Wednesday, April 4, 2012

समाज के विविध पक्षों , व जन-जीवन से जुड़ा साहित्य अर्थवान होता है ।


 समाज के विविध पक्षों, व जन-जीवन से जुड़ा साहित्य ही अर्थवान होता है

                  
                       अमृत लाल नागर

           जन्म:17 अगस्त 1916 (निधन 1990)


हम ने भी कभी प्यार किया था,
थोड़ा नही बेसुमार किया था,
बदल गई जिंदगी,
जब उसने आकर मुझसे कहा,
अरे पागल, मैंने तो मजाक किया था


जीवन वाटिका का बसंत, विचारों का अंधड़, भूलों का पर्वत, और ठोकरों का समूह है यौवन। इसी अवस्था में मनुष्य त्यागी, सदाचारी, देशभक्त भी बनते हैं, तथा अपने खून के जोश में वह काम कर दिखाते हैं जिससे उनका नाम संसार के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिख दिया जाता है तथा इसी आयु में मनुष्य विलासी, लोलुपी और व्यभिचारी भी बन जाता है और इस प्रकार अपने जीवन को दो कौड़ी का बनाकर पतन के खड्ड में गिर जाता है । अंत में पछताता है, प्रायश्चित करता है, परंतु प्रत्यंचा से निकला हुआ वाण फिर वापस नही लौटता, खोई हुई सच्ची शांति फिर नही मिलती>- अमृत लाल नागर

हिंदी साहित्य-जगत को अपनी अनुपम कृतियों से एक नया आयाम प्रदान करने वाले अमृत लाल नागर का जन्म 17 अगस्त 1916 को आगरा में हुआ था। उनके पिता का नाम राजाराम नागर था। नागर जी का निधन वर्ष 1990 में हुआ । नागर जी  इण्टरमीडिएट तक ही पढाई कर पाए किंतु  इन पर मां सरस्वती की कृपा दृष्टि बनी रही।इनकी भाषा सुगम्य, सरल एवं सहज है जिसके कारण पाठकों के दिल में इनकी रचनाओं के प्रति अगाध प्रेम भरा रहता है। इन्होंने अपनी रचनाओं में विदेशी तथा देशज शब्दों का प्रयोग आवश्यकतानुसार किया है। भावात्मक, वर्णनात्मक, शब्द चित्रात्मक शैली का प्रयोग इनकी रचनाओं में देखने को मिलता है। इनकी अपनी मान्यता रही है कि साहित्य और समाज एक दूसरे के पूरक हैं। समाज के व्यापक और गहन अस्तित्व के समान ही उससे घनिष्टता से जुड़े साहित्य में भी वही व्यापकता, विशदता और गहराई समाई होती है। यही कारण है कि समाज उसके विविध पक्षों, व जीवन से जुड़ा साहित्य अर्थवान होता है जो साहित्य विशुद्ध रूप से समाज और उसकी गहन व्यापकता को समेट कर रूपाकार पाता है, नि:संदेह यह समाज की भांति ही संपन्न और समृद्ध होता है । विश्व के अनेक चिंतकों, विचारकों, एवं प्रख्यात समाजशास्त्रियों ने समाज का गहन अध्ययन कर, उसे व्याख्यायित करते हुए कहा है - समाज मात्र व्यक्तियों का समूह ही नही, अपितु यह एक ऐसी संरचना है जो परंपराओं, रीति-रिवाजों, मूल्यों, संस्कारों, मानवीय भावो, वर्ण, वर्ग, जाति, परिवार, विवाह आदि संस्थाओं, व्यवस्थाओं, इनके प्रकार्यों-अकार्यों तथा तदजनित सामाजिक सांस्कृतिक एवं भावनात्मक एकता, बिखराव, पारस्परिक संबंधों व संघर्षों से विकसित होकर रूपाकार लेता और निरंतर परिवर्तनशील रहता है। यह परिवर्तनशीलता उसके विकास समृद्धि व संपन्नता की सूचक होती है जो अविराम उसे परिवर्द्धित करती है। नागर जी के उन्यास साहित्य का केंद्र विंदु समाज, संस्कृति और जनजीवन ही है। इस संबंध में हिंदी साहित्य के अनेक विद्वानों की मान्यता रही है कि जन जीवन और संस्कृति समाज में समाहित रहती है और वही समाज के अस्तित्व के मूल में होती है। इनके उपन्यासों को पढ़ने पर मैंने समाज और उसके विविध अवयवों, अंत:क्रियाओं, व्यवस्थाओं इनसे रचे बसे संगठित जीवन को व्यापक रूप में रचा बसा पाया। आईए, एक नजर डालते हैं लेखक के समाज व संस्कृति  और जीवन से जुड़े बहुमूल्य एवं उदात्त विचारों व समाजशास्त्रीय दृष्टि से उनकी कृतियों पर जो आज भी हमारे लिए प्रकाशस्तंभ की तरह प्रतीत होती हैं।

