Monday, December 31, 2012

नव वर्ष 2013 की हार्दिक शुभकामनाएं


     नव वर्ष-2013 की अशेष शुभकामनाएं
                                                                   

                                                                         

                                  (प्रेम सागर सिंह)
                    
               रात के बाद नए दिन की सहर आएगी
 दिन नहीं बदलेगा तारीख़ बदल जाएगी।

 जिस तरह से बालू हाथ से सरक जाता है ठीक देखते ही देखते वर्ष -2012 का एक छोटा सा सफर भी गुजर गया, पड़ाव आया, चला गया । चलिए, अब दूसरे सफर पर चलते हैं । दूसरा सफर शुरू करते हुए भी निगाहें बार-बार पीछे की ओर मुड़ती हैं, गुजरे पड़ाव की ओर। पीछे मुड़कर देखता हूं तो मुझे कतई यह नहीं लगता  कि गुजरा साल उसके पहले गुजर कर खत्म हो गए सालों से कहीं अलग था।  2011 भी  2010 की तरह था और  2009 भी 2008 की तरह । लेकिन फिर भी यह यकीन करने को जी चाहता है और मुझे यह यकीन है कि  2013 जरूर कुछ नई सौगातें, उम्मीदें और सपने लेकर आएगा । 
लगता है कि गुजरते वक्त के साथ साहित्य, कला, सिनेमा यानी कला की समस्त विधाओं पर बस एक ही चीज हावी होती जा रही है और वह है बॉलीवुड। चारों ओर सिर्फ बॉलीवुड, बॉलीवुड की हस्तियों का ही बोलबाला है । किसी को ठहर कर यह सोचने की जरूरत नहीं कि कला का कोई और रूप भी हो सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बन रही है, लेकिन सिर्फ सिनेमा  की और वह भी बॉलीवुड सिनेमा की । बराक ओबामा आते हैं तो भी बॉलीवुड के गाने बजते हैं। कोई नई फिल्म रिलीज होते ही फिल्मी कलाकार टेलीविजन के पर्दे पर आकर समाचार पढ़ने लगते हैं। हर जगह सिर्फ उन्हीं सितारों को महत्व दिया जाता है। हम यह स्वीकार ही नहीं करते कि शास्त्रीयता भी कला का रूप हो सकती है और वह भी उतने ही सम्मान और महत्व की हकदार है। बड़े मीडिया हाउसों में भी बॉलीवुड ही कला का प्रतिनिधित्व करता है। यह स्थिति चिंतनीय है। पिछले वर्ष  हमारे दो महत्वपूर्ण कलाकारों को ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नामांकन हुआ । एक हैं मशहूर तबला वादक संदीप दास और दूसरे सारंगी वादक ध्रुव घोष\” इतनी महत्वपूर्ण उपलब्धि के बाद भी उनका कहीं जिक्र भी नहीं है। क्या हम एक ऐसा समाज रच रहे हैं, जहां संगीत, कला सिर्फ मुन्नी बदनाम हुई”, या हुक्का ऊठा जरा चिल्लम जरा या भोजपुरी का गीत सईयां के साथ रजईया में, बड़ा नीक लागे मड़ईया में ……तक ही सीमित होगी। क्या संस्कृति और आत्मिक गहनता के नाम पर हम अपने बच्चों को सिर्फ यही दे पाएंगे ? क्या हमारी सांस्कृतिक समझ या हमारे कला चिंतन का दायरा इसके आगे नहीं जाता ? हम बच्चों को बचपन से ही सिखाते हैं कि ये  कैमरा बहुत महंगा है, इसे संभालकर रखना। महंगे मोबाइल को संभालकर इस्तेमाल करना । लेकिन क्या हमने उन्हें कभी यह सिखाया कि दादी जो गाना गाती हैं, वह बहुत कीमती है। उसे भूल मत जाना। संभालकर रखना। नानी त्योहार पर जो गीत सुनाती हैं, उसे भी हमेशा याद रखना। हम कभी अपने बच्चों को उन सांस्कृतिक  धरोहरों का महत्व नहीं समझाते और न कहते हैं कि इन्हें सहेजकर, बचाकर रखना। हमें बस वही बचाना है, जिसमें पैसा लगा है। सिर्फ धन को सहेजना है। किसी भी समाज के विचारों और चिंतन की ऊंचाई उस समाज की