Tuesday, November 15, 2011

नकेनवाद के जनक :नलिन विलोचन शर्मा

नकेनवाद के जनक : नलिन विलोचन शर्मा

(1916-1960 ई.)

आधुनिक हिन्दी कविता में 'नकेनवाद के जनक नलिन विलोचन शर्मा का जन्म पटना में हुआ इन्होंने हिन्दी एवं संस्कृत में एम.ए. करके पहले आरा, पटना, रांची में अध्यापन कार्य किया, पश्चात पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष हुए तथा अंत तक वहीं रहे 'दृष्टिकोण (आलोचना), 'मानदण्ड (निबंध संग्रह), 'विष के दांत (कहानी संग्रह) तथा 'साहित्य का इतिहास दर्शन इनकी उल्लेखनीय रचनाएं हैं । इन्होंने 'साहित्य, 'दृष्टिकोण और 'कविता पत्रिकाओं तथा कई महत्वपूर्ण पुस्तकों का सम्पादन किया । इनका कविता संग्रह 'नकेन के प्रपद्य है, जिसमें भावों को व्यक्त करने का एक नया ही तरीका अपनाया गया । प्रस्तुत है उनकी एक कविता एक नापसंद जगह

एक नापसंद जगह

एक दिन यहां मैंने एक कविता लिखी थी,
यहां जहां रहना मुझे नापसंद था।
और रहने भेज दिया था।
जगह वह भी, जहां रहना अच्छा लगता है
और रहता गया हूँ,
वहां शायद ही हो कि कविता कभी लिखी हो।
आज फिर इस नापसंद जगह
डाल से टूटे पत्ते की तरह
मारा-मारा आया हूँ,
और यह कविता लिख गई है,
इस जगह का मैं कृतज्ञ हूँ,
इस मिट्टी को सर लगाता हूँ,
इसे प्यार नहीं करता, पर
बहुत-बहुत देता हूँ आदर,
यह तीर्थ-स्थल है, जहां
मैं मुसाफिर ही रहा,
यह वतन नहीं,
जहां जड और चोटी
गडी हुई,
जो कविता की प्रेरणाओं से अधिक महत्व की बात है।
यहां मैं दो बार मर चुका हूँ-
एक दिन तब जब पहली कविता
यहां लिखी थी,
और दूसरे आज जब इस कविता
की याद में कविता
लिख रहा हूँ-
घर के शहर में जीता रहा हूँ
और मरने के बाद भी
जीता रंगा : एक लाकेट में कैद,
किसी दीवार पर टंगा चित्रार्पित,
एक स्मृति-पट पर रक्षित अदृश्य
अमिट।

लेकिन यहां से कुछ ले जाऊंगा,
कुछ तो पा ही
चुका हूँ : दो-दो कविताएं,
दिया कुछ नहीं है, देना कुछ नहीं,
सिवा इसके-
मेरे प्रणाम तुम्हें,
इन्हें ले लो, इन्हें।

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38 comments:

  1. बहुत बढ़िया....कुछ ऐसा जो आमतौर पर पढ़ने नहीं मिला करता...बधाई प्रेम सरोवर जी.

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. शर्मा जी को पहले भी पढ़ा था अपनी पाठ्य-पुस्तक में . उनकी कविता को पढवाने के लिए आभार. ऐसा लगा मानो कई कविता जन्म ले रही है .

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  4. अच्छा लगा नलिन विलोचन शर्मा जी को यहाँ पढ़ना!
    इस प्रस्तुति के लिए आभार!

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  5. नलिन विलोचन शर्मा जी की लघुकथा "विष के दांत" हमारे कोर्स में हुआ करती थी.. यह कविता बहुत ही प्रभावशाली है.. इनकी पत्नी हमारी गुरु रही हैं रेडियो और मंचीय नाटकों में...
    बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति!!

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  6. विद्या,अनुपमा पाठक एवं सलील वर्मा जी आप सबका आभार ।

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  7. बहुत अच्छी प्रस्तुति !
    उपयोगी पोस्ट !

    लोकतंत्र के चौथे खम्बे पर अपने विचारों से अवगत कराएँ ।
    औचित्यहीन होती मीडिया और दिशाहीन होती पत्रकारिता

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  8. aisi jaankariyan bahut mushkil se milti hain. aabhar in mahan lekhak se parichay karane k liye.