साहित्यिक कृतियां :- 10 प्रतिनिधि कहनियां, अक्ल बड़ी या भैंस, एक दिल और हजार अफसाने, करवट, कृपया दांए चलिए, खंजन नयन,गदर के फूल, चकल्लस, चक्र तीर्थ, चैतन्य महाप्रभु, टुकड़े-टुकड़े दास्तान, नटखट चाची, नवाबी मसनद, पीढियां, बिखरे सपने, भूख, महान युग निर्माता, मानस का हंस, ये कोठेवालियां, हम फिदा ए लखनऊ, सेठ बाँकेमल, बूंद और समुद्र, शतरंज के मोहरे, सुहाग के नुपुर, अमृत और विष, घूँघट वाला मुखड़ा, एकदा नैमिषारण्ये, नाच्यौ बहुत गोपाल, व्यंग, निबंध, रेखाचित्र, संस्मरण, जीवनी आदि विधाओं में आपने महत्वपूर्ण कार्य किया ।

संपादन:-नागर जी ने सुनीति समाचार, हास्य व्यंग साप्ताहिक चकल्लस का संपादन कार्य भी किया । इसके साथ-साथ उन्होंने नया साहित्य एवं प्रसाद नामक मासिक पत्रिका के संपादन के कार्य को भी बखूबी निभाया।

अन्य:- वर्ष 1940 से 1947 तक फिल्म दृष्यांकन का लेखन कार्य किया। 1953 ले 1956 तक आकाशवाणी लखनऊ में ड्रामा प्रोड्यूसर भी रहे ।

पुरस्कार :-साहित्य अकादमी और सोवियतलैंड पुरस्कार, बटुक प्रसाद पुरस्कार, प्रेमचंद पुरस्कार, बीर सिंह देव पुरस्कार, विद्या वारिधि, सुधाकर पदक, तथा पद्मभूषण से अलंकृत किया गया । इन्हे साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट कार्य करने के लिए भारत सरकार द्वारा वर्ष 1981 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।

नोट: आप सबके बहुमूल्य सुझावों एवं प्रतिक्रियाओं की आतुरता से प्रतीक्षा रहेगी ताकि इस पोस्ट को संग्रहणीय एवं शिक्षाप्रद बनाया जा सके ।

****************************************************************

43 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति। मेरे नए पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत दिनों के बाद आपका मेरे पोस्ट पर आगमन हुआ ।मेरा मनोबल बढञाने के लिए आपको धन्यवाद देता हूँ ।

      Delete
  2. अमृत लाल नागर जी को आपकी लेखनी द्वारा पढ़ना सुखद है . आपका आभार..

    ReplyDelete
  3. बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति...
    सार्थक लेखन...

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए आपका आभार ।

      Delete
  4. आपकी हर प्रस्तुति साहित्य-जगत से जुड़े रहने वालों के लिए बहुत ही रोचक एवं संग्रहणीय बन जाती है । आशा करता बूँ कि भविष्य में भी आप साहित्य जगत के ऐसे हस्ताक्षरों के बारे में रोचक जानकारियांं प्रस्तुत करते रहेंगे । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सुन्दर प्रस्तुति !.धन्यवाद !

      Delete
  5. अमृतलाल नागर जी के के बारे में बहुत अच्छी जानकारी आपने उपलब्ध कराई है!..........सुन्दर प्रस्तुति!...धन्यवाद!

    ReplyDelete
  6. अपना स्नेह मेरे लिए बनाए रखें । धन्यवाद ।

    ReplyDelete
  7. Bahut achchi jaankaari prakaashit kari hai aapne ne Amritlal Nagar ji ke baare me, Abhaar.

    ReplyDelete
  8. अमृत लाल नागर जी के बारे में जानकारी देती हुवी यह पोस्ट ज्ञानवर्धक लगी...आपका आभार

    ReplyDelete
  9. सुन्दर जानकारीपूर्ण प्रस्तुति.
    अमृत लाल नागर जी का परिचय आपने ख़ूबसूरती से करवाया है.
    प्रस्तुति के लिए आभार आपका.

    ReplyDelete
  10. अमृतलाल जी के विषय में विस्तृत जानकारी के लिए आभार
    धन्यवाद....