सांस्कृतिक गहराई से तय होती है और गुजरे सालों में यह गहराई कम होती गई है। सन्  2005 और 2006 में सरकार को बच्चों के पाठ्यक्रम में कला को अनिवार्य करने का सुझाव दिया गया था और उस पर सहमति भी बन गई थी। लेकिन वह अब तक लागू नहीं हो पाया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस वर्ष यह संभव हो पाएगा। यदि यह लागू होता है तो हमें परफॉर्मिग आर्ट से ज्यादा कला के शास्त्रीय पक्ष पर जोर देना चाहिए  यह बहुत जरूरी है कि बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को बचपन से ही कला को  समझने और उसका सम्मान करने का संस्कार दिया जाए। उनके लिए संगीत का अर्थ सिर्फ फिल्मी संगीत भर न हो। वह अच्छे चित्र, अच्छे संगीत और गंभीर अर्थपूर्ण सिनेमा को समझें और उसके साथ जिएं। वर्ष  2013 में कुछ ऐसे बदलाव होने जा रहे हैं, जिससे मुझे काफी उम्मीदें हैं । लोकपाल बिल के साथ-साथ सरकार कॉपीराइट कानून में भी कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन करने जा रही है,जो इस वर्ष लागू होंगे। यदि कॉपीराइट कानून बदल गया तो कलाकारों की स्थिति थोड़ी मजबूत होगी। दूसरी महत्वपूर्ण चीज है, स्वतंत्र प्रकाशन की । इसके पहले किसी कलाकारको अपनी कला को लोगों को तक पहुंचाने के लिए किसी बड़ी म्यूजिक कंपनी का मोहताज होना पड़ता है। लेकिन इंटरनेट ने इसे मुमकिन बना दिया है कि किसी  कंपनी के आसरे बैठे रहने के बजाय कलाकार खुद इंटरनेट के माध्यम से अपनी कला  को जन-जन तक पहुंचा सकते हैं। यह आत्मनिर्भरता बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा  करेगी, ऐसी मुझे उम्मीद है। नया वर्ष भारतीय कला-संगीत, खेल-कूद, जेनेरिक मेडिसीन, कानून एवं आई.टी एक्ट के क्षेत्र में    स्त्रियों की अस्मिता की रक्षा भरा विविधता का भी वर्ष होगा। कव्वाली और गजल जैसी विधाएं जो लगभग विलुप्त होती जा रही थीं, अब उनकी भी रिकॉर्डिग हो रही है और उन्हें जिंदा रखने का प्रयास किया जा रहा है। कला जीवन के लिए ठीक वैसे ही अनिवार्य और हमारे अस्तित्व का हिस्सा है, जैसे कि हमारी सांसें हैं । निश्चित ही इसी राह से बेहतर मनुष्यों का निर्माण किया जा सकता है और बेहतर मनुष्य ही मिलकर बेहतर समाज बनाते हैं ।जीवन की हर गति बाजार, धन और मुनाफे से नहीं तय होती। जीवन इसके आगे भी बहुत कुछ है। सिर्फ देह नहीं, इसके साथ मन है, आत्मा है एवं सुखद जीवन की एक दार्शनिक विचार भी सन्निहित है। बंधुओं, नया साल-2013 रहा  है, हम सबके लिए अंतहीन खुशियों का सौगात लेकर। नव वर्ष के लिए मैं उन तमाम ब्लॉगर बंधुओं को जो इस ब्लॉग के यात्रा में मेरे संगी रहे है, यदि मुझसे बडे़ हैं, तो उनको सादर प्रणाम एवं लघु जनों को नित्य प्रति का स्नेहाशीष । विधाता से मेरी कामना है कि आने वाला वर्ष आप सबको मनोवांछित फल प्रदान करने के साथ-साथ वो मुकाम एवं मंजिल तक भी पहुचाएं जहाँ तक पहुँचने के लिए आज तक हम अहर्निश प्रयासरत रहे हैं। इस थोड़े से सफर में जाने या अनजाने में मुझसे कोई त्रुटि हो गयी हो तो मैं आप सबसे क्षमा प्रार्थी हूँ । नव वर्ष-2013 के लिए मंगलमय एवं पुनीत भावनाओं के साथ...आप सबका ही.....प्रेम सागर सिंह।


प्रस्तुत है मेरी एक कविता  जिंदगी इस आशा और यकीन के साथ कि यह कविता भी मेरी अन्य प्रस्तुतियों की तरह आप सबके दिल में थोड़ी सी जगह पा जाए।

