Thursday, March 29, 2012

आज तुम मेरे लिए हो


 आज तुम मेरे लिए हो



    हरिवंश राय बच्चन

  
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।

मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब,
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब,
आज कुंतल छाँह मुझपर तुम किए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।

रात मेरी, रात का श्रृंगार मेरा,
आज आधे विश्व से अभिसार मेरा,
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।

वह सुरा के रूप से मोहे भला क्या,
वह सुधा के स्वाद से जाए छला क्या,
जो तुम्हारे होंठ का मधु-विष पिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।

मृत-सजीवन था तुम्हारा तो परस ही,
पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी,
मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।

 
*************************************************************


19 comments:

  1. प्रिया receiving end पर ही मालूम पड़ती है। न जाने क्यों फिर भी प्रिय को कहलाए बगैर यक़ीन नहीं हो रहा!

    ReplyDelete
  2. वाह ! ! ! ! ! बहुत खूब प्रेम जी,बच्चन जी पढवाने के लिए आभार,....
    सुंदर रचना,
    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

    ReplyDelete
  3. once again ypu have posted TUM MERE HO.
    beautiful lines with great emotions.

    ReplyDelete
  4. Replies
    1. My dear Ramakant,
      I would be pleased if you kindly clarify your stand for being EXTREMELY SORRY.

      Delete
  5. बहुत सुन्दर सर.....
    आज खाली कविता????परिचय नहीं???
    ज्ञान का भण्डार लगता है आपका ब्लॉग....
    बच्चन जी तो हैं ही लाजवाब.....

    बहुत बहुत शुक्रिया
    अनु

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत जल्द ही एक अच्छा पोस्ट प्रस्तुत करूंगा । धन्यवाद ।

      Delete
    2. मुन्तजिर हूँ...

      सादर.

      Delete
  6. बच्चन जी की बहुत सुन्दर रचना को आपने प्रस्तुत किया....धन्यवाद!

    ReplyDelete
  7. बहुत सुन्दर कविता . आभार .

    ReplyDelete
  8. सुन्दर और बेहतरीन कविता, शेयर करने के लिये बहुत बहुत आभार
    एक ब्लॉग सबका

    ReplyDelete
  9. बचचन जी को पढ़ना बहुत अच्छा लगता है। धन्यवाद आपका।

    ReplyDelete
  10. बच्‍चन जी की इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति को पढ़वाने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार ।

    ReplyDelete
  11. बच्चन जी की बहुत सुन्दर रचना को पढ़वाने के लिए आभार..

    ReplyDelete
  12. sarthak v sajeev rachna ham tak pahunchane ke liye dhanyavad.vaese bhi बच्चन जी mere pasandida kavi haen.

    ReplyDelete
  13. बच्चन जी का भावावेग और सहज अभिव्यक्ति,जो प्रभाव छोड़े बिना नहीं रहती,उनकी अपनी विशिष्टता है!

    ReplyDelete
  14. सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार..

    ReplyDelete