लोकगीतों और लोकजीवन के
मर्मज्ञ : भीष्म साहनी
भीष्म
साहनी
आँखों
की आवाज़ कुछ और होती है,
आंसू की आग कुछ और होती है …
कौन चाहता है बिछड़ना अपनों से ,
पर किस्मत की बात कुछ और होती है|
आंसू की आग कुछ और होती है …
कौन चाहता है बिछड़ना अपनों से ,
पर किस्मत की बात कुछ और होती है|
इस तरह की प्रविष्टियों को ब्लॉग पर प्रस्तुत करने
की पष्ठभूनि में मेरा यह प्रयास रहता है कि हिंदी साहित्याकाश के दैदीप्यमान
प्रकाशस्तंभों का सामीप्य-बोध हम सबको अहर्निश मिलता रहे एवं हम सब इन
साहित्यकारों की अनमोल कृतियों एवं उनके जीवन दर्शन की घनी छांव में अपनी
साहित्यिक ज्ञान-पिपासा में अभिवृद्धि करते रहें। आईए, एक नजर डालते हैं, अपने समय के
बहुचर्चित लेखिक भीष्म साहनी पर, उनके जीवन एवं कृतियों पर
जो हमें सत्य से विमुख न होने के साथ-साथ कभी बिखरने भी नही देती हैं। किसी भी
साहित्यकार की रचना उसकी निजी जीवन की अनुभूतियों की ऊपज होती है । साहनी जी के
रचनाओं में कुछ खास ऐसी ही विशेषता है जिसे पढ़ कर ऐसा प्रतीत होता है कि ये समय
के साथ संवाद करती हुई तदयुगीन जीवन के साक्षात्कार क्षणों से
परिचित करा जाती हैं । मेरा प्रयास एव परिश्रम आप सबके दिल में थोड़ी सी जगह बना
सकने में यदि सार्थक सिद्ध हुआ तो मैं यही समझूंगा कि मेरा प्रयास, संकलन एवं
परिश्रम भी साहित्य-जगत के सही संदर्भों में सार्थक सिद्ध हुआ। - प्रेम सागर सिंह
भीष्म साहनी का जन्म 08 अगस्त.1915 को रावलपिंडी (पाकिस्तान) में हुआ
था । इन्हे हिंदी साहित्य में प्रेमचंद की अग्रणी परमपरा का लेखक माना जाता है .इनकी
गणना आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में की जाती है । प्रसिद्ध फ़िल्म
अभिनेता बलराज साहनी इनके भाई थे तथा इनके पिता अपने समय के प्रसिद्ध समाज -सेवी
थे । पिता के व्यक्तित्व की छाप भीष्म पर भी पड़ी। इनकी अध्ययन में भी बड़ी रूचि
थी । भीष्म साहनी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हिंदी और संस्कृत में हुई। इन्होंने स्कूल में
उर्दू व अंग्रेजी की शिक्षा प्राप्त करने के बाद 1937 में गवर्नमेंट कॉलेज लाहौर से
अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. और 1958 में पंजाब युनिवर्सिटी से पी.एच.डी. की उपाधि
प्राप्त की । वर्तमान समय में प्रगतिशील कथाकारों में साहनी जी का प्रमुख स्थान
है। साहनी जी ने बँटवारे से पूर्व व्यापार किया और इसके साथ वे अध्यापन का भी काम
करते रहे । तदनन्तर इन्होंने पत्रकारिता एवं इप्टा नामक मण्डली में अभिनय का कार्य
किया । साहनी जी फ़िल्म जगत में भाग्य आजमाने के लिए मुंबई गये, जहाँ काम न मिलने के कारण
इनको बेकारी का जीवन व्यतीत करना पड़ा। इन्होंने वापस आकर पुन: अंबाला के एक कॉलेज
में अध्यापन (खालसा कॉलेज अमृतसर में) के
बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में स्थायी रूप से कार्य किया। इस बीच इन्होंने लगभग
1957 से 1963 तक
विदेशी भाषा प्रकाशन गृह मास्को में आनुवादक के रूप में बिताये। यहाँ साहनी जी ने 2
दर्जन के क़रीब रशियन भाषायी किताबें टालस्टॉय, आस्ट्रोवस्की, औतमाटोव की किताबों का हिन्दी में
रूपांतर किया । साहनी जी ने 1965 से 1967 तक