               
   जिंदगी

काफिला मिल गया था मुझे-
कुछ अक्लमंदों का
और तब से साल रहा है मुझे
यह गम
कि जिंदगी बड़ी बेहिसाबी से मैंने
खर्च कर डाली है
पर जाने कौन आकर
हवा के पंखों पर
चिड़ियों की चहचहाहट में
मुझे कह जाता है-
जिंदगी का हिसाब तुम भी अगर करने लगे
तो जिंदगी किस को बिठाकर अपने पास
बड़े प्यार से
महुआई जाम पिलाएगी !
किसके साथ रचाएगी वह होली
सतरंगी गुलाल की !
किसके पास बेचारी तब
दुख-दर्द अपना लेकर जाएगी !
कह जाता है मुझे कोई रोज
चुपके-चुपके, सुबह-सुबह।

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15 comments:

  1. प्रतीक्षा है सूर्योदय की... नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ....

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  2. हमें भी उम्मीद हैं कि ये सभी बातें पूरी हों.नए साल में समाज में सकारात्मक नए परिवर्तन आयें .
    नया साल आप को भी शुभ और मंगलमय हो.

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  3. संध्या शर्मा एवं अल्पना वर्मा जी आप दोनों को नए साल की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. प्रतीक्षा में,की परिवर्तन हो,,
    बहुत उम्दा.बेहतरीन श्रृजन,,,,
    नए साल 2013 की हार्दिक शुभकामनाएँ|
    ==========================
    recent post - किस्मत हिन्दुस्तान की,

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  5. भावपूर्ण रचना..
    आपको सहपरिवार नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ....
    :-)

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  6. उम्दा रचना |नव वर्ष पर हार्दिक शुभ कामनाएं |
    आशा

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  7. आपको भी अंग्रेजी नववर्ष की शुभकामनाएं...

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  8. आपने सच कहा आज हम महत्वहीन चीजों को ज्यादा महत्व देते हैं और विरासत को हमने भुला सा दिया है.
    नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ..

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  9. नववर्ष की तारीखे हम से कह रही हैं कि 2012 को तो तुमने दरंदिगी से रंग दिया है अब 2013 में ऐसा कोई कार्य मत करना कि मुझे शर्मिन्‍दा होना पडें। हम लौटानी होगी हमारी प्राचीन कला। बहुत अच्‍छा चिंतन है।

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  10. नव वर्ष की समस्त शुभकामनाएं ...

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  11. ♥(¯`'•.¸(¯`•*♥♥*•¯)¸.•'´¯)♥
    ♥♥नव वर्ष मंगलमय हो !♥♥
    ♥(_¸.•'´(_•*♥♥*•_)`'• .¸_)♥




    ज़िंदगी का हिसाब तुम भी अगर करने लगे
    तो ज़िंदगी किस को बिठाकर अपने पास
    बड़े प्यार से
    महुआई जाम पिलाएगी !
    किसके साथ रचाएगी वह होली
    सतरंगी गुलाल की !

    क्या बात है !
    वाह ! वाऽह ! वाऽऽह !
    आदरणीय प्रेम सागर सिंह जी
    कविता तो शानदार है ही , बधाई !

    मूल लेख के लिए भी बहुत बहुत बधाई और आभार !

    साहित्य, कला, संगीत , संस्कृति , प्राचीन विरासत के साथ साथ लेखकों-कलाकारों के कॉपीराइट अधिकार और न्याय के निमित्त आपने आवाज़ उठा कर लेखकीय दायित्व का शानदार निर्वहन किया है ।
    नमन !
    आपकी भावनाएं और कार्य प्रशंसनीय हैं , अनुकरणीय हैं ।

    परमात्मा से प्रार्थना है - आपकी लेखनी से सदैव सर्वजनहिताय , सुंदर , सार्थक , श्रेष्ठ सृजन होता रहे …
    आपका कार्य औरों के लिए आदर्श बने !
    इति शुभम !

    नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित…
    राजेन्द्र स्वर्णकार
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    1. धन्यवाद राजेंद्र स्वर्णकार जी।

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  12. भावनाओं की रुचिर संवेदना, सत्य की प्रखरता तथा निष्ठवान सैनिक का संकल्प लिए -आपका यह संदेश जितना सार्थक है उतना ही कल्याणमय - सराहना के साथ ,मेरी हार्दिक शुभ-कामनाएँ स्वीकारें !

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  13. आपको नववर्ष की ढेरों शुभकामनायें।

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