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए आपका आभार ।

      Delete
  11. सार्थक लेख लिखा है आपने..बेहद दिलचस्प व्यक्तित्व था नागरजी का.

    ReplyDelete
  12. Bahut khoob likha hai aapne.. Accha laga ek aisa post padh ke.. Dhanyavaad:)

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए आपका आभार ।

      Delete
  13. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
    मेरे ब्लॉग कि नवीनतम पोस्ट के लिए यहाँ क्लिक करे. !
    manojbijnori12.blogspot.com

    ReplyDelete
  14. अमृतलाल जी के व्यक्तित्व ki विस्तृत जानकारी के लिए आभार ...

    ReplyDelete
  15. वाह!!!!!!बहुत सुंदर,अच्छी प्रस्तुति,..जानकारी के लिए आभार

    MY RECENT POST...फुहार....: दो क्षणिकाऐ,...

    ReplyDelete
  16. समय समय पर...याद करते रहना चाहिये... आभार..

    - हम भी आगरा के हैं जी..

    ReplyDelete
    Replies
    1. गुप्ता जी, नमस्कार ।
      याद करने की बात अलग है ,एक बार जो मेरे पोस्ट पर आ जाता है ,वह मेरे दिल में रच बस जाता है । मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका आभारी रहूंगा । धन्यवाद ।

      Delete
  17. अमृत लाल नागर जी के व्यक्तित्व और कृतित्व के सुन्दर परिचय के लिये आभार....

    ReplyDelete
  18. नागर जी की जीवनी और उनके सृजन के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए बहुत धन्यवाद.

    ReplyDelete
    Replies
    1. मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए आपका आभार ।

      Delete
  19. Shandar Parichay karane ke liye aabhar

    ReplyDelete
  20. Amritlal nagar ji ke vishay me upayogi jankari ....
    sarthak post aur sargarbhit prayas ....
    shubhkamnayen .

    ReplyDelete
  21. अमृत वाणी बाँचते, नागर जी सिरमौर ।

    गरम खून सह जोश पर, तरुणों कर लो गौर ।

    तरुणों कर लो गौर, पते की बात बताई ।

    व्यभिचारी लोलुप, बिलासी पन अधिकाई ।

    यही अवस्था पाय, नाम कुछ रोशन करते ।

    देशभक्त ये तरुण, देश हित जीते मरते ।।

    ReplyDelete
  22. पुन: बहुत ही बढ़िया प्रस्तुति... नागर जी की जानकारी हेतु आभार.

    ReplyDelete
  23. वाह!!!!!!बहुत सुंदर,अच्छी जानकारी देती प्रस्तुति........

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: यदि मै तुमसे कहूँ.....

    ReplyDelete
  24. bahut acchi lagi prastuti nd nagar ji ki kavita padhkar hansi aa gai ...

    ReplyDelete
  25. आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं।
    नागर जी का ‘नाच्यो बहुत गोपाल‘ मुढे बहुत प्रिय है।

    ReplyDelete
  26. नागर जी का लेखन हमारे साहित्य की निधि है !

    ReplyDelete
  27. नागरजी के जीवन व उनकी कृतियों के विषय में इतनी विस्तृत जानकारी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद !!!!!

    ReplyDelete
  28. अच्छी जानकारी देती प्रस्तुति.
    नागर जी की जानकारी हेतु आभार

    ReplyDelete
  29. Hamesha ki tarah jaankaari se paripoorna prastuti . aabhaar ,

    ReplyDelete
  30. अमृत लाल नागर के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा ...
    आभार आपका !

    ReplyDelete
  31. नागर जी की जीवनी और उनके के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए आप का बहुत-बहुत आभार..

    ReplyDelete
  32. आपकी सभी प्रस्तुतियां संग्रहणीय हैं। .बेहतरीन पोस्ट .
    मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए के लिए
    अपना कीमती समय निकाल कर मेरी नई पोस्ट मेरा नसीब जरुर आये
    दिनेश पारीक
    http://dineshpareek19.blogspot.in/2012/04/blog-post.html

    ReplyDelete
  33. नागर जी के कुछ उपन्यास पढ़ें हैं..एकदम हकीकत को दर्शाते हुए..सिस्टम का जो रोना हम आज रोते हैं उसकी बानगी उनकी कृतियों में पहले ही मौजूद थी..यही कालजयी लेखकों की खासियत होती है.....।

    ReplyDelete
  34. नागर जी की जीवनी के बारे में पढ़कर अच्छा लगा,.बेहतरीन पोस्ट

    ReplyDelete