"नई कहानियाँ" का सम्पादन किया। साथ ही इनके प्रगतिशील लेखक संघ तथा
अफ़्रो एशियाई लेखक संघ से सम्बद्ध रहे । यह 1993 से 1997 तक “साहित्य
अकादमी एक्जिक्यूटिव कमेटी” के सदस्य रहे। भीष्म साहनी जी को प्रेमचंद की परम्परा का लेखक माना जाता है । भीष्म
जी की कहानियाँ सामाजिक यथार्थ की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं । उन्होंने पूरी
जीवन्तता और गतिमयता के साथ खुली और फैली
हुई ज़िंदगी को अंकित किया है । साहनी जी मानवीय मूल्यों के बड़े हिमायती थे । उन्होंने
विचारधारा को अपने साहित्य पर कभी हावी
नहीं होने दिया । वामपंथी विचारधारा के साथ जुड़े होने के साथ वे मानवीय मूल्यों को कभी ओझल नहीं होने देते। इस बात का उदाहरण उनके प्रसिद्ध उपन्यास 'तमस' से लिया जा सकता है । भीष्म साहनी का गद्य एक ऐसे गद्य का उदाहरण हमारे सामने
प्रस्तुत करता है जो जीवन के गद्य का एक ख़ास रंग और चमक लिए हुए है ।
उसकी शक्ति के स्रोत काव्य के उपकरणों से
अधिक जीवन की जड़ों तक उनकी गहरी पहुँच
है। भीष्म को कहीं भी भाषा को गढ़ने की ज़रुरत नहीं होती ।
सुडौल और खूब पक्की ईंट की खनक ही उनके गद्य की एकमात्र पहचान है । भीष्म साहनी हिन्दी और अंग्रेजी के अतिरिक्त उर्दू, संस्कृत, रूसी और पंजाबी भाषाओं के अच्छे
जानकार थे । भीष्म साहनी जी ने साधारण एवं व्यंगात्मक शैली का प्रयोग कर अपनी रचनाओं को जनमानस के निकट पहुँचा दिया । भीष्म साहनी जी मूलत: प्रतिबद्ध रचनाकार थे । उन्होंने कुछ मूल्यों के साथ
साहित्य रचा। साहनी जी बेहद सादगी पसंद रचनाकार थे।साहनी जी ने जीवन में हमेशा
धर्मनिरपेक्षता को महत्व दिया और उनका धर्मनिरपेक्ष नज़रिया उनके साहित्य में भी
बखूबी झलकता है ।"अमृतसर आ गया" जैसी उनकी कहानियाँ शिल्प ही नहीं अभिव्यक्ति की दृष्टि से काफ़ी आकर्षित
करती हैं । लोकगीतों और लोकजीवन के
मर्मज्ञ भीष्म
साहनी सादगी पसंद रचनाकार थे। भीष्म साहनी जी थिएटर की दुनिया से भी नज़दीक से
जुड़े रहे और उन्होंने इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन में काम करना शुरू किया जहाँ उन्हें बड़े भाई बलराज साहनी का
सहयोग मिली।भीष्म साहनी ने मशहूर नाटक “भूत गाड़ी” का निर्देशन भी किया जिसके मंचन की ज़िम्मेदारी ‘ख़्वाजा अहमद अब्बास” ने
ली थी। अपने साहित्यिकजीवन में उन्होंने काफी मेहनत किया
। साहित्य के प्रति उनका लगाव सर्वदा बना रहा । अपने जीवन में लेखन को उन्होंने
प्राथमिकता दिया। परिणाम यह हुआ कि वे बिखर नही सके। आईए, डालते हैं एक नजर उनकी
कृतियों पर जो हमें उनसे रागात्मक लगाव की सुखद अनुभूति से पुलकित करा जाती है एवं
एक लंबे अंतराल के बाद भी उनकी प्रमुख कृतियां आज भी हिंदी साहित्य की अनुपम धरोहर
हैं ।
कहानी संग्रह:- भाग्य रेखा,पहला पाठ, भचकती राख. पटरियां,
शोभा यात्रा, निशाचर, मेरी प्रिय कहानियां,अहं ब्रहास्मि, अमृसर आ गया,चीफ की
दावत ।
उपन्यास:-झरोखे,
कड़िया, तमश. बसंती, मायादास की माड़ी. कुन्तो, नीलू नीलिमा, निलोफर।
नाटक संग्रह:-हानुस,
कबीरा खड़ा बाजार में. माधवी, गुलेल का खेल, मुआवजे।
पुरस्कारः- भीष्म साहनी जी को
