Tuesday, November 6, 2012

अटल बिहारी बाजपेयी जी की कविता



अपने ही मन से कुछ बोलें :अटल बिहारी बाजपेयी


                                                                 

 (भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी)


क्या खोया, क्या पाया जग में
मिलते और बिछुड़ते मग में
मुझे किसी से नहीं शिकायत
यद्यपि छला गया पग-पग में
एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें!

पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी
जीवन एक अनन्त कहानी
पर तन की अपनी सीमाएँ
यद्यपि सौ शरदों की वाणी
इतना काफ़ी है अंतिम दस्तक पर, खुद दरवाज़ा खोलें!

जन्म-मरण अविरत फेरा
जीवन बंजारों का डेरा
आज यहाँ, कल कहाँ कूच है
कौन जानता किधर सवेरा
अंधियारा आकाश असीमित, प्राणों के पंखों को तौलें!
अपने ही मन से कुछ बोलें!

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16 comments:

  1. बहुत ही अच्छी लगती है यह कविता..

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  2. अटल जी की बहुत अच्छी कविता आपने ब्लॉग पर डाली है ..ये कविता काफी बार पढ़ी है ... हमारे देश की राजनीति में वो ही केवल मात्र व्यक्ति थे जो हमेशा प्रभावित करते थे। I miss him :(

    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत हैं ...http://rohitasghorela.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html

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  3. बहुत सुन्दर कविता है....
    अटल जी के भाषण भी इतने ही लाजवाब हुआ करते थे....
    आभार प्रेम सरोवर जी.
    सादर
    अनु

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  4. जन्म-मरण अविरत फेरा
    जीवन बंजारों का डेरा
    आज यहाँ, कल कहाँ कूच है
    कौन जानता किधर सवेरा
    अंधियारा आकाश असीमित, प्राणों के पंखों को तौलें!
    अपने ही मन से कुछ बोलें!

    BAHUT KHUBSURAT SADABAHAR KAWITA.

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  5. आभार इस उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए

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  6. उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति के लिए,,,आभार
    प्रेम सरोवर जी,आप तो मेरे पोस्ट में आना ही बंद कर दिया,,,,आइये स्वागत है,,

    RECENT POST:..........सागर

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  7. इस सुन्दर कविताके लिए आभार प्रेम सरोवर जी...

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  8. अटल जी ग्वालियर के ही हैं, उनके यश के कारण हम ग्वालियर वालों का सिर हमेशा ऊँचा ही रहता है.

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  9. जन्म-मरण अविरत फेरा
    जीवन बंजारों का डेरा
    आज यहाँ, कल कहाँ कूच है
    कौन जानता किधर सवेरा
    अंधियारा आकाश असीमित, प्राणों के पंखों को तौलें!
    अपने ही मन से कुछ बोलें!

    जीवन एक सफ़र है तो सच में बंजारे की तरह है कोई ठिकाना नहीं !!

    बहुत खूब !!


    HAPPY DIWALI

    मेरी नयी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    माँ नहीं है वो मेरी, पर माँ से कम नहीं है !!!

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  10. अटल जी की इस कविता से आशना कराने के लिए शुक्रिया. बहुत सुन्दर कविता है यह.

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  11. अटल जी की इस कविता से आशना कराने के लिए शुक्रिया. बहुत सुन्दर कविता है यह.

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  12. kavita jivan ke utar chadhav ko samajhane ka sanket de rahi hai ati sunder

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  13. आपकी यह पोस्ट आज के (१३ अगस्त, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - प्रियेसी पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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