भोजपुरी भाषा को संविधान में शामिल करने की
प्रासंगिकता
*भोजपुरी
हिंदी भाषा की सशक्त पक्षधर बने, इस उम्मीद के साथ संविधान की 8वीं अनुसुची में
भोजपुरी का स्वागत है*- (माननीय श्री पी..चिदबरम)
भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की घोषणा
मॉनसून सत्र में कर सकती है । इस बारे में चिदांबरम ने आश्वासन
देते हुए लोक सभा में कहा – “हम रूऊआ सबके भावना के समझत बानी।” भोजपुरी भाषा को 8वीं अनुसूची में शामिल किए
जाने को लेकर एक बार फिर लोकसभा में जोरदार मांग उठी और सरकार ने आश्वासन दिया कि
संसद के अगले सत्र में इस बारे में फैसले की घोषणा की जाएगी। संसद में लंबे समय से उठ
रही इस मांग पर गृह मंत्री पी. चिदम्बरम ने सदस्यों की भावनाओं से सहमति जताते हुए
आश्वासन दिया। चिदंबरम ने कहा कि सरकार को भोजपुरी भाषा समेत कई भाषाओं को संविधान
की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के बारे में बनी समिति की रिपोर्ट मार्च में मिल
चुकी है।
लोकसभा में इस मुद्दे पर लाए गए ध्यानाकर्षण
प्रस्ताव पर हुई चर्चा का समापन गृहनके जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने
भोजपुरी भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किए जाने का निश्चित समय बताने पर जोर दिया।
अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि गृह मंत्री जल्द से जल्द इस बारे में फैसला करने का
आश्वासन दे चुके हैं इसलिए उनकी बात पर भरोसा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि
चिदम्बरम आमतौर पर इंग्लिश में बोलते हैं और हिन्दी भी बहुत कम बोलते हैं। उन्होंने
आज भोजपुरी में बोला है इसलिए उनकी बात को माना जाए। लेकिन सदस्य समय सीमा बताए
जाने की मांग करते रहे, जिस पर चिदम्बरम ने कहा कि संसद के मॉनसून सत्र में इस बारे में सरकार
अपना फैसला बताएगी लोकिन आज तक सरकार द्वारा इस पर कोई ठोस पहल
नही की गई है।
भोजपुरी बहुत ही सुंदर, सरस, तथा मधुर भाषा है।
भोजपुरी भाषा-भाषियों की संख्या भारत समृद्ध भाषाओं-
बँगला, गुजराती और मराठी आदि बोलनेवालों से कम नहीं है। भोजपुरी
भाषाई परिवार के स्तर पर एक आर्य भाषा है और मुख्य रुप से पश्चिम
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश और उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्र में बोली जाती
है। आधिकारिक और व्यवहारिक रूप से भोजपुरी हिन्दी की एक उपभाषा या बोली है। भोजपुरी अपने शब्दावली
के लिये मुख्यतः संस्कृत एवं हिन्दी पर
निर्भर है कुछ शब्द इसने उर्दू से भी ग्रहण किये हैं।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन समय-समय पर आंदोलनात्म, रचनात्मक और बैद्धिक तीन स्तरों पर भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति के विकास में निरंतर जुटा हुआ है। विश्व भोजपुरी सम्मेलन से ग्रंथ के साथ-साथ त्रैमासिक 'समकालीन भोजपुरी साहित्य' पत्रिका का प्रकाशन हो रहा हैं। विश्व भोजपुरी सम्मेलन, भारत ही नहीं वैश्विक स्तर पर भी भोजपुरी भाषा और साहित्य को सहेजने और इसके प्रचार-प्रसार में लगा हुआ है। देवरिया (यूपी), दिल्ली, मुंबई, कोलकता, पोर्ट लुईस (मारीशस), सूरीनाम, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और अमेरिका में इसकी शाखाएं खोली जा चुकी हैं।
भोजपुरी को स्वीकार करने के बाद आंदोलन यहीं नही रूकेगा। हमारी राजनीति
को फिर भोजपुर राज्य की आवश्यकता पड़ेगी। जाहिर है कि इतने लंबे संघर्ष के बाद जब
भोजपुर राज्य बनेगा तो उसमें भला हिंदी का क्या काम ! समस्त राजकीय कार्य भोजपुरी में होंगे और
विद्यालय में अनिवार्य रूप से भोजपुरी पढ़ाई जाएगी । सांस्कृतिक विकास का सर्वथा
नवीन परिदृश्य हमारे सामने आएगा। भोजपुरी भाषा को संविधान में शामिल किए जाने के
बाद इसका प्रत्यक्ष प्रभाव विदेशों में रहने वाले भारतीय़ों के दिलों को स्पर्श
करेगा एवं बिहार राज्य में निवेश की अपार संभावनाएं बढेगी।
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बढ़िया है आदरणीय ||
ReplyDeleteबहुत अच्छी और मधुर भाषा है भोजपुरी ... बढ़िया आलेख.. आभार
ReplyDeleteभोजपुरी भाषा पर आपका यह आलेख एक नई रौशनी डालता हुआ ...
ReplyDeleteआभार
भोजपुरी बहुत अच्छी और मधुर भाषा है,और इसे आठवी अनुसूची में शामिल किया जाना चाहिए... बढ़िया आलेख.. आभार
ReplyDeleterecent post : जन-जन का सहयोग चाहिए...
कोमल और मधुरता की ध्वनियों की भाषा..
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 15/1/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteबहुत सुंदर उम्दा आलेख ,,,
ReplyDeleterecent post: मातृभूमि,