हर पल यहाँ जी भर जियो
प्रेम सागर सिंह
हम सबके जीवन में प्रेम एक बहता नीर है । मानव मन जिस साँचे में ढलता है उसका आकार भी वैसा ही बन जाता है । जिंदगी के हर मोड़ पर कही धूप, कहीं छाँव, कभी त्याग, कभी तृष्णा और कभी सहनशीलता का सामना करना पडता है। शमाँ के लिए परवाने मर जाते हैं पर शमाँ को इसका जरा सा भी अफसोस नही होता है पर आधुनिक समाज में आपसी सामंजस्य एवं गुणा-गणित के बीच प्रेम जैसी गहन अनुभूति कहीं सो गई है, मानव संवेदनाएं विलुप्ति के कगार पर बढ़ती चली जा रही है। बचपन कब पीछे छुट जाता है, पता ही नही चलता । जबानी कब मुंह चुराकर निकल जाती है, इसका एहसास हमें तब होता है, जब जिंदगी के बेशकीमती लमहे गुजर गए होते हैं । जब जिंदगी का हिसाब करने लगते हैं – हमारे हिस्से में आते हैं, पहले केरियर फिर पोजिसन एवं अंतत: पैसा......जिंदगी का मकसद बस यही है क्या ! कसी के दुख में रोए नही, अपनी खुशियाँ किसी से बाँटी नही, किसी के काम नही आए, किसी के लिए एक पल के लिए ही सही जिया नही, किसी को हंसना नही सिखाया तो क्या मजा है इस जिंदगी का ! मशीन की तरह काम किया और जिंदगी बिता दिया । इस दुनिया की दुनियादारी भी गजब की चीज है । इसमें भावनाओं के लिए कोई जगह नही होता । लोग उम्र बेचकर पैसे कमाते हैं और जिंदगी की बैलेंस शीट में हासिल सिफर रह जाता है । अंत में दुनिया को अलविदा करते बक्त यह सोचकर अफसोस करते हैं कि यार पैसे तो बहुत कमा लिए, लेकिन खुशियाँ न कमा सके । मकान तो बहुत ही सुंदर बना लिया पर उसे घर न बना सके । यह सोचकर मन एक असीम व्यथा से भर जाएगा कि इच्छाएं तो बहुत पूरी की , लेकिन जो संतोष अंतरंग साथी की सहज शोहबत में मिलता उससे वंचित रह गए । रही इस दुनिया की बात तो वह भी ठीक वैसे ही है जैसी हर जमाने की दुनिया । लोग दिल की बात सुनने से परहेज करते हैं और जो सुनते भी हैं तो उन्हे परवाना कहा जाता है । दिल की सुनने की बात का मतलब है –इंसान का इंसान बने रहना, उस आवाज को सुनते रहना, जो यह बताती है कि आपके अपनी जिंदगी में क्या करना अच्छा लगेगा । इतिहास साक्षी है कि कोई समाज चाहे कितना ही विकास क्यों न कर ले और सभ्यताएं और संस्कृतियां कितनी उठान पर हों पर जब दिल की बात चलती है तो सब कुछ सूना-सूना सा लगता है । चाहे हर किसी के दिल में मोहब्बत की टीस उठती हो, लेकिन समाज ने कभी भी दिल की बातों को मुख्यधारा में जोड़ने की इजाजत नही दी । समाज हमेशा मुनाफे के गुणा गणित से चलते आए हैं । आज की बात हो या सदियों पहले की, अपने देश की कहानी हो या विदेश की –कहानी एक ही है हर जगह, हर समय । लोग मोहब्बत करते हैं, लेकिन जब समाज की वर्जनाएं प्राचीर बनकर खड़ी हो जाती हैं तो अक्सर होता वही है, जो दुनियादारी के व्याकरण में सही माना जाता है । काश ! हम जैसै दिल कहता है वैसे ही जी पाते । हम कमसे कम अपने आपको फुरसत में यह समझा पाते कि अच्छी या बुरी, जैसी भी हो, जिंदगी मैंने खुलकर जी है । मेरी भी मान्यता है कि जिंदगी बड़ी बेहिसाबी से खर्च करनी चाहिए और - हर पल यहाँ जी भर जियो । आपके क्या विचार हैं बंधुगण !
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हमने ज़िंदगी का पैमाना लंबी उम्र, खूब पैसा और ऊंचा ओहदा... इसी को मान लिया है.. हम तो कब से भूले बैठे हैं कि
ReplyDeleteज़िंदगी फूलों की नहीं,
फूलों की तरह मंहकी रहे!!
वाह,वर्मा साहब , आपने तो अपनी प्रतिक्रिया में जिंदगी को फूलों की सुगंध तरह सचमुच में महकने के लिए बाध्य कर दिया । आभार ।
ReplyDeleteसमाज हमेशा मुनाफे के गुणा गणित से चलते आए हैं ।
ReplyDeleteइस पोस्ट पर बधिसत्व की पंक्तियां कहने का मन बन गया
....झंडे जो मैंने उठाए नारे जो मैंने लगाए
गीत जो मैंने गाए
सब थे दूसरों के बनाए। किताब जो मैंने पढ़ी
थी दूसरों की गढ़ी
मैं तो बस चोर की तरह
चुराता रहा दूसरों का किया।
मैंने किया क्या
जीवन जिया क्या?
@दिल की सुनने की बात का मतलब है -इंसान का इंसान बने रहना, उस आवाज को सुनते रहना, जो यह बताती है कि आपकी अपनी जिंदगी में क्या करना अच्छा लगेगा ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर और अनुकरणीय विचार।
जीवन जीने का नाम।
ReplyDeleteबहुत ही सार्थक और सटीक चिन्तन को दर्शाती रचना।
ReplyDeletesundar sarthak chinatan...
ReplyDeleteहृदय की बात सुननी ही चाहिए!
ReplyDeleteज़िन्दगी जिंदादिली का नाम है...!
ReplyDeleteजिंदगी को जीना और खुल के जीना .. यही एक मन्त्र है ... लाजवाब पोस्ट ...
ReplyDeleteदीये की लौ की भाँति
ReplyDeleteकरें हर मुसीबत का सामना
खुश रहकर खुशी बिखेरें
यही है मेरी शुभकामना।