"तमस" नामक कृति पर साहित्य अकादमी पुरस्कार (1975) से सम्मानित किया गया ।
उन्हें शिरोमणि लेखक सम्मान (पंजाब सरकार) (1975),लोटसपुरस्कार
(अफ्रो-एशियन राइटर्स असोसिएशन की ओर से (1970), सोवियत लैंड नेहरू
पुरस्कार (1983) और “पद्म भूषण” ( 1998) से
सम्मानित किया गया।
निधनः-साहित्य की सेवा में सर्वदा समर्पित रहने वाले साहनी की लेखनी थक सी गई एवं हमेशा-हमेशा के लिए उन्हें इस जग को छोड़ना पड़ा।प्रेमचंद की
परंपरा को आगे बढ़ाने वाले इस लेखक का निधन 11-07-2003 को दिल्ली में हुआ।इस तरह साहनी युग का सूरज अस्त हो गया।मेरी ओर से दिवंगत लेखक को विनम्र श्रद्धांजलि।
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Bheeshma sahniji ke bare men achhi jankari mili dhanyavad.
ReplyDeleteआपका आभार, संगीता जी ।
Deletebeautiful post.
ReplyDeleteaapako badhai sudar aur wistrit jankari dene ke liye.
आपका आभार, रामाकांत सिंह जी ।
Deleteachi prastuti, jankari dene ka shukriyaa...
ReplyDeleteआपका मेरे पोस्ट पर आना अच्छा लगा ।धन्यवाद ।
Deleteबेहद सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति...आप ने तो गागर में सागर ही भर दिया है ! इस खजाने के लिए धन्यवाद !
ReplyDeleteधन्यवाद, डॉ प्रिया जी ।
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति...जानकारी देने के लिए आभार!
ReplyDeleteआपका आभार, ऋता शेखर मधु जी।
DeleteBahut sundar prastuti, kuchh ek saahityakaaron ke vishay mein jaankaari bilkul na thi.. aapke aalekhon se iski abhivriddhi hui hai.
ReplyDeleteमेरा मनोबल बढाने के लिए धन्यवाद ।
Deleteखुद को विद्यार्थी समझती हूँ ..जब आपका ब्लॉग पढ़ती हूँ..
ReplyDeleteअच्छी जानकारी.
शुक्रिया सर.
भीष्म साहनी जी के साहित्य और जीवन के बारे में इस विस्तृत जानकारी के लिए आपका आभार
ReplyDeleteआपका मेरे पोस्ट पर आना बहुत ही अच्छा लगा .धन्यवाद ।
Deleteबेटी की पुकार को मार्मिक शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है आपने ..!
ReplyDelete@बेटी की पुकार को मार्मिक शब्दों के माध्यम से अभिव्यक्त किया है आपने ..!
Deleteयह टिप्पणी गलती से पेस्ट हो गयी ....कृपया क्षमा करें .....!
भीष्म साहनी जी से रु-ब-रु होना ,दिल को बहुत अच्छा लगा लगा |
ReplyDeleteसाहनी जी को नमन ...
आपका आभार !
बहुत बहुत सुन्दर प्रथम चार पंक्तियाँ..नमन
ReplyDeletekalamdaan.blogspot.in
धन्यवाद ।
Deletea complete... boigraphy... thanks for share prem jee/
ReplyDeleteकौन चाहता है बिछड़ना अपनों से ,
ReplyDeleteपर किस्मत की बात कुछ और होती है|
बेहद सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति.....
धन्यवाद ।
DeleteSoulful biography of a great writer. Thanks for sharing a talent with your readers...
ReplyDeleteआपका मेरे पोस्ट पर आना अछ्छा लगा । धन्यवाद ।
Deleteभीष्म साहनी जी के बारे में इस विस्तृत जानकारी के लिए आपका आभार
ReplyDeleteमेरे पोस्ट पर आपका आना बहुत ही अच्छा लगा । धन्यवाद ।
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति...भीष्म साहनी जी के बारे में जानकारी देने के लिए आभार!
