Monday, February 6, 2012

संपूर्ण क्रांति के नायक- जयप्रकाश नारायण




      
            जय प्रकाश नारायण
        ( जन्म:11-10-1902-  निधन : 08-10-1979)
 संपूर्ण क्रांति के नायक : जय प्रकाश नारायण
       जब-जब धरा विकल होती,मुसीबत का समय आता,
       किसी   भी  रूप  में  कोई,  महामानव  चला  आता ।
 
"भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना, आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं ; क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और, सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति, सम्पूर्ण क्रान्ति  आवश्यक है।" - -- -    जयप्रकाश नारायण

जुल्म के खिलाफ जब हर उपाय कारगर सिद्ध न हो तो हथियार उठा लेना जायज है । यह बात हर युग एवं समय में सार्थक सिद्ध हुई है एवं जब भी इस रास्ते को अपनाया गया एक परिवर्तन देखने को मिला । वाणी में जो शक्ति है वह किसी और चीज में नही ।शायद इससे ही प्रभावित होकर जे.पी ने उपर्युक्त घोषणा पांच जून, 1975 के पहले छात्रों-युवकों की कुछ तात्कालिक मांगें थीं, जिन्हें कोई भी सरकार जिद न करती तो आसानी से मान सकती थी। लेकिन पांच जून को जे. पी. ने संपूर्ण क्रांति की घोषणा की । इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए चलते है लोकमान्य जयप्रकाश नारायण जी के जीवनी पर जो हमें किसी न किसी बहाने उन्हे याद करने के लिए , उनके बारे में कुछ सोचने के लिए मजबूर कर देती है ।

जयप्रकाश  नारायण  का  जन्म दिनांक 11-10-1902  बिहार के सारण गांव में हुआ था।  पटना मे अपने विधार्थी जीवन में जयप्रकाश  नारायण ने स्वतंत्रता संग्राम मे भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और राजनेता थे उनका विवाह विहार के मशहूर गांधीवादी बृजकिशेर प्रसाद की पुत्री प्रभावती के साथ अक्तूबर 1920 मे हुआ । प्रभावती विवाह के उपरांत कस्तुरबा गांधी के साथ गांधी आश्रम मे रहीं। उन्हें 1970 में  इंदिरा गांधी के विरुद्ध विपक्ष का नेतृत्व  करने के लिए जाना जाता है। वे समाज-सेवक थे, जिन्हें 'लोकनायक' के नाम से भी जाना जाता है 1998 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया । विवाह के दो वर्ष बाद  वे 1922 मे  उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए, जहाँ उन्होंने 1922-1929 के बीच कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-बरकली विसकांसन विश्वविद्यालय में समाज-शास्त्र का अध्यन किया। पढ़ाई के महंगे खर्चे को वहन करने के लिए उन्होंने  खेतों, कंपनियों, रेस्टोरेन्टों मे काम किया वे मार्क्स के समाजवाद से प्रभावित हुए। उन्होने एम.ए. की डिग्री हासिल की। उनकी माताजी की तबियत ठीक न होने की वजह से वे भारत वापस आ गए और पी.एच.डी पूरी न कर सके । वे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और सुप्रसिद्ध गांधीवादी डॉ. अनुग्रह नारायण सिन्हा द्वारा स्थापित बिहार विद्यापीठ में शामिल हो गए। 1929 में जब वे अमेरिका से लौटे, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम तेज़ी पर था। उनका संपर्क गाधी जी के साथ काम कर रहे जवाहर लाल नेहरु से हुआ। वे भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने। 1932 मे गांधी, नेहरु और अन्य महत्वपूर्ण कांग्रेसी नेताओ के जेल जाने के बाद, उन्होने भारत मे अलग-अलग हिस्सों मे संग्राम का नेतृत्व किया। अन्ततः उन्हें भी  मद्रास में सितंबर 1932 मे गिरफ्तार कर लिया गया और नासिक के जेल में भेज दिया गया। यहाँ उनकी मुलाकात एम.आर.मासानी, अच्युत जी,  एन.सी.गोरे, अशोक मेहता एम.एच दातवाला, चार्ल्स मास्कारेन्हास और सी.के. नारायणस्वामी जैसे उत्साही कांग्रेसी नेताओं से हुई। जेल मे इनके द्वारा की गई चर्चाओं ने  कांग्रेस सोसलिस्ट पार्टी को जन्म दिया। सी.एस.पी समाजवाद में विश्वास रखती थी। जब कांग्रेस ने 1934 मे चुनाव मे हिस्सा लेने का फैसला किया तो जेपी और सी.एस.पी ने इसका विरोध किया।

