अभिशप्त जिंदगी
(प्रेम सागर सिंह)
अतीत की
किसी सुखद स्मृति की अनुभूति कभी-कभी मन में खिन्न्ता और आनंद का सृजन कर जाती है। इससे जीवन में रागात्मक लगाव अभिव्यक्ति के लिए बेचैन हो उठता है,फलस्वरूप मानव-दृदय की जटिलताएं प्रश्न चिह्न बनकर
खड़ी हो जाती हैं। परंतु यह चिर शाश्वत सत्य है कि
प्रत्येक मनुष्य इसके बीच भी एक अलौकिक आनंद का अनुभव करते हुए ब्रह्मानंद सहोदर
रस से अपने भावों को सिंचित करने का प्रयास करता है। इनके वशीभूत होकर मैं भी
रागात्मक संबंधों से अमान्य रिश्ता जोड़कर एक पृथक जीवन की तलाश में अपनी भाव
तरंगों को घनीभूत करन का प्रयास किया हूं जो शायद मेरी अभिव्यक्क्ति की
भाव-भूमि को स्पर्श कर मन की असीम वेदना को मूर्त रूप प्रदान कर सके। कुछ ऐसी ही
भावों को वयां करती मेरी यह कविता आप सबके समक्ष प्रस्तुत है।
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- तुम्हारे सामीप्य-बोध एवं
सौदर्य-पान के वृत मे
सतत परिक्रमा करते-करते
ब्यर्थ कर दी मैंने,
न जाने कितनी उपलब्धियां।
तुमसे दुराव बनाए रखना
मेरा स्वांग ही था, महज।
तुम वचनबद्ध होकर भी,
प्रवेश नही करोगी मेरे जीवन में,
फिर भी मैं चिर प्रतीक्षारत रहूं।
इस अप्रत्याशित अनुबंध में,
अंतर्निहित परिभाषित प्रेम की,
आशावादी मान्यताओं का
पुनर्जन्म कैसे होता चिरंजिवी।
जीवन की सर्वोत्तम कृतियों
एवं उपलब्धियों से,
चिर काल तक विमुख होकर
मात्र प्रेमपरक संबंधों के लिए,
केवल जीना भी
एक स्वांग ही तो है
तुम ही कहो-
प्रणय-सूत्र में बंधने के बाद
इस सत्य से उन्मुक्त हो पाओगी,
और सुनाओगी प्रियतम से कभी,
इस अविस्मरणीय इतिवृत को,
जिसका मूल अंश कभी-कभी,
कौंध उठता है, मन में।
बहुत अप्रिय और आशावादी लगती हो,
जब पश्चाताप में स्वीकार करती हो,
कि, अब असाधारण विलंब हो चुका है।
मेरा अपनी मान्यता है कि --
उतना भी विलंब नही हुआ है
कि तमाम सामाजिक वर्जनाओं को त्याग कर,
हम जा न पाएं किसी देवालय के द्वार पर
और
उस पवित्र परिसर को अपवित्र करने के अपराध में,
हम दोनों जी न सकें ,
एक अभिशप्त जिंदगी ही सही
मगर साथ-साथ...............
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सुन्दर विचार, उत्तम कविता.
ReplyDeleteउस पवित्र परिसर को अपवित्र करने के अपराध में,
ReplyDeleteहम दोनों जी न सकें ,
एक अभिशप्त जिंदगी ही सही
मगर साथ-साथ..
अद्भुत निःशब्द कराती रचना भावमय
बहुत सुंदर निशब्द करती उम्दा प्रस्तुति,,,बधाई प्रेम जी,,,,
ReplyDeleterecent post: मातृभूमि,
बहुत उत्कृष्ट भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteआशाएं बनी रहें
ReplyDeleteमंगलकामनाएं आपको !
भावमय रचना ...
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