ReplyDeleteधन्यवाद । फिर कभी. . . . . . . .।
Deletebahut hi badiya jaankari prastuti hetu aabhar!
ReplyDeleteMujhe bhi lokgeet sangeet bahut bhaata hai....Bhopal mein 26 januari ke din se har saal lagne wale lokrang dekhne ki mujhe bahut utsukta rahti hai aur uska besabri ke intzaar karti hun.. abhi dekhne ke baad ek post bhi blog par post ki hai...
धन्यवाद । फिर कभी. . . . . . . .।
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति .साहनी जी से परिचय कराने के लिए आभार......
ReplyDeleteMY NEW POST ...कामयाबी...
धन्यवाद । फिर कभी. . . . . . . .।
Delete'आनुवादक'के स्थान पर शुद्ध रूप अनुवादक कर लें .बेहतरीन परिचय दिया है आपने इस कथाकार नाटककार का ,आचार्य का .'तमस' उन दिनों हमने भी पढ़ा था .
ReplyDeleteटंकण संबंधी त्रुटियों को तरजीह देना अच्छी बात है । भविष्य में इस टंकण-दोष को सुधार लूंगा । धन्यवाद ।
Deleteभीष्म साहनी जी के बारे में इतनी बढ़िया एवं विस्तृत जानकारी के लिए आपका आभार ..
ReplyDeleteआम आदमी उन्हें "तमस" के कारण पहचानता है। अद्भुत कृति है ये उनकी! विस्तृत जानकारी के लिए शुक्रिया और इस महान लेखक को नमन।
Deleteआपका आभार,सुशीला जी ।
Deleteरीना जी, मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका आभार ।
Deleteभीष्म साहनी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व का विस्तृत परिचय मिला ..... आभार
ReplyDeleteआपका आभार, मोनिका शर्मा जी ।
Deleteतमस गंगा है। बाकी सब उससे निकली सहायक नदियां।
ReplyDeleteआपका आभार, कुमार राधारमण जी ।
Deleteभीष्म साहनी जी के बारे में अच्छी जानकारी जुटाई है । आपका आभार ।
ReplyDeleteआपका आभार, डॉ. टी. एस दराल जी ।
DeleteBhishm sahani ki lekhni bahut utkrisht hoti hai. inka vistrit parichay dene keliye dhanyawaad.
ReplyDeleteडॉ. जेन्नी शबनम जी आपका आभार ।
Deleteआदरणीय भीष्म साहनी के बारे में विस्तृत जानकारी मिली...
ReplyDeleteमहत्त्वपूर्ण प्रस्तुति...
सादर.
संजय मिश्रा जी आपका आभार ।
Deleteज्ञानवर्धक एवं रोचक लेख. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteसाहिल जी आपका आभार ।
ReplyDeleteaap jinke bhi bare me likhte hain bahut hi sunder likhte hain .bahut aanand aaya
ReplyDeletedhnyavad
rachana
रचना जी , मैं जो कुछ भी लिखता हूं, वह सब आप जैसै प्रबुद्ध पाटकों की प्रतिक्रियाओं का ही प्रतिफल है ,वरना हम इसे कर नही पाते । धन्यवाद ।
Deleteआदरणीय भीष्म साहनी के बारे में विस्तृत जानकारी मिली महत्त्वपूर्ण प्रस्तुति...
ReplyDeleteबहुत सुंदर प्रस्तुति
हिन्दी की विभूतियों के जीवन एवं साहित्य से परिचित कराने के लिये आभार !
ReplyDeleteMahan sahityakaar Bhism Sahni ji ke bare me vistrit jankari ke liye aabhar...
ReplyDeleteभीष्म साहनी जी के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए आपका आभार
ReplyDeleteअमरेंद्र जी आपका आभार ।
Deleteभीष्म जी पर संक्षिप्त किंतु प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए आभार प्रेम सिंह जी॥
ReplyDeleteआपका आभार ,प्रसाद जी ।
Deleteभीष्म साहनी जी की साहित्य सर्जना सदा ही जन-जन की अभिव्यक्ति रही है.. तत्कालीन परिवेश एवं लोक संस्कृति का जितना सजीव चित्रण इन्होंने किया है उतना बिना उन्हें जिए कोई नहीं लिख सकता... तमस एक ऎसी ही कृति है.. इनसे हमारा साक्षात्कार करवाकर आपने हमारा ज्ञानवर्धन किया है!! आभार आपका!