1939 मे उन्होंने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान, अंग्रेज सरकार के खिलाफ लोक आंदोलन का नेतृत्व किया। उन्होंने सरकार को किराया और राजस्व रोकने के अभियान चलाए । टाटा स्टील कंपनी में हड़ताल करा के यह प्रयास किया कि अंग्रेज़ों को इस्पात न पहुंचे। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 9 महिने की कैद की सज़ा सुनाई गई । जेल से छूटने के बाद उन्होने गांधी और सुभाष चंद्र बोस के बीच सुलह का प्रयास किया। उन्हे बंदी बना कर मुंबई की आर्थर जेल और दिल्ली की कैंप जेल मे रखा गया। 1942 भारत छोडो आंदोलन के दौरान वे आर्थर जेल से फरार हो गए। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हथियारों के उपयोग को सही समझा । उन्होंने नेपाल जा कर आजाद दस्ते का गठन किया और उसे प्रशिक्षण दिया। उन्हें एक बार फिर पंजाब में चलती ट्रेन में सितंबर 1943 मे गिरफ्तार कर लिया गया । 16 महीने बाद जनवरी 1945 में उन्हें आगरा जेल मे स्थानांतरित कर दिया गया । इसके उपरांत गांधी जी ने यह साफ कर दिया था कि डॉ लोहिया और जे.पी की रिहाई के बिना अंग्रेज सरकार से कोई समझौता नामुमकिन है । दोनो को अप्रेल 1946 को आजाद कर दिया गया। 1948 मे उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी दल का नेतृत्व किया, और बाद में गांधीवादी दल के साथ मिल कर समाजवादी सोसलिस्ट पार्टी  की स्थापना की। 19 अप्रैल,1954 में गया (बिहार) मे उन्होंने  विनोबा भावे  के  सर्वोदय आंदोलन के लिए जीवन समर्पित करने की घोषणा की। 1952 में उन्होंने लोकनीति के पक्ष मे राजनीति छोड़ने का निर्णय लिया। 1960 के दशक के अंतिम भाग में वे राजनिति में पुनः सक्रिय रहे। 1974 में किसानों के बिहार आंदोलन में उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार से इस्तीफे की मांग की । वे इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध थे। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया। उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने गुजरात राज्य का चुनाव जीता । 1975 में इंदिरा गांधी ने आपातकाल की घोषणा की जिसके अंतर्गत जे.पी सहित 600  से भी अधिक विरोधी नेताओं को बंदी बनाया गया और प्रेस पर सेंशरशिप लगा दी गई। जेल मे जे.पी की तबीयत और भी खराब हुई । 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। 1977 जे.पी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया। जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री चरण सिंह ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया। उनके सम्मान में कई हजार लोग उनकी शोक यात्रा में शामिल हुए। सम्पूर्ण क्रान्ति के आह्वान उन्होने श्रीमती इंदिरा गांधी की सत्ता को उखाड़ फेकने के लिये किया था। लोकनायक नें कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल है-राजनैतिक,आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति । इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है। सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ गया था। जय प्रकाश नारायण जिनकी हुंकार पर नौजवानों का जत्था सड़कों पर निकल पड़ता था। बिहार से उठी सम्पूर्ण क्रांति की चिंगारी देश के कोने-कोने में आग बनकर भड़क उठी थी।जे.पी के नाम से मशहूर जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे। लालू प्रसाद, नीतीश कुमार, रामविलाश पासवान या फिर सुशील मोदी आज के सारे नेता उसी छात्र युवा संघर्ष वाहिनी का हिस्सा थे।

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39 comments:

  1. राजनीति मेरा कुछ पसंदीदा विषय नहीं है मगर आपका लिखा पढ़ा..अच्छा भी लगा..ज्ञान भी बढ़ा :-)

    शुक्रिया सर.

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  2. रोचक ढंग से प्रस्तुत जीवनी

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    1. Jaankaaree se paripoorn dilchasp aalekh!
      Comment box khul nahee raha isliye yahan comment likh rahee hun...kshama karen!

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  3. अच्छा लगा जयप्रकाश जी की जीवनी को पढ कर. आभार.

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  4. प्रेम सागर जी, आपका ब्लौग बहुत ही ज्ञानवर्धक है! साभार!

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  5. jayprakhash ji ke vishay me padhkar bahut achcha laga.gyaanvardhak post.aabhar

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  6. बिहार के वीर की गाथा प्रस्तुत करने हेतु आपको दिल से शुक्रिया !
    लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को याद करके आँखें नाम हो उठती है !
    वो सचमुच में भारत रत्न थे !सरोवर जी हमें आपसे आगे भी कुछ ऐसे
    ही आलेखों की आशा है !
    बहुत बहुत धन्यवाद !

