एहसास की चुभन
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तुम्हारा
साथ भी
गुलाबों की तरह
किताबों में दबाया
जा सकता तो कितना
अच्छा होता ......
गुलाबों की तरह
किताबों में दबाया
जा सकता तो कितना
अच्छा होता ......
हल्का-हल्का
महकता
कभी कभी कुछ कहता
थोडा थोडा सा चुभता
महकता
कभी कभी कुछ कहता
थोडा थोडा सा चुभता
तुम
बंध जाती इन
किताबों की सलवटों में
और मैं तुम्हें
हाथों से महसूस करता
छूता.....चूमता और
सीने लगा कर सो जाता
बहुत सुकूं भरी रातें होती
वो सच .....
किताबों की सलवटों में
और मैं तुम्हें
हाथों से महसूस करता
छूता.....चूमता और
सीने लगा कर सो जाता
बहुत सुकूं भरी रातें होती
वो सच .....
मोहब्बत
पढ़ती और
मोहब्बत कहते हुए
किताब के उस मोड़ संग
अपना जीवन गुजार देता
पढ़ती और
मोहब्बत कहते हुए
किताब के उस मोड़ संग
अपना जीवन गुजार देता
कितना
प्रेम होता हमारे
जहां में
न तुम्हें मुझसे
दूर जाने का डर होता
न मुझे तुम्हारी
जुदाई का गम
प्रेम होता हमारे
जहां में
न तुम्हें मुझसे
दूर जाने का डर होता
न मुझे तुम्हारी
जुदाई का गम
तुम
और मैं
गुलाब से रहते
सदा जवां-जवां
अपने प्यार की यादों में ........
गुलाब से रहते
सदा जवां-जवां
अपने प्यार की यादों में ........
मीठे एहसास भरी रचना ...
ReplyDeleteधन्यवाद सर
Deleteधन्यवाद सर जी।
ReplyDeletePrem bhai dil jeet liya aapki rachna ne....
ReplyDeletemeri nayi post ko aapke aashirvaad ka intezaar hai....
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2014/09/blog-post.html
सुंदर रचना , सर धन्यवाद !
ReplyDeleteInformation and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
आपकी इस रचना का लिंक दिनांकः 23 . 9 . 2014 दिन मंगलवार को I.A.S.I.H पोस्ट्स न्यूज़ पर दिया गया है , कृपया पधारें धन्यवाद !
धन्यवाद, आशीष जी।
ReplyDeleteBhaawpurn dil ko chu gayi aapki rachna,,, umdaa
ReplyDeleteआपकी रचना बहुत ही खुबसुरत हैँ।
ReplyDeleteमाँ सरस्वती की कृपा से आपकी अगली रचना इससे भी अच्छी हो । कभी वक्त मिले तो इधर भी आ जाना आपका हमेँ इंतजार रहेगा
आपका ब्लॉग RSD Style Studio पर प्रकाशित किया गया है आके अवलोकन करे या फिर
ReplyDeletehttp://rsdiwraya.blogspot.in/
सुंदर, प्रेमपूर्ण रचना !
ReplyDeletesundar prastuti ..mere blog par aane ke liye aapka bahut bahut dhanywaad..new post ..aur tum bhi ho...पढ़िए मेरी नयी ग़ज़ल.
ReplyDeleteआज कयामत की रात है, और तुम भी हो.
आज बग़ावत वाली बात है, और तुम भी हो.
आज उलझे हुए ज़ज्बात हैं, और तुम भी हो.
आज बिखरे से हालात हैं, और तुम भी हो.
आज मौसम में बहार है, और तुम भी हो.
आज साँसों में खुमार है, और तुम भी हो.
पूरी ग़ज़ल पढ़ने के लिए लिंक पर क्लिक कीजिए.
http://iwillrocknow.blogspot.in/2014/10/blog-post_26.html
सुंदर रचना।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
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