ReplyDeleteसुन्दर व प्रभावी अंदाज में आपकी प्रत्येक प्रविष्टियाँ अनमोल धरोहर है ब्लॉग जगत के लिए . .बधाई..
ReplyDeleteभीष्म साहनी के बारे में लगभग न के बराबर जानकारी थी। उसमें अभिवृद्धि हुई।
ReplyDeleteसर,
Deleteआपके आगमन से मेरा मनोबल बढ़ा है । आशा ही नही अपितु पूर्ण विश्वास है कि भविष्य में भी आप मुझे प्रोत्साहित करते रहेंगे । धन्यवाद ।
बहुत सुंदर प्रस्तुति...
ReplyDeleteसाहनी जी से परिचय कराने के लिए आभार......
आपका आभार ,पूनम जी ।
Deleteकालजयी साहित्यकारों से परिचय करा रहे हैं यह प्रसन्नता की बात है । भीष्म साहनी के 'तमस' के अलावा मैंने उनकी सिर्फ-'दुलारी के प्रेमी, अमृतसर आगया व 'चीफ की दावत' कहानियाँ ही पढी हैं । मेरा मानना है कि उन्हें याद रखने के लिये अकेली चीफ की दावत ही काफी है । हिन्दी साहित्य ऐसे रचनाकारों को पाकर धन्य है ।
ReplyDeleteगिरिजा कुलक्षेष्ठ जी , आपकी प्रतिक्रियाओं से मेरा मनोबव बढ़ा है । धन्यवाद ।
Deleteबहुत अच्छी प्रस्तुति ,...प्रेम जी परिचय कराने के लिए आभार
ReplyDeleteMY NEW POST ...सम्बोधन...
मुझे शायरी अच्छी लगी................आइये मेरी नयी पोस्ट पर
ReplyDeleteHindi ke mahan Rachnakaron ke bare mein blog par aapka lekhan ek bahut achha aur sarthak prayas hai. AAp nirantar yun hi rachnarat rahe. aur han lekh ke aarambh mein pratham char panktiyan aapke samvedanshilta ka parichay deti hain. aapko bahut- bahut badhai
ReplyDeleteआपका मेरे पोस्ट पर आना मुझे संबल प्रदान किया है । धन्यवाद ।
Deleteभीष्म साहनी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व का बढि़या विश्लेषण।
ReplyDeletebahut achchi prastuti padhkr achcha lga.
ReplyDeletebahut hi umda post ,bachpan me bhishm ki ji ki rachna padhi hoon ,magar phir se padhne ki ichchha jaag uthi yahan aakar .shuruaat ki panktiyaan laazwaab hai .aane ke liye shukriyaan .
ReplyDeletebhishm da kee shan men kuchh bhi kahna sooraj ko diya dikhane ke saman hai,fir bhi aapka prayas bahut achchha hai.27 tarikh ko main aapke ganv ja raha hoon jahan meri bhanji yani janardan babu kii ladki kii shadi hai.
ReplyDeleteआज ही उनका निमंत्रण कार्ड मिला है । गहमर गांव (U.P) में शादी हो रही है । हो सकता है तो मेरे परिवार से (कोलकाता से ) कोई अवश्य जाएगा । आपका मेरे पोस्ट पर आना बहुत ही सुखद लगा । आशा है भविष्य में भी आप अपनी प्रतिक्रिया देकर मेरा मनोबल बढ़ाते रहेंगे । धन्यवाद ।
Deleteप्रेम जी,...बहुत बढ़िया,बेहतरीन अच्छी प्रस्तुति,परिचय के लिए आभार,...
ReplyDeleteMY NEW POST...आज के नेता...
Prem sahab aapke blog pe aakar ke pata chal gaya ki waakayi me hum abhi bachche hi hain.
ReplyDeleteBehtreen,'
Kripya humaare blog ko b join kare plz