प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।
हरिवंश राय बच्चन
मैं जगत के ताप से डरता नहीं अब,
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब,
आज कुंतल छाँह मुझ पर तुम किए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।
मैं समय के शाप से डरता नहीं अब,
आज कुंतल छाँह मुझ पर तुम किए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो ।
रात मेरी, रात का श्रृंगार मेरा,
आज आधे विश्व से अभिसार मेरा,
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
आज आधे विश्व से अभिसार मेरा,
तुम मुझे अधिकार अधरों पर दिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
वह सुरा के रूप से मोहे भला क्या,
वह सुधा के स्वाद से जाए छला क्या,
जो तुम्हारे होंठ का मधु-विष पिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
वह सुधा के स्वाद से जाए छला क्या,
जो तुम्हारे होंठ का मधु-विष पिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
मृत-सजीवन था तुम्हारा तो परस ही,
पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी,
मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
पा गया मैं बाहु का बंधन सरस भी,
मैं अमर अब, मत कहो केवल जिए हो
प्राण, कह दो, आज तुम मेरे लिए हो।
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बच्चन जी की रचना पढकर मन खुश हुआ अपार,
ReplyDeleteइसी तरह पढवाते रहे,प्रेम जी, बहुत बहुत आभार,,,,,
MY RECENT POST...:चाय....
bahut aabhar is rachna ko ham tak pahuchane k liye.
ReplyDeleteधन्यवाद। कुछ घरेलू समस्याओं के कारण समय नही मिल पाता है जिसके कारण किसी के भी ब्लॉग पर नियमित नही हो पा रहा हूं । इसके लिए मुझे भी अफसोस रहता है ।
Deleteबहुत आभार सुन्दर कविता पढ़ाने का..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना!
ReplyDeleteशेअर करने के लिए आभार!
शास्त्री जी आपका आभार ।
Deleteइस सुन्दर रचना को हम तक पहुंचाने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार...
ReplyDeleteसंध्या शर्मा जी, मेरा मनोबल बढ़ाने के लिए आपका आभार प्रकट करता हूं । धन्यवाद ।
Deleteआपका बहुत बहुत आभार ... बच्चन जी को नमन !
ReplyDeleteआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है क्रोध की ऊर्जा का रूपांतरण - ब्लॉग बुलेटिन के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
मिश्रा जी,
ReplyDeleteयह मेरे लिए परम सौभाग्य की बात है कि मेरा पोस्ट आपके दिल में थोड़ी सी जगह पा सका। आभारी हूं । धन्यवाद ।
सुन्दर रचना...बच्चन जी को पढ़ाने के लिए आभार ...
ReplyDeletebacchan jee ko to baat hi alag thi... grand salute
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