ़ुल,
दुराये नैना बनाये बतियां |
कि ताब-ए-हिजरां नदारम ऎ जान,
न लेहो काहे लगाये छतियां ||
शबां-ए-हिजरां दरज़ चूं ज़ुल्फ़
वा रोज़-ए-वस्लत चो उम्र कोताह,
सखि पिया को जो मैं न देखूं
तो कैसे काटूं अंधेरी रतियां ||
यकायक अज़ दिल, दो चश्म-ए-जादू
ब सद फ़रेबम बाबुर्द तस्कीं,
किसे पडी है जो जा सुनावे
पियारे पी को हमारी बतियां ||
चो शमा सोज़ान, चो ज़र्रा हैरान
हमेशा गिरयान, बे इश्क आं मेह |
न नींद नैना, ना अंग चैना
ना आप आवें, न भेजें पतियां ||"
बिछोड़े की अगन में जलती एक विरहन के दर्द को कितनी सादगी के साथ प्रस्तुत किया है इस महान कलाकार ने
इस पोस्ट का बढ़ाने के लिए आभार ।
Deleteखुसरो बेशक हिन्दुस्तान के लिए एक आदर्श मुसलमान की प्रतिमूर्ति हैं, और आज भी उनकी रौशनी में हमारा ये बहु-सांस्कृतिक राष्ट्र जगमगा रहा है.. इस अच्छे आलेख के लिए बधाई.
ReplyDeleteसादर,
मधुरेश
आमंत्रित सादर करे, मित्रों चर्चा मंच |
ReplyDeleteकरे निवेदन आपसे, समय दीजिये रंच ||
--
बुधवारीय चर्चा मंच |
खुसरो की दष्टि में भारत इसलिए वंदनीय है कि इस देश में ज्ञान और विविध विधाओं का व्यापक प्रचार है । विश्व की सभी भाषाएं भारतवासी शुद्धता से सीख और बोल सकते हैं । ज्ञान सीखने के लिए बाहर के लोगों को भारत आना पड़ता है, किंतु भारतवासियों को भारत से बाहर जाना नही पड़ता है ।
Deletebahut sarthak prastuti ....!!
shubhkamnayen ...!!
धन्यवाद ।
Deleteखुसरो की दष्टि में भारत इसलिए वंदनीय है कि इस देश में ज्ञान और विविध विधाओं का व्यापक प्रचार है ।
ReplyDeleteKHUBSURAT JANKARI SAHIT ADBHUT POST SADA KI BHANTI. I LOVE THIS POST .
SO NICE AND SO BEAUTIFUL.
आपकी प्रतिक्रिया ही मेरे मनोबल को बढ़ाती है । धन्यवाद ।
Deleteआभार आपका इस नवीन जानकारी के लिए ...
ReplyDeleteसंग्रह योग्य लेख !
शुभकामनायें !
Bahut sahi rekhankit kiya hai aapne....
ReplyDeleteशरद सिंह जी आपका आभार ।
Deleteआपके प्रयास हमारे लिए बहुमूल्य हैं.......
ReplyDeleteआपका बहुत शुक्रिया इस अनमोल जानकारी के लिए.
सादर
बाबुल मोरा नेहर छूटो जाय ...
ReplyDeleteखुसरो की शैली और उनके लिखा आज भी उतन ही जीवित है जितना कल था ... शुक्रिया इस लेखन का ...
अमीर खुसरो ने यह कहकर कि आदमी का जन्म-भूमि का प्रेम उसके धर्म-प्रेम में शामिल होता है, मुसलमानों के इस अंध - विश्वाश को फाड़ दिया था
ReplyDeleteएकदम सही निष्कर्ष
इतिहास के लिए धरोहर है ये रचना.बहुत अच्छी एतिहासिक ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए धन्यवाद
ReplyDeleteबहुत अच्छी जानकारी... देने के लिये आभार ..
ReplyDeleteहजरत अमीर खुसरो को हमारा सलाम !
ReplyDeleteइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ब्लॉग बुलेटिन की राय माने और इस मौसम में रखें खास ख्याल बच्चो का
शिवम मिश्रा जी आपका विशेष आभार ।
Deleteआपका यह प्रयास सराहनीय एवं उत्कृष्ट है ...आभार
ReplyDeletepr yahi khusro ne deval devi aur khizer khan ki jhuthi prem kahani ka varran kiya.
ReplyDeleteye kya sultan alluddin khilzi ko khush karne ka pryaas nahi tha?
आज आप ने बहोत अच्छी जानकारी दि सर ।
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग पर आप निमंत्रीत है ।
HindiXpress Blog
अमीर खुसरो के संबंध में बहुत अच्छा आलेख।
ReplyDeleteज्ञानभरी पोस्ट..
ReplyDeleteअनमोल जानकारी ...बहुत अच्छी प्रस्तुति,...
ReplyDeleteधन्यवाद, महोदय ।
Delete--सुन्दर जानकारी....
ReplyDeleteजेहाले मिस्की मकुन तगाफ़ुल,
दुराये नैना बनाये बतियां ।
आपका यह लेख पढ़कर एक बार फिर भारतीय होने का गर्व जागृत हो गया .......और आमिर खसरो के लिए आदर से सर झुक गया .......अति सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteआप ने आकर बुधवारीय चर्चा मंच की शोभा बधाई ।
ReplyDeleteआभार ।।
prem ji bahut hi rochak prvishti lagi..................... hardik badhai
ReplyDeleteसंवेदना के स्वर पर हमने इनकी पहेलियों पर एक पूरा आलेख लिखा था काफी पहले.. और फिर इनकी फारसी/खडी बोली की रचना जो यहाँ टिप्पणी मेंन डी गयी है का उर्दू अनुवाद भी किया था...
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति!!
अमीर खुसरो पर सुंदर आलेख....
ReplyDeleteसादर।
सुन्दर जानकारी....
ReplyDeleteनए पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं ।
दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में .....
बहुत ही अनमोल जानकारी.....
ReplyDeleteबेहतरीन पोस्ट.....
:-)