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  7. बिहार के वीर की गाथा प्रस्तुत करने हेतु
    आपको दिल से शुक्रिया ! लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी को याद करके आँखें नाम हो उठती है ! वो सचमुच में भारत रत्न थे !
    सरोवर जी हमें आपसे आगे भी कुछ ऐसे ही आलेखों की आशा है !
    बहुत बहुत धन्यवाद !

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    1. मनीष सिंह जी,
      आपकी सहृदयता एवं साहित्य के प्रति लगाव आपकी टिप्पणियों से झलकता है । आपका मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आभार । मेरा .यही प्रयास रहता है कि कुछ नई जानकारी आप सबको परोसता रहूँ । आप मेरे किसी भी पोस्ट के प्रति अपना भाव छिपा कर नही रह सकते हैं । धन्यवाद ।

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  8. लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जीवनी पढ कर अच्छा लगा...

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    1. हरकीरत,जी बहुत दिनों के बाद आपका मेरे पोस्ट पर आगमन हुआ । मेरे लिए यह खुशी की बात है । आपका आभार ।

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  9. अच्छी जानकारी सर ....
    जयप्रकाश जी कि जीवनी पढकर अच्छा लगा....
    आभार ...

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  10. जयप्रकाश नारायणी जी के बारे में पढ़कर बहुत अच्छा लगा! ज्ञानवर्धक पोस्ट!

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  11. बढ़िया लेख ....
    आभार आपका !

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  12. ' लोकनायक ' को अपने राष्ट्रीय योगदान के लिए आज भी याद किया जाता है....उनका नाम अमर है!...बढ़िया आलेख!

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    1. डॉ. अरूणा जी,
      मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका आभार ।

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  13. सुंदर प्रस्तुति....लोक नायक को मेरा शतशत नमन,...

    MY NEW POST...मेरे छोटे से आँगन में...

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  14. प्रेम बाबू!
    अच्छा परिचय प्रस्तुत किया है आपने लोक नायक जे.पी. का.. हमारे स्कूल के गेट के सामने उनका निवास था और हमलोग छुट्टी के बाद स्कूल से निकल कर उनके यहाँ होने वाली सभाओं में भाग लेने जाते थे. काला बिल्ला लगाकर निकालना और शाम को फेरियां निकालना..
    सब स्मरण हो आया!
    अच्छी प्रस्तुति!

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  15. kitni achchhi baten likhi aapne achchhi jankari di loknayak ji ke bare me
    rachana

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  16. bahut hi achi jaankari di aap ne,in me se jyadatar baaten mujhe pata nahin thee,shukriyaa aap ka

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  17. आधुनिक बिहार के आधार स्तम्भ हैं जयप्रकाश जी .ज्ञानवर्धक प्रस्तुति !

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  18. सुंदर प्रस्तुति,लोक नायक को मेरा शतशत नमन,
    उनका नाम अमर है!बढ़िया आलेख!

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  19. 'लोकनायक' को शत शत प्रणाम,
    ज्ञानवर्धक जानकारी हेतु आभार.

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  20. बहुत अच्छा लिखा गया है ...........राजनैतिक क्रांति से पहले सामाजिक क्रांति होना जरुरी है

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  21. केवल अच्छी ही नही बल्कि ज्ञानपूर्ण रचना है...अति सुंदर
    प्रिया

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    1. प्रिया जी आपका मेरे पोस्ट पर आना एवं मेरा मनोबल बढ़ाना अच्छा लगा । अहर्निश प्रतीक्षा रहेगी । धन्यवाद ।

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  22. Replies
    1. रश्मि प्रभा जी आपका आभार ।

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  23. लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जीवनी पढ कर अच्छा लगा...सार्थक पोस्ट..

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    1. माहेश्वरी जी आपका आभार ।

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  24. जय प्रकाश नारायण जी सही मायने में लोकनायक थे।
    उनका विस्तृत परिचय देने के लिए आभार।

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  25. अच्छा परिचय प्रस्तुत किया है
    नका विस्तृत परिचय देने के लिए आभार

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  26. बहुत ही ज्ञानवर्धक- पुण्य स्मृति को नमन!

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  27. जयप्रकाश नारायण जी के बारे में विस्तृत जानकारी नहीं थी ... इस लेख के माध्यम से मिली ... उनके समय के युवा नेता स्वार्थ में लिप्त हो गए ॥

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  28. " अन्ना तुम अकेले नहीं हो हिन्दुस्तान तुम्हारे साथ है । जयप्रकाश का ऑंदोलन आज रंग लाया है । राज करते-करते शासन दुशासन हो गया । मिश्र जैसा माहौल आज भारत में आया है ।

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