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  9. बहुत कुछ पठनीय है यहाँ आपके ब्लॉग पर ... लगता है इस अंजुमन में आना होगा बार बार..

    धन्यवाद !

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  10. साहिल जी आपका आभार ।

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  11. बढ़िया प्रस्तुति

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  12. इनके बारे में कोई जानकारी नहीं थी जानना अच्छा लगा।
    इस वाद के बारे में कभी विस्तार से बताएं।
    पहली बार सुना है।

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  13. बहुत अच्छी लगी यह जानकारी!! आभार!!

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  14. जिस स्थान पर बैठ कर भीतर से कुछ बह निकले वह स्थान एक कवि के लिये तीर्थ से कम तो नहीं... बहुत सुंदर कविता, एक जगह रहूँगा की जगह रंगा लिखा गया है.

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  15. बहुत ही बढ़िया, महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक जानकारी प्राप्त हुई! शानदार पोस्ट!

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  16. नलिन विलोचन शर्मा का ये संग्रह अच्छा लगा नापसंद जगह बहुत पसंद आई ..यही देखने को मिल रहा है आज समाज में ...
    आभार
    भ्रमर ५

    घर के शहर में जीता रहा हूँ
    और मरने के बाद भी
    जीता रंगा : एक लाकेट में कैद,
    किसी दीवार पर टंगा चित्रार्पित,
    एक स्मृति-पट पर रक्षित अदृश्य
    अमिट।

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  17. औसत दर्जे की कविता मालूम होती है।

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  18. अच्छा लगा कुछ नया जानने को मिला.
    आभार

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  19. बहुत अच्छा लिखा आपने !!
    बहुत बहुत बधाई आपको

    अब आपको ब्लॉग को फोलो कर रहा हूँ तो आता रहूँगा आपकी रचनायो को पढने के लिए

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  20. मनोज बिजनौरी जी आपका आभार ।

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  21. नए विषय पर सुंदर रचना बधाई ....
    मेरे पोस्ट पर स्वागत है ...

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  22. धीरेंद्र जी, आपकी प्रतिक्रिया से मेरा मनोबल बढा है । धन्यवाद ।

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  23. बहुत अच्छा लगा नलिन विलोचन शर्मा जी को यहाँ पढ़ना...
    प्रस्तुति के लिए आभार...

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  24. कुशुनेष जी एवं संध्या शर्मा जी ,आप सबकी आपक प्रतिक्रिया से मेरा मनोबल बढा है । धन्यवाद ।

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  25. कविता बीते हुए को सामने लाने का सफल प्रयास।

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  26. अविनाश वाचस्पति जी आपका आभार । फिर मिलेंगे ।

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  27. प्रेम जी, नकेनवाद के बारे में कुछ और जानने की उत्सुकता है। अधिक जानकारी कहाँ मिल सकती है?

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  28. padhkar bahut accha laga.aur aapke blog par aakar bhi....

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  29. 1.@ Smart Indian Jee, आपको कहीं जाना नही पड़ेगा, मैं नकेलवाद पर विस्त़ जानकारी यथाघीघ्र प्रस्तुत करूंगा । आपके जिज्ञासा की इज्जत करता हूँ ।
    2. कानू जी, आपकी प्रतिक्रिया से मेरा मनोबल बढा है । धन्यवाद ।

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  30. नकेलवाद - अपुन के लिए नया शब्द है जी - जानकारी के लिए आभार...

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  31. बेहतरीन प्रस्तुति .शोधपरक पोस्ट .

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  32. अच्छी प्रस्तुति.......!
    बधाई........!!

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  33. आपके ब्लॉग पे एक अलग तरह की जानकारी एवं रचनाएँ पढने को मिलती है ...बहुत अच्छी प्रस्तुति !

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  34. बहुत सुंदर
    सबसे अलग
    शुभकामनाएं

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  35. नलिन जी की अप्रतिम रचना हम तक पहुँचाने के लिए साधुवाद...

    नीरज

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  36. अध्बुध लेखन ... सच में अलग ही चिंतन और अभिव्यक्ति ...

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  37. नलिनजी पर और लिखे जाने की जरुरत है ।

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  38. नलिनजी पर और लिखे जाने की जरुरत है ।

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